ETV Bharat / business

मिस्री ने उच्चतम न्यायालय से कहा: परिवार को एनसीएलएटी से मिलनी चाहिए और राहत

मिस्त्री के परिवार की टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उन्होंने अदालत में एक 'क्रॉस अपील' दायर की है. आमतौर पर क्रॉस अपील उसे कहते हैं, जिसमें किसी फैसले के कुछ पहलुओं के खिलाफ अपील की जाती है.

business news, nclat, tata mistry case, cyrus mistry, tata sons, supreme court, कारोबार न्यूज, एनसीएलएटी , टाटा मिस्त्री मामला, रतन टाटा, साइरस मिस्त्री, टाटा संस
मिस्री ने उच्चतम न्यायालय से कहा: परिवार को एनसीएलएटी से मिलनी चाहिए और राहत
author img

By

Published : Feb 17, 2020, 7:57 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 3:46 PM IST

मुंबई: उच्चतम न्यालालय द्वारा टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री को बहाल करने के आदेश पर रोक लगाने के बाद अब मिस्त्री ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को दूर करने की मांग की है और कहा है कि न्यायाधिकरण से उनके परिवार को और अधिक राहत मिलनी चाहिए थी.

मिस्त्री के परिवार की टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उन्होंने अदालत में एक 'क्रॉस अपील' दायर की है. आमतौर पर क्रॉस अपील उसे कहते हैं, जिसमें किसी फैसले के कुछ पहलुओं के खिलाफ अपील की जाती है.

प्रधान न्यायाधीश अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 25 जनवरी को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था. न्यायालय ने टाटा समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई गई है.

मिस्त्री ने याचिका में टाटा के साथ समूह के संबंधों को "60 साल से पुराने अर्ध-साझेदारी संबंध" के रूप में बताया है, जिसके पास टाटा संस की इक्विटी शेयर पूंजी का 18.37 प्रतिशत हिस्सा है और जिस हिस्सेदार की कीमत 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.

याचिका के मुताबिक मिस्त्री ने एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को ठीक किए जाने की मांग की है, जिनमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों के कथित उत्पीड़न पर ध्यान नहीं देने के साथ ही टाटा संस को एक निजी लिमिटेड कंपनी में एक पद के रूप में परिवर्तित करना शामिल है. यह बदलाव मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद हुआ.

ये भी पढ़ें: टाटा समूह, वोडाफोन आइडिया ने सांवधिक बकाया मद में कुछ राशि का भुगतान किया: सूत्र

न्यायाधिकरण के फैसले के बाद मिस्त्री ने कहा था कि वह टाटा संस में कोई कार्यपालक भूमिका नहीं चाहते हैं, लेकिन वह केवल कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानदंडों के बनाए रखना और टाटा संस में परिवार के निवेश को सुरक्षित करना चाहते हैं.

उच्चतम न्यायालय में 14 फरवरी को दायर की गई 45 पेज वाली इस याचिका में कहा गया है कि न्यायाधिकरण ने टाटा संस के पूर्वाग्रहपूर्ण आचरण को स्पष्ट रूप से पाया है, लेकिन उसने उनके परिवार को टाटा संस के निदेशक मंडल में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सहित राहतें नहीं दी हैं जो महत्वपूर्ण है.

याचिका में कहा गया कि कई ऐसे प्रावधान हैं जो बहुसंख्यक शेयरधारकों को पक्षपातपूर्ण आचरण में सक्षम बनाते हैं. इसमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा की मांग की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: उच्चतम न्यालालय द्वारा टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री को बहाल करने के आदेश पर रोक लगाने के बाद अब मिस्त्री ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को दूर करने की मांग की है और कहा है कि न्यायाधिकरण से उनके परिवार को और अधिक राहत मिलनी चाहिए थी.

मिस्त्री के परिवार की टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उन्होंने अदालत में एक 'क्रॉस अपील' दायर की है. आमतौर पर क्रॉस अपील उसे कहते हैं, जिसमें किसी फैसले के कुछ पहलुओं के खिलाफ अपील की जाती है.

प्रधान न्यायाधीश अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 25 जनवरी को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था. न्यायालय ने टाटा समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई गई है.

मिस्त्री ने याचिका में टाटा के साथ समूह के संबंधों को "60 साल से पुराने अर्ध-साझेदारी संबंध" के रूप में बताया है, जिसके पास टाटा संस की इक्विटी शेयर पूंजी का 18.37 प्रतिशत हिस्सा है और जिस हिस्सेदार की कीमत 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.

याचिका के मुताबिक मिस्त्री ने एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को ठीक किए जाने की मांग की है, जिनमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों के कथित उत्पीड़न पर ध्यान नहीं देने के साथ ही टाटा संस को एक निजी लिमिटेड कंपनी में एक पद के रूप में परिवर्तित करना शामिल है. यह बदलाव मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद हुआ.

ये भी पढ़ें: टाटा समूह, वोडाफोन आइडिया ने सांवधिक बकाया मद में कुछ राशि का भुगतान किया: सूत्र

न्यायाधिकरण के फैसले के बाद मिस्त्री ने कहा था कि वह टाटा संस में कोई कार्यपालक भूमिका नहीं चाहते हैं, लेकिन वह केवल कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानदंडों के बनाए रखना और टाटा संस में परिवार के निवेश को सुरक्षित करना चाहते हैं.

उच्चतम न्यायालय में 14 फरवरी को दायर की गई 45 पेज वाली इस याचिका में कहा गया है कि न्यायाधिकरण ने टाटा संस के पूर्वाग्रहपूर्ण आचरण को स्पष्ट रूप से पाया है, लेकिन उसने उनके परिवार को टाटा संस के निदेशक मंडल में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सहित राहतें नहीं दी हैं जो महत्वपूर्ण है.

याचिका में कहा गया कि कई ऐसे प्रावधान हैं जो बहुसंख्यक शेयरधारकों को पक्षपातपूर्ण आचरण में सक्षम बनाते हैं. इसमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों के हितों की रक्षा की मांग की गई है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 1, 2020, 3:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.