नई दिल्ली: भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (P-notes) के जरिये निवेश, दिसंबर 2021 के अंत तक बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगले महीने पी-नोट्स के जरिये निवेश का प्रवाह 'स्थिर या नकारात्मक' रहेगा. दरअसल, पी-नोट्स पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं, जो खुद को सीधे पंजीकृत किए बिना भारतीय शेयर बाजार में कारोबार करना चाहते हैं. हालांकि, इसके लिए उन्हें उचित जांच-परख की प्रक्रिया को पूरा करना होता है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स के जरिये निवेश का मूल्य दिसंबर, 2021 के अंत में बढ़कर 95,501 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो नवंबर के अंत में 94,826 रुपये था. इनमें शेयर, बांड और हाइब्रिड प्रतिभूतियां तीनों शामिल हैं. इससे पहले अक्टूबर के अंत में निवेश का स्तर 1.02 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया था, जो मार्च, 2018 के बाद सबसे अधिक था. उस समय पी-नोट्स के जरिये निवेश 1.06 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था.
सेबी के पंजीकृत पीएमएस पाइपर सेरिका के संस्थापक और कोष प्रबंधक अभय अग्रवाल ने कहा कि, 'दिसंबर के पी-नोट्स के आंकड़े एक 'सपाट' प्रवृत्ति को दर्शाते हैं. इनसे पता चलता है कि शेयरों में लगभग 675 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार में 716 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ है.' उन्होंने यह भी कहा कि, 'पी-नोट्स के जरिये निवेश का यह प्रवाह हैरान करने वाला है क्योंकि एफपीआई ने दिसंबर में शेयर और बांड बाजार में जबर्दस्त बिकवाली की है. इस दौरान उन्होंने शेयर बाजारों से 19,026 करोड़ रुपये और बांड बाजार से 11,799 करोड़ रुपये निकाले हैं. लेकिन एक माह के आंकड़ों के आधार पर दीर्घावधि के रुझान का आकलन नहीं किया जा सकता.'
दिसंबर 2021 तक पी-नोट्स के जरिये कुल 95,501 करोड़ रुपये के निवेश में से 84,948 करोड़ रुपये शेयरों में, 10,322 करोड़ रुपये बांड में और 231 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों में डाले गए हैं. राइट रिसर्च की संस्थापक सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि, 'पी-नोट्स के जरिये शेयरों में निवेश लगभग छह माह के निचले स्तर पर है. हालांकि, बांड बाजार में इसके जरिये निवेश का प्रवाह बढ़ा है. वैश्विक स्तर पर भी कुछ इसी तरह रुझान देखने को मिल रहा है.'
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(पीटीआई-भाषा)