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भारतीय विमानन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए: स्पाइसजेट

स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा कि इसके लिए सरकार को अपने कर ढांचे में बदलाव करते हुए कर के बोझ को कम करना चाहिए ताकि भारतीय विमानन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके. वर्तमान में भारतीय विमानन बाजार बहुत उच्च कर वाला बाजार है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में इसके पिछड़ने की यह एक बड़ी वजह है.

भारतीय विमानन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए: स्पाइसजेट
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Published : Oct 21, 2019, 1:08 PM IST

वॉशिंगटन: दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक बनने के बाद सरकार को अब भारतीय विमानन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम करना चाहिए. स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने पीटीआई-भाषा से एक विशेष बातचीत में यह बात कही.

उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को अपने कर ढांचे में बदलाव करते हुए कर के बोझ को कम करना चाहिए ताकि भारतीय विमानन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके. वर्तमान में भारतीय विमानन बाजार बहुत उच्च कर वाला बाजार है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में इसके पिछड़ने की यह एक बड़ी वजह है.

सिंह ने कहा, "मेरा विचार है कि विमानन क्षेत्र में कर कम किया जाना चाहिए और इस पूरे क्षेत्र को एक रोजगार सृजक क्षेत्र के रूप में देखा जाना चाहिए. यह (क्षेत्र) देश को खुद से और दुनिया से जोड़ता है. यह महत्वपूर्ण है कि हम विमानन क्षेत्र को लेकर एक समग्र नजरिया अपनाएं."

सिंह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ पिछले हफ्ते अमेरिका यात्रा में शामिल व्यापार प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रहे. सीतारमण यहां विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक में शामिल होने पहुंची थीं.

ये भी पढ़ें: स्पाइसजेट की अगले साल से बड़े आकार के विमानों के परिचालन की योजना

उन्होंने कहा, "हम लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं और अब सरकार को भारतीय विमानन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम करना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी लागत दुनिया के हमारे प्रतिस्पर्धियों के बराबर हों."

सिंह ने कहा कि भारत दुनिया का अकेला देश है जो विमान ईंधन पर औसतन 35 प्रतिशत कर लेता है जबकि किसी भी अन्य देश में विमान ईंधन पर कर नहीं है. इस वजह से भारतीय विमानन कंपनियों की परिचालन लागत बहुत अधिक है और इसलिए हम दुनिया से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते. इसके अलावा दूसरा बड़ा मुद्दा रखरखाव और मरम्मत से जुड़ा है. इसके लिए हमें 18 प्रतिशत का जीएसटी कर देना होता है.

सिंह ने कहा कि भारत को दुबई, अबूधाबी, दोहा, सिंगापुर और बैंकाक जैसे अपने खुद के अंतरराष्ट्रीय विमानन हब बनाने की जरूरत है ताकि यहां से होने वाले हवाई यातायात को रोका जा सके. एक बड़े देश के तौर पर यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद से लोग सीधे यूरोप, अमेरिका या जापान तक जा सकते हैं. इसलिए हमें नीतिगत निर्णय लेने की जरूरत है.

वॉशिंगटन: दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक बनने के बाद सरकार को अब भारतीय विमानन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम करना चाहिए. स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने पीटीआई-भाषा से एक विशेष बातचीत में यह बात कही.

उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को अपने कर ढांचे में बदलाव करते हुए कर के बोझ को कम करना चाहिए ताकि भारतीय विमानन क्षेत्र वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके. वर्तमान में भारतीय विमानन बाजार बहुत उच्च कर वाला बाजार है और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में इसके पिछड़ने की यह एक बड़ी वजह है.

सिंह ने कहा, "मेरा विचार है कि विमानन क्षेत्र में कर कम किया जाना चाहिए और इस पूरे क्षेत्र को एक रोजगार सृजक क्षेत्र के रूप में देखा जाना चाहिए. यह (क्षेत्र) देश को खुद से और दुनिया से जोड़ता है. यह महत्वपूर्ण है कि हम विमानन क्षेत्र को लेकर एक समग्र नजरिया अपनाएं."

सिंह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ पिछले हफ्ते अमेरिका यात्रा में शामिल व्यापार प्रतिनिधि मंडल के सदस्य रहे. सीतारमण यहां विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक में शामिल होने पहुंची थीं.

ये भी पढ़ें: स्पाइसजेट की अगले साल से बड़े आकार के विमानों के परिचालन की योजना

उन्होंने कहा, "हम लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं और अब सरकार को भारतीय विमानन क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम करना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी लागत दुनिया के हमारे प्रतिस्पर्धियों के बराबर हों."

सिंह ने कहा कि भारत दुनिया का अकेला देश है जो विमान ईंधन पर औसतन 35 प्रतिशत कर लेता है जबकि किसी भी अन्य देश में विमान ईंधन पर कर नहीं है. इस वजह से भारतीय विमानन कंपनियों की परिचालन लागत बहुत अधिक है और इसलिए हम दुनिया से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते. इसके अलावा दूसरा बड़ा मुद्दा रखरखाव और मरम्मत से जुड़ा है. इसके लिए हमें 18 प्रतिशत का जीएसटी कर देना होता है.

सिंह ने कहा कि भारत को दुबई, अबूधाबी, दोहा, सिंगापुर और बैंकाक जैसे अपने खुद के अंतरराष्ट्रीय विमानन हब बनाने की जरूरत है ताकि यहां से होने वाले हवाई यातायात को रोका जा सके. एक बड़े देश के तौर पर यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद से लोग सीधे यूरोप, अमेरिका या जापान तक जा सकते हैं. इसलिए हमें नीतिगत निर्णय लेने की जरूरत है.

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