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गेल के विभाजन पर विचार करेगा मंत्रिमंडल; 2022 से पहले नहीं बेचा जाएगा पाइपलाइन कारोबार - गेल के विभाजन पर विचार करेगा मंत्रिमंडल

गेल देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस विपणन कंपनी है. देश के 16,234 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का दो-तिहाई से अधिक का स्वामित्व उसके पास है.

गेल के विभाजन पर विचार करेगा मंत्रिमंडल; 2022 से पहले नहीं बेचा जाएगा पाइपलाइन कारोबार
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Published : Oct 15, 2019, 3:51 PM IST

Updated : Oct 15, 2019, 4:04 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल सरकारी कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड के पाइपलाइन कारोबार को अलग करके एक पृथक इकाई बनाने के प्रस्ताव पर अगले महीने तक विचार कर सकता है. हालांकि , रणनीतिक निवेशक को इसकी बिक्री 2022 से पहले नहीं की जाएगी. मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी.

गेल देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस विपणन कंपनी है. देश के 16,234 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का दो-तिहाई से अधिक का स्वामित्व उसके पास है.

प्राकृतिक गैस के उपयोगकर्ता अक्सर यह शिकायत करते रहे हैं कि अपने ईंधन के परिवहन के लिए वे 11,551 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं.

ये भी पढ़ें- ई-वाणिज्य कंपनियां पैकेजिंग में एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का उपयोग कम करें: मंत्रालय

सूत्रों ने बताया कि एक ही कंपनी के पास दोनों कारोबार होने की वजह से पैदा हो रही इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए गेल के विभाजन पर विचार किया जा रहा है.

सूत्रों ने कहा कि गेल के पाइपलाइन कारोबार को अलग करके नई इकाई बनाने के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव पर इस महीने या नवंबर तक विचार कर सकता है या मंजूरी दे सकता है.

मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद, पाइपलाइन कारोबार को एक अलग अनुषंगी इकाई में स्थानांतरित करने के लिए सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी. इस प्रक्रिया को पूरा होने में 8-10 महीने का समय लगेगा.

हालांकि, पाइपलाइन कारोबार वाली अनुषंगी कंपनी को रणनीतिक निवेशक को 2022 से पहले नहीं बेचा जा सकता है क्योंकि सरकार का मानना है कि गैस बाजार इससे पहले परिपक्व नहीं होगा और गेल को राष्ट्रीय गैस पाइपलाइन ग्रिड का निर्माण करने के लिए सरकार के समर्थन की जरूरत होगी.

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल सरकारी कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड के पाइपलाइन कारोबार को अलग करके एक पृथक इकाई बनाने के प्रस्ताव पर अगले महीने तक विचार कर सकता है. हालांकि , रणनीतिक निवेशक को इसकी बिक्री 2022 से पहले नहीं की जाएगी. मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी.

गेल देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस विपणन कंपनी है. देश के 16,234 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का दो-तिहाई से अधिक का स्वामित्व उसके पास है.

प्राकृतिक गैस के उपयोगकर्ता अक्सर यह शिकायत करते रहे हैं कि अपने ईंधन के परिवहन के लिए वे 11,551 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं.

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सूत्रों ने बताया कि एक ही कंपनी के पास दोनों कारोबार होने की वजह से पैदा हो रही इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए गेल के विभाजन पर विचार किया जा रहा है.

सूत्रों ने कहा कि गेल के पाइपलाइन कारोबार को अलग करके नई इकाई बनाने के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव पर इस महीने या नवंबर तक विचार कर सकता है या मंजूरी दे सकता है.

मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद, पाइपलाइन कारोबार को एक अलग अनुषंगी इकाई में स्थानांतरित करने के लिए सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी. इस प्रक्रिया को पूरा होने में 8-10 महीने का समय लगेगा.

हालांकि, पाइपलाइन कारोबार वाली अनुषंगी कंपनी को रणनीतिक निवेशक को 2022 से पहले नहीं बेचा जा सकता है क्योंकि सरकार का मानना है कि गैस बाजार इससे पहले परिपक्व नहीं होगा और गेल को राष्ट्रीय गैस पाइपलाइन ग्रिड का निर्माण करने के लिए सरकार के समर्थन की जरूरत होगी.

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गेल के विभाजन पर विचार करेगा मंत्रिमंडल; 2022 से पहले नहीं बेचा जाएगा पाइपलाइन कारोबार

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल सरकारी कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड के पाइपलाइन कारोबार को अलग करके एक पृथक इकाई बनाने के प्रस्ताव पर अगले महीने तक विचार कर सकता है. हालांकि , रणनीतिक निवेशक को इसकी बिक्री 2022 से पहले नहीं की जाएगी. मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी.

गेल देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस विपणन कंपनी है. देश के 16,234 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का दो-तिहाई से अधिक का स्वामित्व उसके पास है.

प्राकृतिक गैस के उपयोगकर्ता अक्सर यह शिकायत करते रहे हैं कि अपने ईंधन के परिवहन के लिए वे 11,551 किलोमीटर लंबे पाइपलाइन नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं.

सूत्रों ने बताया कि एक ही कंपनी के पास दोनों कारोबार होने की वजह से पैदा हो रही इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए गेल के विभाजन पर विचार किया जा रहा है.

सूत्रों ने कहा कि गेल के पाइपलाइन कारोबार को अलग करके नई इकाई बनाने के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल इस प्रस्ताव पर इस महीने या नवंबर तक विचार कर सकता है या मंजूरी दे सकता है.

मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद, पाइपलाइन कारोबार को एक अलग अनुषंगी इकाई में स्थानांतरित करने के लिए सलाहकार की नियुक्ति की जाएगी. इस प्रक्रिया को पूरा होने में 8-10 महीने का समय लगेगा.

हालांकि, पाइपलाइन कारोबार वाली अनुषंगी कंपनी को रणनीतिक निवेशक को 2022 से पहले नहीं बेचा जा सकता है क्योंकि सरकार का मानना है कि गैस बाजार इससे पहले परिपक्व नहीं होगा और गेल को राष्ट्रीय गैस पाइपलाइन ग्रिड का निर्माण करने के लिए सरकार के समर्थन की जरूरत होगी.

 


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Last Updated : Oct 15, 2019, 4:04 PM IST

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