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डीएचएफल के लिये अडाणी की बोली सर्वाधिक, अन्य बोलीदाताओं ने लगाया अनदेखी का आरोप

डीएचएफएल को कर्ज देने वाले संस्थानों और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चार इकाइयों...अडाणी समूह, पीरामल समूह, अमेरिकी संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट तथा हांगकांग की एससी लोवी ने अक्टूबर में डीएचएफएल के लिये बोलियां लगायी थी.

डीएचएफल के लिये अडाणी की बोली सर्वाधिक, अन्य बोलीदाताओं ने लगाया अनदेखी का आरोप
डीएचएफल के लिये अडाणी की बोली सर्वाधिक, अन्य बोलीदाताओं ने लगाया अनदेखी का आरोप
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Published : Nov 28, 2020, 12:53 PM IST

नई दिल्ली: उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले विभिन्न कारोबार से जुड़े समूह ने संकट में फंसी आवास वित्त कंपनी डीएचएफएल के लिये 33,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अमेरिकी की ओकट्री को पीछे छोड़ दिया है.

हालांकि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं का कहना है कि समूह ने कथित रूप से समयसीमा का पालन नहीं किया, अत: वह बोली से हटे. अडाणी समूह ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उसने पूरी प्रक्रिया अपनायी और अन्य बोलीदाता साठगांठ कर अधिकतम मूल्य वाली बोली को रोकना चाहते हैं.

चार इकाइयों ने लगाई थी बोली

डीएचएफएल को कर्ज देने वाले संस्थानों और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चार इकाइयों...अडाणी समूह, पीरामल समूह, अमेरिकी संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट तथा हांगकांग की एससी लोवी ने अक्टूबर में डीएचएफएल के लिये बोलियां लगायी थी.

हालांकि बकाया कर्ज की वसूली के लिये डीएचएफएल की नीलामी कर रहे कर्जदाता चाहते थे कि संभावित खरीदार अपनी बोलियों को संशोधित करें क्योंकि मूल पेशकश काफी कम थी. एक सूत्र के अनुसार अडाणी समूह ने शुरू में डीएएफएल के थोक तथा स्लम रिहैबिलिटेशन ऑथोरिटी (एसआरए) पोर्टफोलियो के लिये ही बोली लगायी थी.

ये भी पढ़ें: अप्रैल से सितंबर के दौरान एफडीआई 15 प्रतिशत बढ़कर 30 अरब डॉलर

लेकिन 17 नवंबर को संशोधित पेशकश में पूरी संपत्ति के लिये बोली लगायी. उसने इसके तहत 30,000 करोड़ रुपये के साथ 3,000 ब्याज की पेशकश की. यह ओकट्री की 28,300 करोड़ रुपये की पेशकश से अधिक थी.

अमेरिकी कंपनी की बोली इस शर्त पर थी कि वह बीमा दावों को लेकर 1,000 करोड़ रुपये अपने पास रखेगी. सूत्रों के अनुसार पीरामल ने डीएचएफएल के खुदरा संपत्ति के लिये 23,500 करोड़ रुपये जबकि एस सी लोवी ने 2,350 करोड़ रुपये की बोली एसआरए के लिये लगायी थी.

बोलीदाताओं का आरोप, समयसीमा के बाद आयी अडानी की बोली

सूत्र के अनुसार अन्य बोलीदाताओं ने कहा कि अडाणी की बोली समयसीमा समाप्त होने के बाद आयी और उसे अपात्र घोषित किये जाने की मांग की है. हालांकि अडाणी ने इस आरोप को खारिज करते हुए बिक्री को देख रहे डीएचएफएल प्रशासक को विस्तृत पत्र लिखा है. इसमें समूह ने कहा कि उसने मूल रूप से पूरे कारोबार तथा थोक एवं एसआरए पोर्टफोलियो के लिये रूचि पत्र जमा किया था.

सूत्रों का कहना है कि 22 नवंबर के पत्र में कहा गया है कि अक्टूबर में लगायी बोली केवल थोक और एसआरए संपत्ति के लिये थी क्योंकि उसे उम्मीद थी कि वह पीरामल समूह के साथ सौदा हासिल कर लेगा.

पीरामल समूह ने केवल खुदरा संपत्ति के लिये बोली लगायी थी. लेकिन नौ नवंबर को जब बोलियां खोली गयी, अडाणी ने पाया कि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं की बोलियां कंपनी के मूल्य को प्रतिबिंबित नहीं करती और उसने पूरी संपत्ति के लिये बोली लगाने का निर्णय किया.

पत्र में अडाणी समूह ने कहा कि उसकी बोली 17 नवंबर को सुबह 10 बजे से पहले जमा हुई और यह बोली दस्तावेज के अनुरूप है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उद्योगपति गौतम अडाणी की अगुवाई वाले विभिन्न कारोबार से जुड़े समूह ने संकट में फंसी आवास वित्त कंपनी डीएचएफएल के लिये 33,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अमेरिकी की ओकट्री को पीछे छोड़ दिया है.

हालांकि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं का कहना है कि समूह ने कथित रूप से समयसीमा का पालन नहीं किया, अत: वह बोली से हटे. अडाणी समूह ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उसने पूरी प्रक्रिया अपनायी और अन्य बोलीदाता साठगांठ कर अधिकतम मूल्य वाली बोली को रोकना चाहते हैं.

चार इकाइयों ने लगाई थी बोली

डीएचएफएल को कर्ज देने वाले संस्थानों और उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चार इकाइयों...अडाणी समूह, पीरामल समूह, अमेरिकी संपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल मैनेजमेंट तथा हांगकांग की एससी लोवी ने अक्टूबर में डीएचएफएल के लिये बोलियां लगायी थी.

हालांकि बकाया कर्ज की वसूली के लिये डीएचएफएल की नीलामी कर रहे कर्जदाता चाहते थे कि संभावित खरीदार अपनी बोलियों को संशोधित करें क्योंकि मूल पेशकश काफी कम थी. एक सूत्र के अनुसार अडाणी समूह ने शुरू में डीएएफएल के थोक तथा स्लम रिहैबिलिटेशन ऑथोरिटी (एसआरए) पोर्टफोलियो के लिये ही बोली लगायी थी.

ये भी पढ़ें: अप्रैल से सितंबर के दौरान एफडीआई 15 प्रतिशत बढ़कर 30 अरब डॉलर

लेकिन 17 नवंबर को संशोधित पेशकश में पूरी संपत्ति के लिये बोली लगायी. उसने इसके तहत 30,000 करोड़ रुपये के साथ 3,000 ब्याज की पेशकश की. यह ओकट्री की 28,300 करोड़ रुपये की पेशकश से अधिक थी.

अमेरिकी कंपनी की बोली इस शर्त पर थी कि वह बीमा दावों को लेकर 1,000 करोड़ रुपये अपने पास रखेगी. सूत्रों के अनुसार पीरामल ने डीएचएफएल के खुदरा संपत्ति के लिये 23,500 करोड़ रुपये जबकि एस सी लोवी ने 2,350 करोड़ रुपये की बोली एसआरए के लिये लगायी थी.

बोलीदाताओं का आरोप, समयसीमा के बाद आयी अडानी की बोली

सूत्र के अनुसार अन्य बोलीदाताओं ने कहा कि अडाणी की बोली समयसीमा समाप्त होने के बाद आयी और उसे अपात्र घोषित किये जाने की मांग की है. हालांकि अडाणी ने इस आरोप को खारिज करते हुए बिक्री को देख रहे डीएचएफएल प्रशासक को विस्तृत पत्र लिखा है. इसमें समूह ने कहा कि उसने मूल रूप से पूरे कारोबार तथा थोक एवं एसआरए पोर्टफोलियो के लिये रूचि पत्र जमा किया था.

सूत्रों का कहना है कि 22 नवंबर के पत्र में कहा गया है कि अक्टूबर में लगायी बोली केवल थोक और एसआरए संपत्ति के लिये थी क्योंकि उसे उम्मीद थी कि वह पीरामल समूह के साथ सौदा हासिल कर लेगा.

पीरामल समूह ने केवल खुदरा संपत्ति के लिये बोली लगायी थी. लेकिन नौ नवंबर को जब बोलियां खोली गयी, अडाणी ने पाया कि प्रतिद्वंद्वी बोलीदाताओं की बोलियां कंपनी के मूल्य को प्रतिबिंबित नहीं करती और उसने पूरी संपत्ति के लिये बोली लगाने का निर्णय किया.

पत्र में अडाणी समूह ने कहा कि उसकी बोली 17 नवंबर को सुबह 10 बजे से पहले जमा हुई और यह बोली दस्तावेज के अनुरूप है.

(पीटीआई-भाषा)

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