नई दिल्ली: सरकार ने बृहस्पतिवार को इलेक्ट्रॉनिक कृषि बाजार मंच (ई-नाम) में नई सुविधाओं की शुरुआत की, जिससे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गोदामों के साथ-साथ संग्रह केंद्रों से भी सीधा व्यापार हो सके.
सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे के बीच थोक बाजारों में भीड़ -भाड़ कम करने के किये जा रहे अपने प्रयासों के तहत यह कदम उठाया है.
एक सरकारी बयान में कहा गया, "केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों द्वारा कृषि ऊपज के विपणन की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) प्लेटफॉर्म पर दो नये विशेषताओं को जोड़ा है, जो किसानों को उनकी उपज को बेचने के लिए शारीरिक रूप से थोक मंडियों में आने की जरूरत को खत्म कर देगा."
यह उस समय शुरू किया गया है जब कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी ढंग से लड़ने के लिए मंडियों में भीड़ भाड़ को कम करने की सख्त आवश्यकता है.
ई-नाम सॉफ्टवेयर में पहला, वेयरहाउस-आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल ई-एनडब्ल्यूआर (इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी लेने देन योग्य भंडारगृह की रसीद) गोदामों से व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा.
दूसरा ई-नाम में एफपीओ ट्रेडिंग मॉड्यूल है जहां एफपीओ अपनी उपज को एपीएमसी में लाए बिना अपने संग्रह केंद्र से ही अपनी उपज का व्यापार कर सकते हैं.
इस अवसर पर तोमर ने दोहराया कि ई-नाम को 14 अप्रैल 2016 को पूरे भारत के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड पोर्टल के रूप में शुरु किया गया था, जिसमें राज्यों के एपीएमसी को जोड़ा गया था. पहले से ही 16 राज्यों में 585 मंडियां और दो केंद्र शासित प्रदेश ई-नाम पोर्टल पर परस्पर जोड़े गए हैं.
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उन्होंने यह भी कहा कि अतिरिक्त 415 मंडियों को कवर करने के लिए जल्द ही ई-नाम का विस्तार किया जाएगा. इससे ई-नाम मंडियों की कुल संख्या 1,000 हो जाएगी.
तोमर ने बताया कि ई-नाम संपर्क रहित दूरस्थ बोली और मोबाइल-आधारित भुगतान प्रणाली की सुविधा प्रदान करता है.
(पीटीआई-भाषा)