नई दिल्ली : भारत में करोड़ों लोग टिकटॉक का इस्तेमाल पहले से ही कर रहे हैं और उन सब के पास इस एप को अन्य के साथ साझा करने का विकल्प है. इसलिए गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर पर इसकी पहुंच को रोकने का वांछित नतीजा नहीं निकलेगा. ऐसा विशेषज्ञों का कहना है.
टिकटॉक बच्चों में भी काफी लोकप्रिय है, लेकिन 'पोर्नग्राफिक कंटेंट' के भी प्रसार को लेकर इसकी चौतरफा आलोचना हो रही है.
गूगल और एप्पल ने सरकार के अनुरोध के बाद चीनी शार्ट वीडियो शेयरिंग एप के डाउनलोड पर रोक लगा दी है.
मार्केट रिसर्च फर्म टेकएआरसी के मुताबिक, लेकिन कई ऐसी तकनीक उपलब्ध हैं, जिससे इस प्रतिबंध का असर नहीं होगा.
टेकएआरसी के संस्थापक और मुख्य विश्लेषक फैसल काबूसा ने बताया कि टिकटॉक का कोई भी वर्तमान यूजर जिसने अपने स्मार्टफोन में इस एप को इंस्टाल कर रखा है, शेयरइट के जरिए इस एप को किसी के भी साथ साझा कर सकता है. एक बार एप साझा करने के बाद बड़े आराम से इसे इंस्टाल किया जा सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन अप्रैल को मद्रास उच्च न्यायालय के मूल आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गूगल और एप्पल से इस एप को ब्लॉक करने को कहा था.
मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने मंगलवार को टिकटॉक पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने से इनकार कर दिया और मामले की अगली सुनवाई का दिन 24 अप्रैल निर्धारित किया है.
टिकटॉक का स्वामित्व चीनी प्रौद्योगिकी कंपनी बाइटडांस के पास है, जिसका कहना है कि भारत में उसके 12 करोड़ सक्रिय यूजर्स हैं.
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