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क्या अमेरिका के रास्ते भारत आ रहीं हैं चीनी कंपनियां?

मुंबई स्थित विदेश नीति थिंकटैंक द गेटवे हाउस के अमित भंडारी का कहना है कि यूएस स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होने के कारण चीनी टेक कंपनियों को कई बार पहचानना मुश्किल हो जाता है.

क्या अमेरिका के रास्ते भारत आ रहीं हैं चीनी कंपनियां?
क्या अमेरिका के रास्ते भारत आ रहीं हैं चीनी कंपनियां?
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Published : Jul 1, 2020, 1:33 PM IST

नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को चीन से संबंध रखने वाले 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगा दिया था. जिसमें लोकप्रिय टिकटॉक और यूसी ब्राउजर जैसे एप भी शामिल हैं. सरकार ने कहा था कि ये एप देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं.

सरकार के इस निर्णय के बाद भारत में चीनी इंटरनेट कंपनियों की गहरी पैठ का मुद्दा सामने आया है क्योंकि इन कंपनियों के संचालन और निवेश को उनके मूल प्रवर्तकों को वापस ट्रेस करना मुश्किल है.

इनमें से कुछ टेक दिग्गज कंपनियों जैसे कि बाइडू, अलीबाबा और टेनसेंट जगजाहिर रुप से चीनी कंपनियों के रूप में जानी जाती हैं. इन्हें आमतौर पर चीन के तीन बड़ी कंपनियों या बैट(बीएटी) के रुप में जाना जाता है. लेकिन कुछ चीनी टेक दिग्गजों और उनके मोबाइल एप्लिकेशन को यूएस और अन्य शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने के कारण चीनी ब्रांड के रूप में अच्छी तरह से नहीं जाना जाता है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल और डीजल के दाम दूसरे दिन भी स्थिर, जानें महानगरों में कीमतें

उदाहरण के लिए 59 प्रतिबंधित मोबाइल ऐप की सूची में शामिल कई लोकप्रिय मोबाइल एप्लिकेशन न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज चीता मोबाइल (स्टॉक टिकर सीएमसीएम) में सूचीबद्ध कंपनी के हैं.

चीता मोबाइल कंपनी चीता मोबाइल ब्राउजर, सुरक्षा मास्टर, क्लीन मास्टर (स्मार्ट फोन से जंक फ़ाइलों को साफ करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन) जैसे ऐप का मालिक है. लेकिन इन ऐप में उनके उपयोग और कार्यों के अनुसार अंग्रेजी या पश्चिमी नाम हैं. जिससे इसके चीनी होने का कोई स्पष्ट संबंध नहीं हो पाता है.

मुंबई स्थित विदेश नीति थिंकटैंक द गेटवे हाउस के अमित भंडारी का कहना है कि यूएस स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होने के कारण इन चीनी टेक कंपनियों को कई बार पहचानना मुश्किल हो जाता है.

उन्होंने ईटीवी भारत को बताया, "प्रौद्योगिकी कंपनियों के मामले में चीन के पूरी तरह से बाहर आने के बारे में संदेह है. यह लंबे समय से फुसफुसा रहा है कि डेटा सुरक्षित नहीं है."

कुछ ही लोगों को पता है कि चीता मोबाइल भारत के स्मार्टफोन बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी के साथ चीनी हैंडसेट निर्माता कंपनी श्याओमी से जुड़ा हुआ है.

श्याओमी अपने फोन को तीन अलग-अलग ब्रांडों रेडमी फोन, एमआई फोन और पोको फोन के तहत बाजार में उतारता है. साथ ही इसके एप्स एमआई-पे, एमआई-वीडियो, एमआई-स्टोर और एमआई-ब्राउसर के नाम से पहले से ही इंस्टॉल रहते हैं.

हालांकि, सरकार द्वारा प्रतिबंध करने से पहले श्याओमी और उसके संस्थापक लेई जून के चीता मोबाइल के बारे में कम जागरूकता थी. जिसके कारण क्लीन मास्टर, सिक्योरिटी मास्टर, चीता गेम्स, चीता कीबोर्ड, फोटो ग्रिड और कुछ अन्य ऐप को विशिष्ट रूप से चीनी ऐप नहीं माना जाता था.

चीता मोबाइल का मुख्यालय बीजिंग में है लेकिन अमेरिका में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है. चीता मोबाइल को 2010 में किंग्सॉफ्ट नेटवर्क और कॉन इमेज के विलय के बाद बनाया गया था. बाद में कंपनी का नाम बदलकर चीता मोबाइल कर दिया गया.

गेटवे हाउस की रिपोर्ट: चाइना स्ट्रेटेजिक टेक डेप्थ इन इंडिया के सह-लेखक अमित भंडारी का कहना है कि पश्चिमी कंपनियों के लिए भारत में प्रवेश करना और संचालित करना बेहद आसान है. जिसका फायदा ये कंपनियां उठाती हैं.

गेटवे हाउस की एक अलग रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में भारतीय उपयोगकर्ताओं द्वारा डाउनलोड किए गए लगभग आधे ऐप चीनी इंटरनेट कंपनियों से जुड़ें थे और गोपनीयता जोखिमों से भरे पड़े थे.

अमेरिका की कंपनी जूम वीडियो कम्युनिकेशंस इंक जो लोकप्रिय ऑनलाइन वीडियो मीटिंग ऐप जूम का मालिक है, उसे भी डेटा की गोपनीयता पर सवालों का सामना करना पड़ा क्योंकि डेटा चीन के माध्यम से रूट किया गया था.

पिछले महीने इन आलोचनाओं ने इसके संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिक एस युआन को एक ब्लॉग पोस्ट में दावा करने के लिए प्रेरित किया कि उन्होंने 2007 में अमेरिकी नागरिकता ले ली और उनकी कंपनी जूम एक अमेरिकी कंपनी थी, न कि चीनी.

अमेरिकी अधिकारियों द्वारा फरवरी 2019 में संकलित आंकड़ों के अनुसार यूएस स्टॉक बाजारों में 156 चीनी कंपनियां सूचीबद्ध थीं. इस सूची में अलीबाबा, टेनसेंट, बाइडू, वेइबो कॉर्पोरेशन और चीता मोबाइल जैसी कंपनियां शामिल थीं.

(लेखक- कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार)

नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को चीन से संबंध रखने वाले 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगा दिया था. जिसमें लोकप्रिय टिकटॉक और यूसी ब्राउजर जैसे एप भी शामिल हैं. सरकार ने कहा था कि ये एप देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं.

सरकार के इस निर्णय के बाद भारत में चीनी इंटरनेट कंपनियों की गहरी पैठ का मुद्दा सामने आया है क्योंकि इन कंपनियों के संचालन और निवेश को उनके मूल प्रवर्तकों को वापस ट्रेस करना मुश्किल है.

इनमें से कुछ टेक दिग्गज कंपनियों जैसे कि बाइडू, अलीबाबा और टेनसेंट जगजाहिर रुप से चीनी कंपनियों के रूप में जानी जाती हैं. इन्हें आमतौर पर चीन के तीन बड़ी कंपनियों या बैट(बीएटी) के रुप में जाना जाता है. लेकिन कुछ चीनी टेक दिग्गजों और उनके मोबाइल एप्लिकेशन को यूएस और अन्य शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होने के कारण चीनी ब्रांड के रूप में अच्छी तरह से नहीं जाना जाता है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल और डीजल के दाम दूसरे दिन भी स्थिर, जानें महानगरों में कीमतें

उदाहरण के लिए 59 प्रतिबंधित मोबाइल ऐप की सूची में शामिल कई लोकप्रिय मोबाइल एप्लिकेशन न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज चीता मोबाइल (स्टॉक टिकर सीएमसीएम) में सूचीबद्ध कंपनी के हैं.

चीता मोबाइल कंपनी चीता मोबाइल ब्राउजर, सुरक्षा मास्टर, क्लीन मास्टर (स्मार्ट फोन से जंक फ़ाइलों को साफ करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन) जैसे ऐप का मालिक है. लेकिन इन ऐप में उनके उपयोग और कार्यों के अनुसार अंग्रेजी या पश्चिमी नाम हैं. जिससे इसके चीनी होने का कोई स्पष्ट संबंध नहीं हो पाता है.

मुंबई स्थित विदेश नीति थिंकटैंक द गेटवे हाउस के अमित भंडारी का कहना है कि यूएस स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होने के कारण इन चीनी टेक कंपनियों को कई बार पहचानना मुश्किल हो जाता है.

उन्होंने ईटीवी भारत को बताया, "प्रौद्योगिकी कंपनियों के मामले में चीन के पूरी तरह से बाहर आने के बारे में संदेह है. यह लंबे समय से फुसफुसा रहा है कि डेटा सुरक्षित नहीं है."

कुछ ही लोगों को पता है कि चीता मोबाइल भारत के स्मार्टफोन बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी के साथ चीनी हैंडसेट निर्माता कंपनी श्याओमी से जुड़ा हुआ है.

श्याओमी अपने फोन को तीन अलग-अलग ब्रांडों रेडमी फोन, एमआई फोन और पोको फोन के तहत बाजार में उतारता है. साथ ही इसके एप्स एमआई-पे, एमआई-वीडियो, एमआई-स्टोर और एमआई-ब्राउसर के नाम से पहले से ही इंस्टॉल रहते हैं.

हालांकि, सरकार द्वारा प्रतिबंध करने से पहले श्याओमी और उसके संस्थापक लेई जून के चीता मोबाइल के बारे में कम जागरूकता थी. जिसके कारण क्लीन मास्टर, सिक्योरिटी मास्टर, चीता गेम्स, चीता कीबोर्ड, फोटो ग्रिड और कुछ अन्य ऐप को विशिष्ट रूप से चीनी ऐप नहीं माना जाता था.

चीता मोबाइल का मुख्यालय बीजिंग में है लेकिन अमेरिका में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है. चीता मोबाइल को 2010 में किंग्सॉफ्ट नेटवर्क और कॉन इमेज के विलय के बाद बनाया गया था. बाद में कंपनी का नाम बदलकर चीता मोबाइल कर दिया गया.

गेटवे हाउस की रिपोर्ट: चाइना स्ट्रेटेजिक टेक डेप्थ इन इंडिया के सह-लेखक अमित भंडारी का कहना है कि पश्चिमी कंपनियों के लिए भारत में प्रवेश करना और संचालित करना बेहद आसान है. जिसका फायदा ये कंपनियां उठाती हैं.

गेटवे हाउस की एक अलग रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में भारतीय उपयोगकर्ताओं द्वारा डाउनलोड किए गए लगभग आधे ऐप चीनी इंटरनेट कंपनियों से जुड़ें थे और गोपनीयता जोखिमों से भरे पड़े थे.

अमेरिका की कंपनी जूम वीडियो कम्युनिकेशंस इंक जो लोकप्रिय ऑनलाइन वीडियो मीटिंग ऐप जूम का मालिक है, उसे भी डेटा की गोपनीयता पर सवालों का सामना करना पड़ा क्योंकि डेटा चीन के माध्यम से रूट किया गया था.

पिछले महीने इन आलोचनाओं ने इसके संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिक एस युआन को एक ब्लॉग पोस्ट में दावा करने के लिए प्रेरित किया कि उन्होंने 2007 में अमेरिकी नागरिकता ले ली और उनकी कंपनी जूम एक अमेरिकी कंपनी थी, न कि चीनी.

अमेरिकी अधिकारियों द्वारा फरवरी 2019 में संकलित आंकड़ों के अनुसार यूएस स्टॉक बाजारों में 156 चीनी कंपनियां सूचीबद्ध थीं. इस सूची में अलीबाबा, टेनसेंट, बाइडू, वेइबो कॉर्पोरेशन और चीता मोबाइल जैसी कंपनियां शामिल थीं.

(लेखक- कृष्णानन्द त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार)

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