वंदे भारत एक्सप्रेस के पहले सफर पर केंद्रीय रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल इसमें यात्रा करने वाले अधिकारियों और मिडिया कर्मियों के दल का नेतृत्व करेंगे. यह गाड़ी बीच रास्ते में कानपुर और इलाहाबाद में रुकेगी जहां गणमान्य लोग और आम नागरिक इसके स्वागत में मौजूद रहेंगे.
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वंदे भारत एक्सप्रेस 160 किलो मीटर प्रति घंटे तक की तेज रफ्तार ले सकती है. इसमें यात्रियों के लिए शताब्दी रेल गाड़ी की तरह विभिन्न श्रेणियां बनाई गई हैं लेकिन यात्री सुविधाएं उससे बेहतर हैं. सोमवार और गुरूवार को छोड़कर अन्य सभी दिन चलने वाली यह गाड़ी दिल्ली और वाराणसी के बीच की दूरी महज 8 घंटे में पूरी कर लेगी.
वंदे भारत एक्सप्रेस के सभी डिब्बों में स्वचालित दरवाजे, जीपीएस आधारित दृश्य-श्रव्य यात्री सूचना प्रणाली, मनोरंजन के लिए वाई-फाई सेवा तथा आरामदायक सीटें लगाई गईं हैं. गाड़ी के सभी शौचालय बायो-वैक्यूम प्रणाली से बने हैं. डिब्बों में दो प्रकार की प्रकाश सुविधा दी गई है, जो डिब्बे में सभी के लिए सामान्य प्रकाश की सुविधा और हर सीट पर अलग से प्रकाश की व्यवस्था के रूप में है.
इस ट्रेन के सभी डिब्बों में गर्मा-गर्म खाना और शीतल पेय परोसने के लिए पैन्ट्री सुविधा उपलब्ध कराई गई है. यात्रियों के अतिरिक्त आराम के लिए डिब्बों में गर्मी और ध्वनि से बचाव की विशेष व्यवस्था की गई है.
वंदे भारत एक्सप्रेस में 16 वातानुकूलित डिब्बे हैं जिनमें से 2 एक्जीक्यूटिव श्रेणी के हैं. गाड़ी की कुल यात्री क्षमता 1,128 है. सभी डिब्बों में बिजली के उपकरण, सीट और डिब्बों के नीचे लगाए गए हैं. कार्बन फुटप्रिंट रोकने के लिए रेल गाड़ी में री-जेनरेटिव ब्रेक प्रणाली लगाई गई है जिससे 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक ऊर्जा की बचत होगी.
गति, सुरक्षा और सुविधा इस गाड़ी की पहचान है. गाड़ी के डिब्बों की डिजाइनिंग और निर्माण महज 18 महीनों में चेन्नई के एकीकृत रेल कोच फैक्ट्री में किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेक-इन-इंडिया परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए गाड़ी के ज्यादातर हिस्सों का डिजाइन और निर्माण देश में ही किया गया है. कम से कम खर्च में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप यात्री सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करने के मामले में यह गाड़ी वैश्विक रेल कारोबार में एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखती है.