नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को वोडाफोन आइडिया को आंशिक राहत देते हुये आयकर विभाग को निर्देश दिया कि वह कर निर्धारण वर्ष 2014-15 के लिये उसे 733 करोड़ रुपए वापस करें. आय कर विभाग को चार सप्ताह के भीतर यह रकम लौटानी है. हालांकि, वोडाफोन आइडिया, जो पहले वोडाफोन मोबाइल सर्विसेज लि. थी, ने कर निर्धारण वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17 और 2017-18 के लिये 4,759.07 करोड़ रुपए का रिफण्ड मांगा था.
शीर्ष अदालत ने वर्ष 2014-15 के अलावा किसी अन्य कर निर्धारण वर्ष के बारे में आय कर रिफण्ड का कोई आदेश नहीं दिया है. न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन ने अपने फैसले में कहा कि जहां तक कर निर्धारण वर्ष 2014-15 का संबंध है तो आयकर कानून की धारा 143(3) के तहत पारित फाइनल कर निर्धारण आदेश से पता चलता है कि दूरसंचार फर्म 733 करोड़ रुपए के रिफण्ड की हकदार है जबकि कर निर्धारण वर्ष 2015-16 में 582 करोड़ रुपए की मांग की गयी है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि अपेक्षित कार्रवाई अभी तक शुरू ही नहीं की गयी है, इसलिए हम इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे. ऐसी स्थिति में हम निर्देश देते हैं कि अपीलकर्ता दूरसंचार फर्म को चार सप्ताह के भीतर 733 करोड़ रुपए वापस किये जायें.
पीठ ने आय कर विभाग को यह निर्देश भी दिया कि कर निर्धारण वर्ष 2016-17 और 2017-18 के लिये दूरसंचार फर्म की रिफण्ड की मांग से संबंधित कार्यवाही यथाशीघ्र पूरी की जाये. पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इन निर्देशों के अलावा उसे अपीलकर्ता की दलीलों में कोई मेरिट नजर नहीं आती. इसलिए अपील खारिज की जाती है.
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वोडाफोन आइडिया ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी. उच्च न्यायालय ने दूरसंचार कंपनी की वह याचिका खारिज कर दी थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसके आयकर रिफण्ड के मामले में आयकर विभाग निष्क्रिय है.
(पीटीआई-भाषा)