नई दिल्ली: वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम ने कहा है कि प्रस्तावित क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) करार रोजगार को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए. साथ ही यह सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल को भी चोट पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए.
सियाम का यह बयान आरसीईपी ब्लाक के वाणिज्य मंत्रियों की बैंकॉक में बैठक से पहले आया है. आरसीईपी के वाणिज्य मंत्रियों की बैठक 12 अक्टूबर को बैंकॉक में हो रही है. इस बैठक में आरसीईपी के मंत्री निवेश, ई-कॉमर्स, उत्पाद के मूल स्थान और व्यापार उपचार के मुद्दों पर विचार विमर्श करेंगे.
सियाम ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ प्राप्त करने के लिए कुछ देना पड़ता है. इस तरह के व्यापार करार के तहत पूर्ण वाहनों की पूर्ण निर्मित इकाइयों (सीबीयू) के आयात की अनुमति नहीं होनी चाहिए. सियाम के अध्यक्ष राजन वढ़ेरा ने कहा कि वैश्विक व्यापार का हिस्सा होने की वजह से कुछ प्राप्त करने के लिए कुछ देना भी पड़ता है.
ये भी पढ़ें: घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर में 23.7% घटी, लगातार 11वें महीने गिरावट
"हम यह कह रहे हैं कि सरकार को दो चीजों का ध्यान रखना होगा. मुझे भरोसा है कि सरकार ऐसा करेगी. आरसीईपी जैसी व्यापार व्यवस्था में न तो रोजगार का नुकसान होना चाहिए और न ही इससे मेक इन इंडिया को नुकसान पहुंचना चाहिए.
आरसीईपी ब्लॉक में दस आसियान देश, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यामां, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस और वियतनाम तथा उनके छह मुक्त व्यापार भागीदार भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आते हैं.
वढ़ेरा ने कहा कि आरसीइपी के तहत सीबीयू आयात की बिल्कुल अनुमति नहीं होनी चाहिए.