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शहरी अपशिष्ट प्रबंधन के पीपीपी मॉडल को 5 अरब डॉलर सालाना निवेश की जरूरत - एमएसडब्ल्यूएम

इस रिपोर्ट का शीर्षक 'द बिग 'डब्ल्यू' प्रभाव : भारत में प्रभावी शहरी अपशिष्ट प्रबंधन समाधान' है. इसमें ए क व्यापक और दूरंदेशी नीति का सुझाव दिया गया है जो एक आधुनिक और स्वस्थ शहरी जीवन की तरफ बदलाव को गति प्रदान कर सके.

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Published : Apr 22, 2019, 8:56 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय शहरों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एमएसडब्ल्यूएम) के कार्यान्वयन के लिए हर साल 5 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. उद्योग चैंबर एसोचैम और ब्रिटेन की बहुराष्ट्रीय सलाहकार अर्नस्ट एंड यंग (ईवाई) के संयुक्त रिपोर्ट में रविवार को यह जानकारी दी गई.

इस रिपोर्ट का शीर्षक 'द बिग 'डब्ल्यू' प्रभाव : भारत में प्रभावी शहरी अपशिष्ट प्रबंधन समाधान' है. इसमें ए क व्यापक और दूरंदेशी नीति का सुझाव दिया गया है जो एक आधुनिक और स्वस्थ शहरी जीवन की तरफ बदलाव को गति प्रदान कर सके.

रिपोर्ट में कहा गया, "हमें यह सुनिश्चित करने के लिए उचित नीति की जरूरत होगी कि अपशिष्ट प्रबंधन आर्थिक चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है."

इसमें कहा गया कि शौचालय बनाने और खुले में शौच की समस्या का समाधान करने के अलावा सरकार स्वच्छ भारत कार्यक्रम में अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर देने इसका मूल्यवर्धन होगा.

रिपोर्ट में कहा गया कि चूंकि उचित सेवा वितरण और मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की होती है, इसलिए इनकी खुद की वित्तीय क्षमता और प्रबंधन क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि वे निजी क्षेत्र को ठेका दे सकें और उनके द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की निगरानी कर सकें.
ये भी पढ़ें : वाणिज्यिक बैंकों के 5डे वर्किंग की खबरें गलत : आरबीआई

नई दिल्ली : भारतीय शहरों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एमएसडब्ल्यूएम) के कार्यान्वयन के लिए हर साल 5 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. उद्योग चैंबर एसोचैम और ब्रिटेन की बहुराष्ट्रीय सलाहकार अर्नस्ट एंड यंग (ईवाई) के संयुक्त रिपोर्ट में रविवार को यह जानकारी दी गई.

इस रिपोर्ट का शीर्षक 'द बिग 'डब्ल्यू' प्रभाव : भारत में प्रभावी शहरी अपशिष्ट प्रबंधन समाधान' है. इसमें ए क व्यापक और दूरंदेशी नीति का सुझाव दिया गया है जो एक आधुनिक और स्वस्थ शहरी जीवन की तरफ बदलाव को गति प्रदान कर सके.

रिपोर्ट में कहा गया, "हमें यह सुनिश्चित करने के लिए उचित नीति की जरूरत होगी कि अपशिष्ट प्रबंधन आर्थिक चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है."

इसमें कहा गया कि शौचालय बनाने और खुले में शौच की समस्या का समाधान करने के अलावा सरकार स्वच्छ भारत कार्यक्रम में अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर देने इसका मूल्यवर्धन होगा.

रिपोर्ट में कहा गया कि चूंकि उचित सेवा वितरण और मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की होती है, इसलिए इनकी खुद की वित्तीय क्षमता और प्रबंधन क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि वे निजी क्षेत्र को ठेका दे सकें और उनके द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की निगरानी कर सकें.
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नई दिल्ली : भारतीय शहरों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एमएसडब्ल्यूएम) के कार्यान्वयन के लिए हर साल 5 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. उद्योग चैंबर एसोचैम और ब्रिटेन की बहुराष्ट्रीय सलाहकार अर्नस्ट एंड यंग (ईवाई) के संयुक्त रिपोर्ट में रविवार को यह जानकारी दी गई.

इस रिपोर्ट का शीर्षक 'द बिग 'डब्ल्यू' प्रभाव : भारत में प्रभावी शहरी अपशिष्ट प्रबंधन समाधान' है. इसमें ए क व्यापक और दूरंदेशी नीति का सुझाव दिया गया है जो एक आधुनिक और स्वस्थ शहरी जीवन की तरफ बदलाव को गति प्रदान कर सके.

रिपोर्ट में कहा गया, "हमें यह सुनिश्चित करने के लिए उचित नीति की जरूरत होगी कि अपशिष्ट प्रबंधन आर्थिक चक्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है."

इसमें कहा गया कि शौचालय बनाने और खुले में शौच की समस्या का समाधान करने के अलावा सरकार स्वच्छ भारत कार्यक्रम में अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर देने इसका मूल्यवर्धन होगा.

रिपोर्ट में कहा गया कि चूंकि उचित सेवा वितरण और मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की होती है, इसलिए इनकी खुद की वित्तीय क्षमता और प्रबंधन क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि वे निजी क्षेत्र को ठेका दे सकें और उनके द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की निगरानी कर सकें.

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