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प्याज के दाम 150 रुपये प्रति किलो के करीब

प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से पहले से ही घरों में इसकी खपत कम कर दी गई है. जो लोग महीने के पांच से छह किलो प्याज लेते थे उन्होंने इसे घटाकर एक से दो किलो कर दिया है. वहीं, कुछ होटलों ने प्याज के व्यंजनों पर अतिरिक्त पैसा वसूलना शुरू कर दिया. पढ़िए पूरी खबर...

प्याज के दाम 150 रुपये प्रति किलो के करीब
प्याज के दाम 150 रुपये प्रति किलो के करीब
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Published : Dec 4, 2019, 6:26 PM IST

Updated : Dec 4, 2019, 11:32 PM IST

कोलकाता/नासिक: देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमतें 150 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब आ गई हैं. देश के एक प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्र नासिक में थोक कीमतें 13,000 रुपये प्रति क्विंटल है, यानी 130 रुपये प्रति किलोग्राम. इन दामों को देखने के बाद व्यापारियों और आम लोगों को डर है कि यह कीमतें जल्द ही खुदरा बाजार में भी देखने को मिलेंगी.

देखिए विशेष रिपोर्ट.
प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से पहले से ही घरों में इसकी खपत कम कर दी गई है. जो लोग महीने के पांच से छह किलो प्याज लेते थे उन्होंने इसे घटाकर एक से दो किलो कर दिया है. वहीं, कुछ होटलों ने प्याज के व्यंजनों पर अतिरिक्त पैसा वसूलना शुरू कर दिया.

ये भी पढ़ें- प्याज के बढ़ते दाम के बीच सरकार ने व्यापारियों की स्टॉक सीमा घटाई

इन सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि अब प्याज की चोरी की खबरें भी आने लगी है. मध्य प्रदेश के मंदसौर में तो खेतों से ही 30 हजार के फसल की चोरी हो गई.

आखिर क्यों बढ़ रही है प्याज की कीमतें?
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इस मानसून के मौसम में भारी बारिश होने की वजह से फसल बर्बाद हो गई है.

इन राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई जिसका असर प्याज के दामों पर देखने को मिल रहा है. महाराष्ट्र में सामान्य से डेढ़ गुना अधिक वर्षा हुई, वहीं गुजरात में दो गुना. मध्य प्रदेश और गुजरात की बात करें तो यहां सामान्य से 70 फीसदी और तेलंगाना में 65 फीसदी अधिक बारिश हुई है.

अधिक वर्षा से प्याज की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में बाजारों में पहुंचने वाली गर्मियों की फसल अभी भी खेतों में पड़ी है. इसी सप्लाई और डिमांड के बीच बेमेल से कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है.

बिचौलियों की भूमिका
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु से संबंधित तथ्यों से ज्यादा जिम्मेवार बिचौलियें हैं.

वीआईटी वेल्लोर के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ अल्ली पी ने कहा कि देश में प्याज की आपूर्ति श्रृंखला पर नज़र रखने वाले उनके शोध ने यह निष्कर्ष निकाला है कि प्याज की कीमतों में 1998 से उतार-चढ़ाव हो रहा है. इसके लिए मांग-आपूर्ति की बाधाओं के साथ-साथ बिचौलियों भी कई हद तक जिम्मेवार है.

उन्होंने आगे कहा कि बाजारों में प्याज की आवक का मूल्य वृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है. जबकि किसान जो मुख्य उत्पादक हैं उन्हें केवल 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम मिलते हैं और मुनाफे खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं की जेब में जाते हैं.

आयात पर निर्भरता
नवंबर में मोदी सरकार ने प्याज की घरेलू उपलब्धता में सुधार करने और कीमतों की जांच करने के लिए 1.2 लाख टन प्याज आयात करने की स्वीकृति दी थी. हालांकि, दिसंबर के अंत तक यह स्टॉक आ जाएगा और जबतक यह नहीं आता तबतक आम-आदमी के लिए कोई राहत नहीं है.

कोलकाता/नासिक: देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमतें 150 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब आ गई हैं. देश के एक प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्र नासिक में थोक कीमतें 13,000 रुपये प्रति क्विंटल है, यानी 130 रुपये प्रति किलोग्राम. इन दामों को देखने के बाद व्यापारियों और आम लोगों को डर है कि यह कीमतें जल्द ही खुदरा बाजार में भी देखने को मिलेंगी.

देखिए विशेष रिपोर्ट.
प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से पहले से ही घरों में इसकी खपत कम कर दी गई है. जो लोग महीने के पांच से छह किलो प्याज लेते थे उन्होंने इसे घटाकर एक से दो किलो कर दिया है. वहीं, कुछ होटलों ने प्याज के व्यंजनों पर अतिरिक्त पैसा वसूलना शुरू कर दिया.

ये भी पढ़ें- प्याज के बढ़ते दाम के बीच सरकार ने व्यापारियों की स्टॉक सीमा घटाई

इन सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि अब प्याज की चोरी की खबरें भी आने लगी है. मध्य प्रदेश के मंदसौर में तो खेतों से ही 30 हजार के फसल की चोरी हो गई.

आखिर क्यों बढ़ रही है प्याज की कीमतें?
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इस मानसून के मौसम में भारी बारिश होने की वजह से फसल बर्बाद हो गई है.

इन राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई जिसका असर प्याज के दामों पर देखने को मिल रहा है. महाराष्ट्र में सामान्य से डेढ़ गुना अधिक वर्षा हुई, वहीं गुजरात में दो गुना. मध्य प्रदेश और गुजरात की बात करें तो यहां सामान्य से 70 फीसदी और तेलंगाना में 65 फीसदी अधिक बारिश हुई है.

अधिक वर्षा से प्याज की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में बाजारों में पहुंचने वाली गर्मियों की फसल अभी भी खेतों में पड़ी है. इसी सप्लाई और डिमांड के बीच बेमेल से कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है.

बिचौलियों की भूमिका
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु से संबंधित तथ्यों से ज्यादा जिम्मेवार बिचौलियें हैं.

वीआईटी वेल्लोर के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ अल्ली पी ने कहा कि देश में प्याज की आपूर्ति श्रृंखला पर नज़र रखने वाले उनके शोध ने यह निष्कर्ष निकाला है कि प्याज की कीमतों में 1998 से उतार-चढ़ाव हो रहा है. इसके लिए मांग-आपूर्ति की बाधाओं के साथ-साथ बिचौलियों भी कई हद तक जिम्मेवार है.

उन्होंने आगे कहा कि बाजारों में प्याज की आवक का मूल्य वृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है. जबकि किसान जो मुख्य उत्पादक हैं उन्हें केवल 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम मिलते हैं और मुनाफे खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं की जेब में जाते हैं.

आयात पर निर्भरता
नवंबर में मोदी सरकार ने प्याज की घरेलू उपलब्धता में सुधार करने और कीमतों की जांच करने के लिए 1.2 लाख टन प्याज आयात करने की स्वीकृति दी थी. हालांकि, दिसंबर के अंत तक यह स्टॉक आ जाएगा और जबतक यह नहीं आता तबतक आम-आदमी के लिए कोई राहत नहीं है.

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प्याज के दाम 150 रुपये प्रति किलो के करीब 

कोलकाता/नासिक: देश के कई हिस्सों में प्याज की कीमतें 150 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब आ गई हैं. देश के एक प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्र नासिक में थोक कीमतें 13,000 रुपये प्रति क्विंटल है, यानी 130 रुपये प्रति किलोग्राम. इन दामों के देखने के बाद व्यापारियों और आम लोगों को डर है कि कीमतें जल्द ही खुदरा बाजार में भी देखने को मिलेंगी. 

प्याज की बढ़ती कीमतों की वजह से पहले से ही घरों में इसकी खपत कम कर दी गई है. जो लोग महीने के पांच से छह किलो प्याज लेते थे उन्होंने इसे घटाकर एक से दो किलो कर दिया है. वहीं, कुछ होटलों ने प्याज के व्यंजनों पर अतिरिक्त पैसा वसूलना शुरू कर दिया.

इन सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि अब प्याज की चोरी की खबरें भी आने लगी है. मध्य प्रदेश के मंदसौर में तो खेतों से ही 30 हजार के फसल की चोरी हो गई. 



आखिर क्यो बढ़ रही है प्याज की कीमतें?

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में इस मानसून के मौसम में भारी बारिश होने की वजह से फसल बर्बाद हो गई है. 

इन राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई जिसका असर प्याज के दामों पर देखने को मिल रहा है. महाराष्ट्र में सामान्य से डेढ़ गुना अधिक वर्षा हुई, वहीं गुजरात में दो गुना. मध्य प्रदेश और गुजरात की बात करें तो यहां सामान्य से 70 फीसदी और तेलंगाना में 65 फीसदी अधिक बारिश हुई है. 

अधिक वर्षा से प्याज की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है. अक्टूबर के पहले सप्ताह में बाजारों में पहुंचने वाली गर्मियों की फसल अभी भी खेतों में पड़ी है. इसी सप्लाई और डिमांड के बीच बेमेल से कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. 

बिचौलियों की भूमिका

विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु से संबंधित तथ्यों से ज्यादा जिम्मेवार बिचौलियें हैं.

वीआईटी वेल्लोर के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर डॉ अल्ली पी ने कहा कि देश में प्याज की आपूर्ति श्रृंखला पर नज़र रखने वाले उनके शोध ने यह निष्कर्ष निकाला है कि प्याज की कीमतों में 1998 से उतार-चढ़ाव हो रहा है. इसके लिए मांग-आपूर्ति की बाधाओं के साथ-साथ बिचौलियों भी कई हद तक जिम्मेवार है.

उन्होंने आगे कहा कि बाजारों में प्याज की आवक का मूल्य वृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है. जबकि किसान जो मुख्य उत्पादक हैं उन्हें केवल 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम मिलते हैं और मुनाफे खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं की जेब में जाते हैं.



आयात पर निर्भरता

नवंबर में मोदी सरकार ने प्याज की घरेलू उपलब्धता में सुधार करने और कीमतों की जांच करने के लिए 1.2 लाख टन प्याज आयात करने की स्वीकृति दी थी. हालांकि, दिसंबर के अंत तक यह स्टॉक आ जाएगा और जबतक यह नहीं आता तबतक आम-आदमी के लिए कोई राहत नहीं है.


Conclusion:
Last Updated : Dec 4, 2019, 11:32 PM IST
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