नई दिल्ली: नीति आयोग ने दोपहिया एवं तिपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों को 2025 की समयसीमा को ध्यान में रखते हुए बैटरी वाहनों को अपनाने के लिए उठाये जाने वाले ठोस कदमों के बारे में दो सप्ताह के भीतर सुझाव देने को कहा. नीति आयोग की ओर से विनिर्माताओं एवं ई-वाहन बनाने वाली स्टार्टअप कंपनियों की बैठक में उद्योग को आगाह किया गया कि अगर वे प्रदूषण की समस्या को दूर करने के लिए कदम नहीं उठाती हैं तो अदालतें हस्तक्षेप करेंगी.
बजाज आटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज, टीवीएस मोटर के को-चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन, होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (एचएमएसआई) के अध्यक्ष एवं सीईओ मिनोरु कातो, सियाम के महानिदेशक विष्णु माथुर और एक्मा के महानिदेशक विन्नी मेहता सहित दोपहिया वाहन बनाने वाली प्रमुख कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया.
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नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने आयोग का प्रतिनिधित्व किया. बाद में कांत ने ट्विटर पर लिखा, "देश में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को लेकर उद्योग के साथ चर्चा हुई. भारत वैश्विक स्तर पर विद्युत वाहनों की क्रांति की अगुवाई करने की ओर बढ़ रहा है."
कांत के अनुसार बैठक में कुमार के अलावा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव और भारी उद्योग सचिव भी शामिल हुए.
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "नीति या प्रारूप के अभाव में ई-वाहन को अपनाना संभव नहीं है. नीतियों को अस्पष्ट नहीं रखा जा सकता. दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित 15 शहरों में 14 शहर भारत के हैं. ऐसे में सरकार और उद्योग की ओर से कदम नहीं उठाये गए तो भारत की अदालतें हस्तक्षेप करेंगी."
नीति आयोग ने 2023 तक पूरी तरह बैटरी से चलने वाले तिपहिया वाहनों को अपनाने का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा 2025 तक 150 सीसी तक के दोपहिया वाहनों को पूरी तरह बैटरी आधारित करने की योजना है.
अधिकारी ने कहा कि भारत पहले ही इलेक्ट्रॉनिक क्रांति एवं सेमी-कंडक्टर क्रांति को अपनाने में चूक गया था. ऐसे में उसे ई-वाहन क्षेत्र में क्रांति के अवसर को नहीं गंवाना चाहिए. अगर स्थापित कंपनियां ऐसा नहीं करती हैं तो स्टार्टअप कंपनियां ऐसा करेंगी। चीन में ऐसा पहले ही हो चुका है.