नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019 में गैर-बैंकिंग लोन से वाणिज्यिक क्षेत्र को लोन के आदान-प्रदान में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट के लिए, आईएल एंड एफएस समूह के पतन और बैंकिंग क्षेत्र में निराशा को जिम्मेदार ठहराया है.
एनबीएफसी से वाणिज्यिक लोन का आदान-प्रदान वित्त वर्ष 2019 में 9.34 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 18 के उच्चतर 11.60 लाख करोड़ रुपये से नीचे है. आरबीआई ने गुरुवार को जारी 2019 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक "महत्वपूर्ण एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, विशेष रूप से आईएल एंड एफएस गिरने के बाद, गैर-बैंकिंग संस्थाओं से आदान-प्रदान में गिरावट की मुख्य वजह माना जाता है.
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वित्त वर्ष 2015 की पहली तिमाही में गिरावट जारी रही और साथ ही एनबीएफसी द्वारा वाणिज्यिक क्षेत्र को उधार देने के साथ वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में गिरावट 2.83 लाख करोड़ रुपये से 2.44 लाख करोड़ रुपये हो गई.
विशेष रूप से एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और म्यूचुअल फंडों के लिए, सितंबर 2018 से शुरू होने वाले आईएल एंड एफएस द्वारा कैश-स्ट्रैप्ड डिफॉल्ट की एक सीरीज ने सिस्टम में तरलता संकट को पैदा कर दिया.
इन्सॉल्वेंसी प्रोसेस के तहत आईएल एंड एफएस ग्रुप का, सिस्टम पर 99,000 करोड़ रुपए बकाया है.