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जालान समिति 13 जून को करेगी अगली बैठक: गर्ग - आरबीआई

गर्ग की अध्यक्षता में गठित समिति को क्रिप्टोकरेंसी तथा क्रिप्टो संपत्ति की सभी पहलुओं का अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया था. इससे पहले, दिन में उन्होंने कहा कि भारत ने वस्तुओं की खपत पर आधारित कंपनी के लाभ पर कर लगाने का समर्थन किया है और न कि उसकी भौतिक मौजूदगी पर.

जालान समिति 13 जून को करेगी अगली बैठक: गर्ग
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Published : May 30, 2019, 9:32 PM IST

नई दिल्ली: वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक के उपयुक्त पूंजी भंडार के बारे में निर्णय करने को लेकर गठित बिमल जालान समिति की अगली बैठक 13 जून को होगी. आरबीआई के पूर्व गवर्नर की अध्यक्षता वाली में समिति में सदस्य गर्ग ने कहा कि रिपोर्ट को अबतक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

उन्होंने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में कहा, "वे अभी चर्चा कर रहे हैं. समिति के पास अभी तीन महीने का और समय है. चर्चा अभी जारी है. अगली बैठक 13 जून को होगी." छह सदस्यीय जालान समिति का गठन 26 दिसंबर 2018 को आरबीआई के लिये आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा के लिये किया गया.

ये भी पढ़ें: ट्राई प्रमुख को भरोसा, नई सरकार दूरसंचार क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाएगी

समिति को शुरू में तीन महीने का समय दिया गया था. बाद में समयसीमा बढ़ायी गयी. क्रिप्टोकरेंसी नियमन पर गर्ग ने कहा कि रिपोर्ट तैयार है और जल्दी ही वित्त मंत्री को सौंपी जाएगी. उन्होंने कहा, "हम जल्दी ही रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंपेंगे. मंजूरी मिलने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा."

गर्ग की अध्यक्षता में गठित समिति को क्रिप्टोकरेंसी तथा क्रिप्टो संपत्ति की सभी पहलुओं का अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया था. इससे पहले, दिन में उन्होंने कहा कि भारत ने वस्तुओं की खपत पर आधारित कंपनी के लाभ पर कर लगाने का समर्थन किया है और न कि उसकी भौतिक मौजूदगी पर. इस कदम से भारत को लाभ हो सकता है जो दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है.

सरकार जी20 के सदस्य देशों के समक्ष इस बारे में बातें रखी लेकिन इस विचार का कई देशों ने विरोध किया है. गर्ग ने कहा कि वस्तुओं को खरीदने वाले वास्तव में कंपनी के लाभ में काफी योगदान करते हैं. इसीलिए कराधान खपत आधारित होना चाहिए. फिर, वस्तुओं और सेवाओं की डिलिवरी चाहे किसी माध्यम से हो.

उन्होंने कहा, "एक बहुराष्ट्रीय कंपनी जो भारत में भौतिक रूप से अपनी उपस्थिति के बिना देश से बड़ी आय अर्जित कर सकती हैं. इसका मतलब है कि अगर कराधान खपत आधारित नहीं होगी तो कंपनी को भारत में अपनी कमाई पर कुछ भी कर नहीं देने की जरूरत नहीं होती है."

इसी सदर्भ में उन्होंने उदाहरण दिया कि, "नेटफ्लिक्स भारत में काफी मनोरंजन सामग्री बेच रही है, लेकिन संभवत: उसका एक छोटा दफ्तर भी यहां नहीं है." उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा पेश कर देश गंतव्य आधारित कराधान की ओर बढ़ा है. गर्ग ने कहा कि भारत वैश्विक कराधान प्रणाली में संतुलन लाने के लिये इस एजेंडा को आगे बढ़ाएगा.

नई दिल्ली: वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक के उपयुक्त पूंजी भंडार के बारे में निर्णय करने को लेकर गठित बिमल जालान समिति की अगली बैठक 13 जून को होगी. आरबीआई के पूर्व गवर्नर की अध्यक्षता वाली में समिति में सदस्य गर्ग ने कहा कि रिपोर्ट को अबतक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

उन्होंने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में कहा, "वे अभी चर्चा कर रहे हैं. समिति के पास अभी तीन महीने का और समय है. चर्चा अभी जारी है. अगली बैठक 13 जून को होगी." छह सदस्यीय जालान समिति का गठन 26 दिसंबर 2018 को आरबीआई के लिये आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा के लिये किया गया.

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समिति को शुरू में तीन महीने का समय दिया गया था. बाद में समयसीमा बढ़ायी गयी. क्रिप्टोकरेंसी नियमन पर गर्ग ने कहा कि रिपोर्ट तैयार है और जल्दी ही वित्त मंत्री को सौंपी जाएगी. उन्होंने कहा, "हम जल्दी ही रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंपेंगे. मंजूरी मिलने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा."

गर्ग की अध्यक्षता में गठित समिति को क्रिप्टोकरेंसी तथा क्रिप्टो संपत्ति की सभी पहलुओं का अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया था. इससे पहले, दिन में उन्होंने कहा कि भारत ने वस्तुओं की खपत पर आधारित कंपनी के लाभ पर कर लगाने का समर्थन किया है और न कि उसकी भौतिक मौजूदगी पर. इस कदम से भारत को लाभ हो सकता है जो दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है.

सरकार जी20 के सदस्य देशों के समक्ष इस बारे में बातें रखी लेकिन इस विचार का कई देशों ने विरोध किया है. गर्ग ने कहा कि वस्तुओं को खरीदने वाले वास्तव में कंपनी के लाभ में काफी योगदान करते हैं. इसीलिए कराधान खपत आधारित होना चाहिए. फिर, वस्तुओं और सेवाओं की डिलिवरी चाहे किसी माध्यम से हो.

उन्होंने कहा, "एक बहुराष्ट्रीय कंपनी जो भारत में भौतिक रूप से अपनी उपस्थिति के बिना देश से बड़ी आय अर्जित कर सकती हैं. इसका मतलब है कि अगर कराधान खपत आधारित नहीं होगी तो कंपनी को भारत में अपनी कमाई पर कुछ भी कर नहीं देने की जरूरत नहीं होती है."

इसी सदर्भ में उन्होंने उदाहरण दिया कि, "नेटफ्लिक्स भारत में काफी मनोरंजन सामग्री बेच रही है, लेकिन संभवत: उसका एक छोटा दफ्तर भी यहां नहीं है." उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा पेश कर देश गंतव्य आधारित कराधान की ओर बढ़ा है. गर्ग ने कहा कि भारत वैश्विक कराधान प्रणाली में संतुलन लाने के लिये इस एजेंडा को आगे बढ़ाएगा.

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नई दिल्ली: वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक के उपयुक्त पूंजी भंडार के बारे में निर्णय करने को लेकर गठित बिमल जालान समिति की अगली बैठक 13 जून को होगी. आरबीआई के पूर्व गवर्नर की अध्यक्षता वाली में समिति में सदस्य गर्ग ने कहा कि रिपोर्ट को अबतक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

उन्होंने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में कहा, "वे अभी चर्चा कर रहे हैं. समिति के पास अभी तीन महीने का और समय है. चर्चा अभी जारी है. अगली बैठक 13 जून को होगी." छह सदस्यीय जालान समिति का गठन 26 दिसंबर 2018 को आरबीआई के लिये आर्थिक पूंजी रूपरेखा की समीक्षा के लिये किया गया.

समिति को शुरू में तीन महीने का समय दिया गया था. बाद में समयसीमा बढ़ायी गयी. क्रिप्टोकरेंसी नियमन पर गर्ग ने कहा कि रिपोर्ट तैयार है और जल्दी ही वित्त मंत्री को सौंपी जाएगी. उन्होंने कहा, "हम जल्दी ही रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंपेंगे. मंजूरी मिलने के बाद इसे सार्वजनिक किया जाएगा."

गर्ग की अध्यक्षता में गठित समिति को क्रिप्टोकरेंसी तथा क्रिप्टो संपत्ति की सभी पहलुओं का अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया था. इससे पहले, दिन में उन्होंने कहा कि भारत ने वस्तुओं की खपत पर आधारित कंपनी के लाभ पर कर लगाने का समर्थन किया है और न कि उसकी भौतिक मौजूदगी पर. इस कदम से भारत को लाभ हो सकता है जो दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है.

सरकार जी20 के सदस्य देशों के समक्ष इस बारे में बातें रखी लेकिन इस विचार का कई देशों ने विरोध किया है. गर्ग ने कहा कि वस्तुओं को खरीदने वाले वास्तव में कंपनी के लाभ में काफी योगदान करते हैं. इसीलिए कराधान खपत आधारित होना चाहिए. फिर, वस्तुओं और सेवाओं की डिलिवरी चाहे किसी माध्यम से हो.

उन्होंने कहा, "एक बहुराष्ट्रीय कंपनी जो भारत में भौतिक रूप से अपनी उपस्थिति के बिना देश से बड़ी आय अर्जित कर सकती हैं. इसका मतलब है कि अगर कराधान खपत आधारित नहीं होगी तो कंपनी को भारत में अपनी कमाई पर कुछ भी कर नहीं देने की जरूरत नहीं होती है."

इसी सदर्भ में उन्होंने उदाहरण दिया कि, "नेटफ्लिक्स भारत में काफी मनोरंजन सामग्री बेच रही है, लेकिन संभवत: उसका एक छोटा दफ्तर भी यहां नहीं है." उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा पेश कर देश गंतव्य आधारित कराधान की ओर बढ़ा है. गर्ग ने कहा कि भारत वैश्विक कराधान प्रणाली में संतुलन लाने के लिये इस एजेंडा को आगे बढ़ाएगा.

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