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केंद्र का पैकेज राज्यों के लिए कितना महत्वपूर्ण

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Published : May 22, 2020, 5:01 PM IST

लॉकडाउन ने राज्यों को पंगु बना दिया है. राज्य अब राजस्व संकट का सामना कर रहे हैं. जिसके बाद सभी राज्यों ने अतिरिक्त धन के लिए केंद्र से अपील की है.

केंद्र का पैकेज राज्यों के लिए कितना महत्वपूर्ण
केंद्र का पैकेज राज्यों के लिए कितना महत्वपूर्ण

हैदराबाद: कोरोना महामारी ने राज्यों के संकटों को कई गुना बढ़ा दिया जो पहले से ही केंद्र से घटते समर्थन और राजस्व में गिरावट के कारण तबाह हो गए थे.

आठ सप्ताह के लॉकडाउन ने राज्यों को पंगु बना दिया है. यहां तक ​​कि वे अब राजस्व संकट का सामना करना शुरू चुके हैं. जिसके बाद सभी राज्यों ने अतिरिक्त धन के लिए केंद्र से अपील की है.

मुख्य मंत्रियों ने अतिरिक्त खर्च से निपटने के लिए राज्य की राजकोषीय घाटे की सीमा में छूट मांगी है. राजकोषीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के तहत, राज्यों को अपने वित्तीय घाटे को 3 प्रतिशत से कम रखने के लिए अनिवार्य है. लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए, राज्य चालू वित्त वर्ष के लिए अधिक छूट चाहते हैं.

ये भी पढ़ें- भारत की जीडीपी ग्रोथ 2020-21 में निगेटिव रह सकती है: आरबीआई

वास्तव में केंद्र के 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज से कोई भी राज्य लाभान्वित नहीं होता है. जबकि वित्तमंत्री राज्यों की उधार लेने की क्षमता को 5 प्रतिशत तक बढ़ाने का कदम प्रशंसनीय है लेकिन आगे बताई गई शर्तें अस्वीकार्य हैं.

इस वित्तीय वर्ष में राज्य पिछले 3 प्रतिशत की सीमा के तहत कुल 6.41 लाख करोड़ रुपये उधार ले सकते हैं. लेकिन राज्यों द्वारा अतिरिक्त 2 प्रतिशत उधार कुछ सुधारों के अधीन होगा. सीतारमण ने कहा कि इस 2 प्रतिशत के एक हिस्से को निर्दिष्ट, मापने योग्य और व्यवहार्य सुधारों से जोड़ा जाएगा.

राज्यों को पूर्ण 5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे में छूट पाने के लिए चार सुधार क्षेत्रों (जैसे एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, बिजली सुधार, आदि) में से कम से कम तीन में निर्धारित को प्राप्त करना होगा.

एक जुलाई, 2017 को जीएसटी की शुरुआत करते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने कहा था कि, "यह एक नया मोती है जिसे हम इस हार में जोड़ रहे हैं, जो एक भारत की भावना को मजबूत करता है." जीएसटी ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए मौजूदा कई करों को बदल दिया.

राज्यों के राजस्व का हिस्सा 2020-21 में 50.5 प्रतिशत घटकर 2014-15 में 55 प्रतिशत हो गया. हालांकि राज्य केंद्र से डेढ़ गुना अधिक खर्च करते हैं, जीएसटी ने एक ऐसी स्थिति को जन्म दिया है जहां राजस्व के लिए केंद्र पर राज्यों की निर्भरता बढ़ गई है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि 2015 और 2020 के बीच लगभग 6.84 लाख करोड़ रुपये की कमी थी, जो कि 14 वें वित्त आयोग के अनुमान से कहीं अधिक है.

राज्य सरकारों ने आरबीआई को वित्तीय सहायता पर ब्याज घटाने, केंद्रीय संस्थानों से लिए गए ऋणों को पुनर्निर्धारित करने और उन पर ब्याज माफ करने के लिए कहा है. लेकिन अभी तक आरबीआई या केंद्र की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है. साल 2018-19 की पहली तिमाही में केंद्र का शुद्ध राजस्व 1.27 लाख करोड़ रुपये था. केरल ने 8.96 प्रतिशत के बीच 15 साल पुराने बॉन्ड बेचे थे.

हैदराबाद: कोरोना महामारी ने राज्यों के संकटों को कई गुना बढ़ा दिया जो पहले से ही केंद्र से घटते समर्थन और राजस्व में गिरावट के कारण तबाह हो गए थे.

आठ सप्ताह के लॉकडाउन ने राज्यों को पंगु बना दिया है. यहां तक ​​कि वे अब राजस्व संकट का सामना करना शुरू चुके हैं. जिसके बाद सभी राज्यों ने अतिरिक्त धन के लिए केंद्र से अपील की है.

मुख्य मंत्रियों ने अतिरिक्त खर्च से निपटने के लिए राज्य की राजकोषीय घाटे की सीमा में छूट मांगी है. राजकोषीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के तहत, राज्यों को अपने वित्तीय घाटे को 3 प्रतिशत से कम रखने के लिए अनिवार्य है. लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए, राज्य चालू वित्त वर्ष के लिए अधिक छूट चाहते हैं.

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वास्तव में केंद्र के 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज से कोई भी राज्य लाभान्वित नहीं होता है. जबकि वित्तमंत्री राज्यों की उधार लेने की क्षमता को 5 प्रतिशत तक बढ़ाने का कदम प्रशंसनीय है लेकिन आगे बताई गई शर्तें अस्वीकार्य हैं.

इस वित्तीय वर्ष में राज्य पिछले 3 प्रतिशत की सीमा के तहत कुल 6.41 लाख करोड़ रुपये उधार ले सकते हैं. लेकिन राज्यों द्वारा अतिरिक्त 2 प्रतिशत उधार कुछ सुधारों के अधीन होगा. सीतारमण ने कहा कि इस 2 प्रतिशत के एक हिस्से को निर्दिष्ट, मापने योग्य और व्यवहार्य सुधारों से जोड़ा जाएगा.

राज्यों को पूर्ण 5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे में छूट पाने के लिए चार सुधार क्षेत्रों (जैसे एक राष्ट्र एक राशन कार्ड, बिजली सुधार, आदि) में से कम से कम तीन में निर्धारित को प्राप्त करना होगा.

एक जुलाई, 2017 को जीएसटी की शुरुआत करते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने कहा था कि, "यह एक नया मोती है जिसे हम इस हार में जोड़ रहे हैं, जो एक भारत की भावना को मजबूत करता है." जीएसटी ने केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए मौजूदा कई करों को बदल दिया.

राज्यों के राजस्व का हिस्सा 2020-21 में 50.5 प्रतिशत घटकर 2014-15 में 55 प्रतिशत हो गया. हालांकि राज्य केंद्र से डेढ़ गुना अधिक खर्च करते हैं, जीएसटी ने एक ऐसी स्थिति को जन्म दिया है जहां राजस्व के लिए केंद्र पर राज्यों की निर्भरता बढ़ गई है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि 2015 और 2020 के बीच लगभग 6.84 लाख करोड़ रुपये की कमी थी, जो कि 14 वें वित्त आयोग के अनुमान से कहीं अधिक है.

राज्य सरकारों ने आरबीआई को वित्तीय सहायता पर ब्याज घटाने, केंद्रीय संस्थानों से लिए गए ऋणों को पुनर्निर्धारित करने और उन पर ब्याज माफ करने के लिए कहा है. लेकिन अभी तक आरबीआई या केंद्र की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है. साल 2018-19 की पहली तिमाही में केंद्र का शुद्ध राजस्व 1.27 लाख करोड़ रुपये था. केरल ने 8.96 प्रतिशत के बीच 15 साल पुराने बॉन्ड बेचे थे.

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