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वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अरुण जेटली को 26 मई 2014 को वित्त मंत्रालय का प्रभार दिया. आइए भारत के वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली की प्रमुख उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं

वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स
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Published : Aug 24, 2019, 12:39 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 2:32 AM IST

हैदराबाद: वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने लंबे बीमारी के बाद आज अंतिम सांस ली. अरुण जेटली अपनी सभ्य राजनीति और कानूनी महारथ के लिए जाने जाते हैं. हालांकि उन्होंने सूचना और प्रसारण, रक्षा और कानून सहित केंद्र में कई विभागों को संभाला, लेकिन वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया.

वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अरुण जेटली को 26 मई 2014 को वित्त मंत्रालय का प्रभार दिया. अरुण जेटली ने 5 बार केंद्रीय बजट पेश किया और 29 फरवरी 2016 को एक लीप ईयर बजट भी पेश किया.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्रालय के अधिकारियों संग आज बैठक करेगा पीएमओ

आइए भारत के वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली की प्रमुख उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं:

  1. जेटली ने अपने कार्यकाल के दौरान लंबे समय से रूका हुआ अप्रत्यक्ष कर सुधार लागू किया. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 को प्रभावी रूप से लागू हुआ. जेटली ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को ऑन-बोर्ड लाने और जीएसटी अधिनियम को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो संवैधानिक निकाय का दर्जा जीएसटी परिषद को प्रदान करता है.
  2. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की स्थापना के लिए उसका जोर और महंगाई के खिलाफ उसका कड़ा रुख लेकिन जेटली की एक और बड़ी पहल है. नतीजतन, उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति को उनके कार्यकाल की शुरुआत में 7.72% से नीचे लाया गया था जो वर्तमान में लगभग 3% है.
  3. बैंकिंग क्षेत्र की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की चल रही दिवालिया और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत दिवालिया कंपनियों के लिए समयबद्ध समाधान के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का श्रेय जेटली को ही जाता है. संहिता को संसद ने 2016 में मंजूरी दी थी.
  4. जेटली ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पांच सहायक बैंकों और भारतीय महिला बैंक का एसबीआई में विलय किया. साथ ही विजया बैंक और देना बैंक को भी बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय कर दिया.1969 और 1980 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकिंग क्षेत्र में यह बड़ा सुधार था.
  5. बजट सुधार भी उनके एजेंडे का एक हिस्सा था. इनमें योजना और गैर-योजना व्यय के बीच कृत्रिम अंतर को दूर करना और एक अलग रेलवे बजट की प्रस्तावना को हटाना शामिल था. बजट की प्रस्तुति भी एक महीने के लिए रोक दी गई थी और 2017 के बाद से, इसे 1 फरवरी को प्रस्तुत किया गया.
  6. जेटली के कार्यकाल के दौरान ही नवंबर 2016 में उन्होंने उच्च करेंसी मूल्य के 1000-500 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण भी हुआ.
  7. जेटली ने मौद्रिक लाभ और सब्सिडी के सीधे हस्तांतरण के लिए जन धन, आधार और मोबाइल (जेम) ट्रिनिटी का उपयोग करने पर प्रमुख जोर दिया. इस पहल से सरकार को हजारों करोड़ की बचत हुई.
  8. जेटली राजकोषीय घाटे को 3.5% के आसपास प्रबंधित करने में सक्षम थे.
  9. उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रौद्योगिकी की शक्ति का लाभ उठाया, जिसके परिणामस्वरूप 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई.

हैदराबाद: वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने लंबे बीमारी के बाद आज अंतिम सांस ली. अरुण जेटली अपनी सभ्य राजनीति और कानूनी महारथ के लिए जाने जाते हैं. हालांकि उन्होंने सूचना और प्रसारण, रक्षा और कानून सहित केंद्र में कई विभागों को संभाला, लेकिन वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया.

वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अरुण जेटली को 26 मई 2014 को वित्त मंत्रालय का प्रभार दिया. अरुण जेटली ने 5 बार केंद्रीय बजट पेश किया और 29 फरवरी 2016 को एक लीप ईयर बजट भी पेश किया.

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्रालय के अधिकारियों संग आज बैठक करेगा पीएमओ

आइए भारत के वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली की प्रमुख उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं:

  1. जेटली ने अपने कार्यकाल के दौरान लंबे समय से रूका हुआ अप्रत्यक्ष कर सुधार लागू किया. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 को प्रभावी रूप से लागू हुआ. जेटली ने राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को ऑन-बोर्ड लाने और जीएसटी अधिनियम को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो संवैधानिक निकाय का दर्जा जीएसटी परिषद को प्रदान करता है.
  2. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की स्थापना के लिए उसका जोर और महंगाई के खिलाफ उसका कड़ा रुख लेकिन जेटली की एक और बड़ी पहल है. नतीजतन, उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति को उनके कार्यकाल की शुरुआत में 7.72% से नीचे लाया गया था जो वर्तमान में लगभग 3% है.
  3. बैंकिंग क्षेत्र की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों की चल रही दिवालिया और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत दिवालिया कंपनियों के लिए समयबद्ध समाधान के लिए एक रूपरेखा तैयार करने का श्रेय जेटली को ही जाता है. संहिता को संसद ने 2016 में मंजूरी दी थी.
  4. जेटली ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पांच सहायक बैंकों और भारतीय महिला बैंक का एसबीआई में विलय किया. साथ ही विजया बैंक और देना बैंक को भी बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय कर दिया.1969 और 1980 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद बैंकिंग क्षेत्र में यह बड़ा सुधार था.
  5. बजट सुधार भी उनके एजेंडे का एक हिस्सा था. इनमें योजना और गैर-योजना व्यय के बीच कृत्रिम अंतर को दूर करना और एक अलग रेलवे बजट की प्रस्तावना को हटाना शामिल था. बजट की प्रस्तुति भी एक महीने के लिए रोक दी गई थी और 2017 के बाद से, इसे 1 फरवरी को प्रस्तुत किया गया.
  6. जेटली के कार्यकाल के दौरान ही नवंबर 2016 में उन्होंने उच्च करेंसी मूल्य के 1000-500 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण भी हुआ.
  7. जेटली ने मौद्रिक लाभ और सब्सिडी के सीधे हस्तांतरण के लिए जन धन, आधार और मोबाइल (जेम) ट्रिनिटी का उपयोग करने पर प्रमुख जोर दिया. इस पहल से सरकार को हजारों करोड़ की बचत हुई.
  8. जेटली राजकोषीय घाटे को 3.5% के आसपास प्रबंधित करने में सक्षम थे.
  9. उन्होंने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रौद्योगिकी की शक्ति का लाभ उठाया, जिसके परिणामस्वरूप 1.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई.
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Highpoints of Arun Jaitley as India's Finance Minister




Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 2:32 AM IST
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