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मंत्रिमंडल ने खोले गैर-तेल कंपनियों के लिए खुदरा ईंधन बिक्री के रास्ते

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ईंधन के खुदरा कारोबार को पेट्रोलियम क्षेत्र से बाहर की कंपनियों के लिये खोलने से निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.

मंत्रिमंडल ने खोले गैर-तेल कंपनियों के लिए खुदरा ईंधन बिक्री के रास्ते
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Published : Oct 23, 2019, 5:10 PM IST

Updated : Oct 23, 2019, 5:39 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने ईंधन के खुदरा कारोबार को गैर- पेट्रोलियम कंपनियों के लिए खोल दिया है. अब ऐसी कंपनियों भी पेट्राल पंप खोल सकेंगी जो पेट्रोलियम क्षेत्र में नहीं हैं. माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ईंधन के खुदरा कारोबार को पेट्रोलियम क्षेत्र से बाहर की कंपनियों के लिये खोलने से निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.

मंत्रिमंडल ने खोले गैर-तेल कंपनियों के लिए खुदरा ईंधन बिक्री के रास्ते

ये भी पढ़ें- दीवाली के पहले किसानों को सरकार का तोहफा, बढ़ाया रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य

अभी देश में ईंधन के खुदरा कारोबार का लाइसेंस हासिल करने के लिए किसी कंपनी को या तो हाइड्रोकार्बन की खोज, उत्पादन, रिफाइनिंग, पाइपलाइन क्षेत्र या तरलीकृत गैस टर्मिनलों (एलएनजी) में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होती है.

जावड़ेकर ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने वाहन ईंधन के विपणन का अधिकार देने संबंधी दिशानिर्देशों की समीक्षा को मंजूरी दे दी है. ऐसी कंपनियां जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये है ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में उतर सकती हैं. इसके लिए शर्त यह होगी कि कम से कम पांच प्रतिशत पेट्रोल पंप ग्रामीण इलाकों में खोले जाएं.

देश में इस समय करीब 65,000 पेट्रोल पंप परिचालन में हैं. इनका ज्यादातर स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के पास है. इस बाजार में निजी क्षेत्र की कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी (पुराना नाम एस्सार आयल) और रॉयल डच शेल भी हैं लेकिन उनकी उपस्थिति सीमित है.

दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 से भी कम है.

नई दिल्ली: सरकार ने ईंधन के खुदरा कारोबार को गैर- पेट्रोलियम कंपनियों के लिए खोल दिया है. अब ऐसी कंपनियों भी पेट्राल पंप खोल सकेंगी जो पेट्रोलियम क्षेत्र में नहीं हैं. माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ईंधन के खुदरा कारोबार को पेट्रोलियम क्षेत्र से बाहर की कंपनियों के लिये खोलने से निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.

मंत्रिमंडल ने खोले गैर-तेल कंपनियों के लिए खुदरा ईंधन बिक्री के रास्ते

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अभी देश में ईंधन के खुदरा कारोबार का लाइसेंस हासिल करने के लिए किसी कंपनी को या तो हाइड्रोकार्बन की खोज, उत्पादन, रिफाइनिंग, पाइपलाइन क्षेत्र या तरलीकृत गैस टर्मिनलों (एलएनजी) में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होती है.

जावड़ेकर ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने वाहन ईंधन के विपणन का अधिकार देने संबंधी दिशानिर्देशों की समीक्षा को मंजूरी दे दी है. ऐसी कंपनियां जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये है ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में उतर सकती हैं. इसके लिए शर्त यह होगी कि कम से कम पांच प्रतिशत पेट्रोल पंप ग्रामीण इलाकों में खोले जाएं.

देश में इस समय करीब 65,000 पेट्रोल पंप परिचालन में हैं. इनका ज्यादातर स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के पास है. इस बाजार में निजी क्षेत्र की कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी (पुराना नाम एस्सार आयल) और रॉयल डच शेल भी हैं लेकिन उनकी उपस्थिति सीमित है.

दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 से भी कम है.

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नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को ईंधन खुदरा बिक्री मानदंडों को खोल दिया, जिससे गैर-तेल कंपनियों को प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए पेट्रोल पंप स्थापित करने की अनुमति मिल गई है.

मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए, केंद्रीय मंत्री मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ईंधन की खुदरा बिक्री शुरू करने से निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.

वर्तमान में, भारत में एक ईंधन रिटेलिंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए, एक कंपनी को हाइड्रोकार्बन की खोज और उत्पादन, शोधन, पाइपलाइन या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनलों में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने परिवहन ईंधन के विपणन के लिए प्राधिकरण देने के लिए दिशानिर्देशों की समीक्षा को मंजूरी दी है."

250 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियां फ्यूल रिटेलिंग में प्रवेश कर सकती हैं, इस शर्त के साथ कि 5 प्रतिशत आउटलेट ग्रामीण क्षेत्रों में होंगे.

राज्य के स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियां - इंडियन ऑयल कॉर्प (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (एचपीसीएल) - वर्तमान में देश में 65,000 पेट्रोल पंपों के मालिक हैं.

रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी - पूर्व में एस्सार ऑयल और रॉयल डच शेल बाजार में निजी खिलाड़ी हैं, लेकिन सीमित उपस्थिति के साथ. दुनिया के सबसे बड़े तेल शोधन परिसर का संचालन करने वाली रिलायंस के पास 1,400 से भी कम आउटलेट हैं.

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Last Updated : Oct 23, 2019, 5:39 PM IST
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