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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के केवल 29 प्रस्ताव ही मंजूरी के लिए लंबित : डीपीआईआईटी सचिव

व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई पर आयोजित उच्च स्तरीय डीपीआईआईटी-फिक्की निवेशक गोलमेज सम्मेलन में डीपीआईआईटी के सचिव, अनुराग जैन ने कहा कि सरकार आयात कम करने, मूल्य संवर्धन और रोजगार बढ़ाने के लिए, एसी उद्योग के लिए चरणबद्ध विनिर्माण योजना(पीएमपी) पर गौर करने के लिए तैयार है.

DPIIT Secretary Anurag Jain
डीपीआईआईटी सचिव अनुराग जैन
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Published : Nov 26, 2021, 5:52 PM IST

नई दिल्ली : व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई पर आयोजित उच्च स्तरीय डीपीआईआईटी-फिक्की निवेशक गोलमेज सम्मेलन में डीपीआईआईटी के सचिव, अनुराग जैन ने कहा कि सरकार आयात कम करने, मूल्य संवर्धन और रोजगार बढ़ाने के लिए, एसी उद्योग के लिए चरणबद्ध विनिर्माण योजना(पीएमपी) पर गौर करने के लिए तैयार है. जैन गोलमेज सम्मेलन में मौजूद कुछ मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) द्वारा उद्योग के लिए पीएमपी के बारे में दिए गए सुझावों का जवाब दे रहे थे.

जैन ने यह भी उल्लेख किया कि डीपीआईआईटी अब यह सुनिश्चित करेगा कि व्हाइट गुड्स के पीएलआई के तहत आने वाले इन सभी निवेशों को केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बहुत तेजी से मंजूरी प्राप्त हो ताकि पीएलआई के तहत निर्धारित लक्ष्यों को समय पर प्राप्त किया जा सके.

उन्होंने यह भी कहा कि हम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के उद्देश्य के लिए 'नेशनल सिंगल विंडो क्लीरेंस सिस्टम' को भी तेजी से ट्रैक करने की प्रक्रिया में हैं, जहां सभी आवेदन ऑनलाइन भेजे जा सकते हैं और ट्रैक भी किए जा सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्रेस नोट 3 के तहत एफडीआई आवेदनों पर भी तेजी से कार्रवाई कर रही है.

जैन ने यह भी कहा कि पीएलआई योजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे उन क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचाया जा सके, जहां भारत आगे बढ़ सकता है और साथ ही उभरते हुए क्षेत्रों को भी लाभान्वित तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सके.

डीपीआईआईटी के अपर सचिव अनिल अग्रवाल ने फिक्की इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई को जबरदस्त प्रतिक्रिया हासिल हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना का मसौदा तैयार करते समय काफी सावधानी बरती है ताकि आगे चलकर इस योजना के क्रियान्वयन में कोई बाधा न आए.

व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई की यात्रा को साझा करते हुए, अग्रवाल ने कहा कि लगभग एक साल की अवधि में डीपीआईआईटी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना को उद्योग की फीडबैक और मूल्य श्रृंखला में आम सहमति के आधार पर तैयार और कार्यान्वित किया गया था.

अनिल अग्रवाल ने कहा कि डीपीआईआईटी-फिक्की इन्वेस्टर राउंडटेबल में व्हाइट गुड्स उद्योग के डेढ़ सौ से अधिक सीईओ/सीएक्सओ ने पीएलआई में निवेशकों के विश्वास को दर्शाते हुए भाग लिया. घटक मूल्य श्रृंखला में अधिकांशं निवेशकों में छोटे और मध्यम क्षेत्र के नए उद्यम शामिल हैं, जो अब ओईएम की आपूर्ति करेंगे और वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत होंगे.

उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना का अच्छा प्रभाव रहा है, क्योंकि पूरे भारत में 50 से अधिक स्थानों पर विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जा रही हैं या वे एसी और एलईडी की घटक श्रृंखला में व्हाइट गुड्स की पीएलआई योजना से लाभान्वित होंगी. अग्रवाल ने कहा कि ये इकाइयां गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्थित हैं.

राज्यसंयंत्रों की संख्या
आंध्र प्रदेश5
गुजरात10
गोवा1
हरियाणा4
हिमाचल प्रदेश1
कर्नाटक2
महाराष्ट्र5
तमिलनाडु4
राजस्थान4
उत्तर प्रदेश6
तेलंगाना1
उत्तराखंड6
पश्चिम बंगाल1
कुल50

इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स विनिर्माण समिति, फिक्की के अध्यक्ष श्री मनीष शर्मा ने कहा कि एल्युमिनियम और तांबा उद्योग सहित एसी और एलईडी के विभिन्न घटको के लिए भारतीय निर्माताओं, एसएमई और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 40 से अधिक संगठनों से 4500 करोड़ रुपए से प्रतिबद्ध निवेश के साथ एक उद्योग के रूप में हमारी उपलब्धियां सराहनीय हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और उद्योग के एक साझा उद्देश्य के लिए एक मंच पर आने से प्राप्त सामूहिक ज्ञान से सरकार और निवेशक, दोनों का ही विश्वास बढ़ा है. उन्होंने क्षेत्रीय संघों की उनके योगदान के लिए सराहना की जो प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर विजन के तहत प्राप्त मार्गदर्शन के कारण संभव हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि पीएलआई अपने साथ एक सकारात्मक मानसिकता के साथ प्रतिबद्धता भी लाती है, जो निर्यात के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता बनाने के साथ-साथ पिछड़ गए एकीकरण के नए युग की शुरुआत करता है.

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण समिति, फिक्की के सह-अध्यक्ष जसबीर सिंह ने कहा, हम इस क्षेत्र में पीएलआई के लिए सरकार की पहल की सराहना करें, यह हमारे क्षेत्र के लिए घटक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव डालेगी, जो अगले 4-5 वर्षों में स्थानीय मूल्यसंवर्धन को 25 प्रतिशत के मौजूदा स्तर को बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक ले जाएगी. यह हमारे उद्योग की एक खोई हुई कड़ी थी, हम इतने कम समय में इतनी सुविचारित और विशिष्ट रूप से गठित योजना को शुरू करने के लिए डीपीआईआईटी का धन्यवाद करते हैं.

फिक्की के महानिदेशक अरुण चावला ने पिछले वर्ष दिखाए गए लचीलेपन और कार्यों के लिए सरकार तथा उद्योग की प्रशंसा की.

इन्वेस्टर राउंडटेबल में उद्योग के दो दर्जन से अधिक सीईओ के साथ व्हाइट गुड्स की पीएलआई में सभी आवेदकों की भागीदारी भी देखी गई. इस सम्मेलन का आयोजन डीपीआईआईटी और फिक्की द्वारा क्षेत्रीय संघों जैसे आरएएमए, सीईएएमए, ईएलसीआईएनए और इलसीओएमए के सहयोग से संयुक्त रूप से किया गया था.

पीएलआई निवेशकों पर आयोजित एक विचार-विमर्श सत्र में क्षेत्रीय संघों, आरएएमए. सीईएएमए, इलसीओएमए और एलसीआईएनए के अध्यक्षों और पदाधिकारियों ने भी भाग लिया.

व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई के बारे में जानकारी

विनिर्माण को केंद्रीय चरण पर लाने और भारत के विकास और रोजगार सृजन में इसके महत्व पर जोर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के आह्वान के अनुपालन में भारत सरकार ने उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू करने की मंजूरी दी. कुल 1,97,291 करोड़ के परिव्यय के साथ 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए यह योजना शुरू की गई. उद्योग आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) सभी पीएलआई योजनाओं के कार्यान्वयन का समन्वय कर रहा है. 6,238 करोड़ के परिव्यय के साथ व्हाइटस गुड्स, एसी और एलईडी लाइट्स क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना हेतु डीपीआईआईटी भी एक नोडल विभाग है.

एसी और एलईडी लाइट के घटकों और सब-असेंबलियों के विनिर्माण के लिए व्हाइट गुड्स की पीएलआई योजना के लिए डीपीआईआईटी के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 07.04.2021 को मंजूरी दी थी. यह योजना वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2028-29 तक सात वर्ष की अवधि में लागू की जानी है और इसका परिव्यय 6,238 करोड़ रुपये है. यह योजना पीआईआईटी द्वारा 16.04.2021 को अधिसूचित की गई थी. इस योजना के दिशानिर्देश 04.06.2021 को प्रकाशित किए गए थे. योजना के दिशानिर्देशों में कुछ संशोधन 16.08.2021 को जारी किए गए थे. आवेदकों को या तो मार्च 2022 तक या मार्च 2023 तक जेस्टेशन अवधि चुनने की छूट दी गई थी.

पढ़ें :- देश में एसी, एलईडी का उत्पादन करने के लिए कई शीर्ष वैश्विक ब्रांड ने भी किए आवेदन

इस योजना के लिए आवेदन 15.06.2021 से 15.09.2021 तक आमंत्रित किए गए थे. कुल 52 कंपनियों ने पीएलआई योजना के तहत 5,858 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ अपने आवेदन दायर किए थे.

सभी आवेदनों के मूल्यांकन के बाद, 4,614 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश वाले 42 आवेदकों को पीएलआई योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में अस्थायी रूप से चुना गया है. चुने गए आवेदकों में 3,898 करोड़ के प्रतिबद्ध निवेश के साथ एयर कंडीशनर निर्माण के लिए 26 और 716 करोड़ रुपए के प्रतिबद्ध निवेश के साथ एलईडी लाइट्स विनिर्माण के लिए और 16 आवेदक शामिल हैं.

भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से एफडीआई का प्रस्ताव करने वाले छह आवेदकों को पीएलआई योजना के तहत मंजूरी के बारे में विचार करने के लिए प्रेस नोट 3 (2020) दिनांक 17.4.20 के अनुसार एफडीआई के लिए अनुमोदन प्रस्तुत करने की सलाह दी गई है.

चार आवेदकों को जांच और इसकी सिफारिशों के लिए विशेषज्ञों की समिति (सीओई) के पास भेजा गया था.

नई दिल्ली : व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई पर आयोजित उच्च स्तरीय डीपीआईआईटी-फिक्की निवेशक गोलमेज सम्मेलन में डीपीआईआईटी के सचिव, अनुराग जैन ने कहा कि सरकार आयात कम करने, मूल्य संवर्धन और रोजगार बढ़ाने के लिए, एसी उद्योग के लिए चरणबद्ध विनिर्माण योजना(पीएमपी) पर गौर करने के लिए तैयार है. जैन गोलमेज सम्मेलन में मौजूद कुछ मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) द्वारा उद्योग के लिए पीएमपी के बारे में दिए गए सुझावों का जवाब दे रहे थे.

जैन ने यह भी उल्लेख किया कि डीपीआईआईटी अब यह सुनिश्चित करेगा कि व्हाइट गुड्स के पीएलआई के तहत आने वाले इन सभी निवेशों को केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बहुत तेजी से मंजूरी प्राप्त हो ताकि पीएलआई के तहत निर्धारित लक्ष्यों को समय पर प्राप्त किया जा सके.

उन्होंने यह भी कहा कि हम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के उद्देश्य के लिए 'नेशनल सिंगल विंडो क्लीरेंस सिस्टम' को भी तेजी से ट्रैक करने की प्रक्रिया में हैं, जहां सभी आवेदन ऑनलाइन भेजे जा सकते हैं और ट्रैक भी किए जा सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्रेस नोट 3 के तहत एफडीआई आवेदनों पर भी तेजी से कार्रवाई कर रही है.

जैन ने यह भी कहा कि पीएलआई योजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे उन क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचाया जा सके, जहां भारत आगे बढ़ सकता है और साथ ही उभरते हुए क्षेत्रों को भी लाभान्वित तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सके.

डीपीआईआईटी के अपर सचिव अनिल अग्रवाल ने फिक्की इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई को जबरदस्त प्रतिक्रिया हासिल हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना का मसौदा तैयार करते समय काफी सावधानी बरती है ताकि आगे चलकर इस योजना के क्रियान्वयन में कोई बाधा न आए.

व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई की यात्रा को साझा करते हुए, अग्रवाल ने कहा कि लगभग एक साल की अवधि में डीपीआईआईटी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना को उद्योग की फीडबैक और मूल्य श्रृंखला में आम सहमति के आधार पर तैयार और कार्यान्वित किया गया था.

अनिल अग्रवाल ने कहा कि डीपीआईआईटी-फिक्की इन्वेस्टर राउंडटेबल में व्हाइट गुड्स उद्योग के डेढ़ सौ से अधिक सीईओ/सीएक्सओ ने पीएलआई में निवेशकों के विश्वास को दर्शाते हुए भाग लिया. घटक मूल्य श्रृंखला में अधिकांशं निवेशकों में छोटे और मध्यम क्षेत्र के नए उद्यम शामिल हैं, जो अब ओईएम की आपूर्ति करेंगे और वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत होंगे.

उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना का अच्छा प्रभाव रहा है, क्योंकि पूरे भारत में 50 से अधिक स्थानों पर विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जा रही हैं या वे एसी और एलईडी की घटक श्रृंखला में व्हाइट गुड्स की पीएलआई योजना से लाभान्वित होंगी. अग्रवाल ने कहा कि ये इकाइयां गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्थित हैं.

राज्यसंयंत्रों की संख्या
आंध्र प्रदेश5
गुजरात10
गोवा1
हरियाणा4
हिमाचल प्रदेश1
कर्नाटक2
महाराष्ट्र5
तमिलनाडु4
राजस्थान4
उत्तर प्रदेश6
तेलंगाना1
उत्तराखंड6
पश्चिम बंगाल1
कुल50

इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स विनिर्माण समिति, फिक्की के अध्यक्ष श्री मनीष शर्मा ने कहा कि एल्युमिनियम और तांबा उद्योग सहित एसी और एलईडी के विभिन्न घटको के लिए भारतीय निर्माताओं, एसएमई और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 40 से अधिक संगठनों से 4500 करोड़ रुपए से प्रतिबद्ध निवेश के साथ एक उद्योग के रूप में हमारी उपलब्धियां सराहनीय हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और उद्योग के एक साझा उद्देश्य के लिए एक मंच पर आने से प्राप्त सामूहिक ज्ञान से सरकार और निवेशक, दोनों का ही विश्वास बढ़ा है. उन्होंने क्षेत्रीय संघों की उनके योगदान के लिए सराहना की जो प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर विजन के तहत प्राप्त मार्गदर्शन के कारण संभव हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि पीएलआई अपने साथ एक सकारात्मक मानसिकता के साथ प्रतिबद्धता भी लाती है, जो निर्यात के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता बनाने के साथ-साथ पिछड़ गए एकीकरण के नए युग की शुरुआत करता है.

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण समिति, फिक्की के सह-अध्यक्ष जसबीर सिंह ने कहा, हम इस क्षेत्र में पीएलआई के लिए सरकार की पहल की सराहना करें, यह हमारे क्षेत्र के लिए घटक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव डालेगी, जो अगले 4-5 वर्षों में स्थानीय मूल्यसंवर्धन को 25 प्रतिशत के मौजूदा स्तर को बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक ले जाएगी. यह हमारे उद्योग की एक खोई हुई कड़ी थी, हम इतने कम समय में इतनी सुविचारित और विशिष्ट रूप से गठित योजना को शुरू करने के लिए डीपीआईआईटी का धन्यवाद करते हैं.

फिक्की के महानिदेशक अरुण चावला ने पिछले वर्ष दिखाए गए लचीलेपन और कार्यों के लिए सरकार तथा उद्योग की प्रशंसा की.

इन्वेस्टर राउंडटेबल में उद्योग के दो दर्जन से अधिक सीईओ के साथ व्हाइट गुड्स की पीएलआई में सभी आवेदकों की भागीदारी भी देखी गई. इस सम्मेलन का आयोजन डीपीआईआईटी और फिक्की द्वारा क्षेत्रीय संघों जैसे आरएएमए, सीईएएमए, ईएलसीआईएनए और इलसीओएमए के सहयोग से संयुक्त रूप से किया गया था.

पीएलआई निवेशकों पर आयोजित एक विचार-विमर्श सत्र में क्षेत्रीय संघों, आरएएमए. सीईएएमए, इलसीओएमए और एलसीआईएनए के अध्यक्षों और पदाधिकारियों ने भी भाग लिया.

व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई के बारे में जानकारी

विनिर्माण को केंद्रीय चरण पर लाने और भारत के विकास और रोजगार सृजन में इसके महत्व पर जोर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के आह्वान के अनुपालन में भारत सरकार ने उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू करने की मंजूरी दी. कुल 1,97,291 करोड़ के परिव्यय के साथ 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए यह योजना शुरू की गई. उद्योग आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) सभी पीएलआई योजनाओं के कार्यान्वयन का समन्वय कर रहा है. 6,238 करोड़ के परिव्यय के साथ व्हाइटस गुड्स, एसी और एलईडी लाइट्स क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना हेतु डीपीआईआईटी भी एक नोडल विभाग है.

एसी और एलईडी लाइट के घटकों और सब-असेंबलियों के विनिर्माण के लिए व्हाइट गुड्स की पीएलआई योजना के लिए डीपीआईआईटी के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 07.04.2021 को मंजूरी दी थी. यह योजना वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2028-29 तक सात वर्ष की अवधि में लागू की जानी है और इसका परिव्यय 6,238 करोड़ रुपये है. यह योजना पीआईआईटी द्वारा 16.04.2021 को अधिसूचित की गई थी. इस योजना के दिशानिर्देश 04.06.2021 को प्रकाशित किए गए थे. योजना के दिशानिर्देशों में कुछ संशोधन 16.08.2021 को जारी किए गए थे. आवेदकों को या तो मार्च 2022 तक या मार्च 2023 तक जेस्टेशन अवधि चुनने की छूट दी गई थी.

पढ़ें :- देश में एसी, एलईडी का उत्पादन करने के लिए कई शीर्ष वैश्विक ब्रांड ने भी किए आवेदन

इस योजना के लिए आवेदन 15.06.2021 से 15.09.2021 तक आमंत्रित किए गए थे. कुल 52 कंपनियों ने पीएलआई योजना के तहत 5,858 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ अपने आवेदन दायर किए थे.

सभी आवेदनों के मूल्यांकन के बाद, 4,614 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश वाले 42 आवेदकों को पीएलआई योजना के तहत लाभार्थियों के रूप में अस्थायी रूप से चुना गया है. चुने गए आवेदकों में 3,898 करोड़ के प्रतिबद्ध निवेश के साथ एयर कंडीशनर निर्माण के लिए 26 और 716 करोड़ रुपए के प्रतिबद्ध निवेश के साथ एलईडी लाइट्स विनिर्माण के लिए और 16 आवेदक शामिल हैं.

भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से एफडीआई का प्रस्ताव करने वाले छह आवेदकों को पीएलआई योजना के तहत मंजूरी के बारे में विचार करने के लिए प्रेस नोट 3 (2020) दिनांक 17.4.20 के अनुसार एफडीआई के लिए अनुमोदन प्रस्तुत करने की सलाह दी गई है.

चार आवेदकों को जांच और इसकी सिफारिशों के लिए विशेषज्ञों की समिति (सीओई) के पास भेजा गया था.

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