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जीएसटी चोरी रोकने के लिए वित्त मंत्रालय ने ई-वे बिल प्रणाली में बदलाव किए

जीएसटी की चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल प्रणाली में बदलाव किए हैं. इन बदलावों में ई-वे बिल निकालने के लिए पिन कोड पर आधारित दूरी की स्वत: गणना और एक इनवॉयस पर एक से अधिक ई-वे बिल निकालने की प्रक्रिया को रोकना शामिल है.

जीएसटी चोरी रोकने के लिए वित्त मंत्रालय ने ई-वे बिल प्रणाली में बदलाव किए
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Published : Apr 24, 2019, 9:43 PM IST

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल प्रणाली में बदलाव किए हैं. इन बदलावों में ई-वे बिल निकालने के लिए पिन कोड पर आधारित दूरी की स्वत: गणना और एक इनवॉयस पर एक से अधिक ई-वे बिल निकालने की प्रक्रिया को रोकना शामिल है.

एक राज्य से दूसरे राज्य तक 50,000 रुपये से अधिक के माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल प्रणाली एक अप्रैल, 2018 को जीएसटी की चोरी रोकने की पहल के तहत लागू किया गया था. राज्य के भीतर ही माल के परिवहन के लिए ई - वे बिल प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से 15 अप्रैल से लागू किया गया.

ये भी पढ़ें- चीन से दूध उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध की समय सीमा बढ़ी

ई-वे बिल निकालने में गड़बड़ियां सामने आने के बाद राजस्व विभाग ने ट्रांसपोर्टरों तथा कंपनियों द्वारा ई वे बिल निकालने की प्रणाली में बदलाव करने का फैसला किया. ई-वे बिल पोर्टल के अनुसार नई विस्तारित प्रणाली में पिन कोड के आधार पर स्रोत और गंतव्य की दूरी की स्वत: गणना होगी.

प्रयोगकर्ता को माल के परिवहन के हिसाब से वास्तविक दूरी दर्ज करने की अनुमति होगी, लेकिन यह स्वत: निकाली गई दूरी से 10 प्रतिशत ही अधिक हो सकती है. इसके अलावा सरकार ने एक इनवॉयस पर एक से अधिक बिल निकालने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है.

यानी एक ही इनवॉयस नंबर से कोई भी पक्ष चाहे माल भेजने वाला हो या पाने वाला या ट्रांसपोर्टर एक से अधिक बिल नहीं निकाल सकेगा. इस सुधरी प्रणाली में माल की आवाजाही के दौरान ई-वे बिल के विस्तार की अनुमति होगी. ई-वे बिल पोर्टल का विकास देश के प्रमुख सूचना सेवा संगठन नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) ने किया है.

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल प्रणाली में बदलाव किए हैं. इन बदलावों में ई-वे बिल निकालने के लिए पिन कोड पर आधारित दूरी की स्वत: गणना और एक इनवॉयस पर एक से अधिक ई-वे बिल निकालने की प्रक्रिया को रोकना शामिल है.

एक राज्य से दूसरे राज्य तक 50,000 रुपये से अधिक के माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल प्रणाली एक अप्रैल, 2018 को जीएसटी की चोरी रोकने की पहल के तहत लागू किया गया था. राज्य के भीतर ही माल के परिवहन के लिए ई - वे बिल प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से 15 अप्रैल से लागू किया गया.

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ई-वे बिल निकालने में गड़बड़ियां सामने आने के बाद राजस्व विभाग ने ट्रांसपोर्टरों तथा कंपनियों द्वारा ई वे बिल निकालने की प्रणाली में बदलाव करने का फैसला किया. ई-वे बिल पोर्टल के अनुसार नई विस्तारित प्रणाली में पिन कोड के आधार पर स्रोत और गंतव्य की दूरी की स्वत: गणना होगी.

प्रयोगकर्ता को माल के परिवहन के हिसाब से वास्तविक दूरी दर्ज करने की अनुमति होगी, लेकिन यह स्वत: निकाली गई दूरी से 10 प्रतिशत ही अधिक हो सकती है. इसके अलावा सरकार ने एक इनवॉयस पर एक से अधिक बिल निकालने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है.

यानी एक ही इनवॉयस नंबर से कोई भी पक्ष चाहे माल भेजने वाला हो या पाने वाला या ट्रांसपोर्टर एक से अधिक बिल नहीं निकाल सकेगा. इस सुधरी प्रणाली में माल की आवाजाही के दौरान ई-वे बिल के विस्तार की अनुमति होगी. ई-वे बिल पोर्टल का विकास देश के प्रमुख सूचना सेवा संगठन नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) ने किया है.

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दो महीने लगातार जीएसटी रिटर्न नहीं भरने वाले ई-वे बिल नहीं निकाल पाएंगे

नई दिल्ली: लगातार दो माह तक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न नहीं भरने वाले कारोबारी 21 जून से माल के परिवहन के लिए ई-वे बिल नहीं निकाल सकेंगे. वित्त मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी. 



वहीं जीएसटी कम्पोजिशन योजना के तहत कंपनियां यदि लगातार दो बार (छह महीने) रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं तो वे भी ई वे बिल नहीं निकाल पाएंगे. 



केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने इस बारे में 21 जून, 2019 की तिथि अधिसूचित की है. इसमें कहा गया है कि यदि जीएसटी नियमों के तहत इस अवधि में रिटर्न दाखिल नहीं किया गया तो माल भेजने वाला, माल पाने वाला, ई-कॉमर्स परिचालक और कूरियर एजेंसी पर इलेक्ट्रॉनिक वे या ई-बिल निकालने पर रोक होगी. 



नियमों के अनुसार कम्पोजिशन योजना वाले करदाता यदि दो लगातार कर अवधियों के दौरान रिटर्न दाखिल नहीं करेंगे या नियमित करदाता यदि लगातार दो माह तक रिटर्न जमा नहीं कराएंगे तो उनके ई-वे बिल निकालने पर रोक लग जाएगी. 



माल एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत कंपनियों को अगले महीने की 20 तारीख तक पिछले महीने का रिटर्न दाखिल करना होता है. वहीं कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वाले कारोबारियों को तिमाही के अंत के बाद अगले महीने की 18 तारीख तक रिटर्न दाखिल करना होता है. 



माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने ऐसी आईटी प्रणाली स्थापित की है जिसमें निर्धारित अवधि में रिटर्न नहीं दाखिल करने वाली कंपनियों के ई-वे बिल निकालने पर रोक लग जाएगी. 



अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से जीएसटी चोरी रोकने में मदद मिलेगी. बीते वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में जीएसटी चोरी या उल्लंघन के 15,278 करोड़ रुपये के 3,626 मामले सामने आए हैं. 


Conclusion:
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