नई दिल्ली: रेलवे ने मंगलवार को कहा कि वह सभी बोलीदाताओं को समान अवसर उपलब्ध कराने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने को लेकर ट्रेन 18 के विनिर्माण के लिये निविदा की नई प्रणाली पेश की है. पहले की निविदा प्रक्रिया में पक्षपात के आरोप के बाद तीसरी ट्रेन 18 का उत्पादन लगभग रूकने के बाद यह बयान दिया गया है.
अधिकारियों ने कहा कि नई निविदा प्रक्रिया आने के बाद अब ट्रेन 18 या वंदे भारत एक्सप्रेस के तीसरे सेट के विनिर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.
इससे पहले पहली ट्रेन 18 सेट के विनिर्माण के लिये निविदा प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाया था. इंजन समेत ट्रेन 18 इस साल की शुरूआत में आयी थी. इस आरोप के बाद इंटीग्रल कोच फैक्टरी ने तीसरी ट्रेन के लिये सभी मौजूदा निविदाओं को रद्द कर दिया था.
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दूसरी ट्रेन 18 तैयार है और इसे अगले महीने से दिल्ली-कटरा मार्ग पर चलाया जा सकता है.
अधिकारियों ने कहा कि नई निविदा प्रक्रिया के तहत वेंडरों को बोली के लिये आवेदन देने को लेकर तीन महीने का समय मिलेगा है जबकि अभी यह तीन सप्ताह है.
इसमें रेलवे के लिये तकनीकी सलाहकार और परामर्शदाता के रूप में काम करने वाले रिसर्च डिजाइन एंड स्टैरन्डर्ड आर्गनाइजेशन के मानदंडों को उत्पादन इकाइयों हेतु पालन करने को अनिवार्य बनाया गया है.
एक अधिकारी ने कहा, "इससे और पारदर्शिता आएगी और सभी कंपनियों को समान अवसर मिलेगा."
पहली ट्रेन 18 रिकार्ड समय केवल 18 महीने में बनी थी. उस पर करीब 97 करोड़ रुपये की लागत आयी थी.
हालांकि मंत्रालय को वेंडरों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से घरेलू निजी कंपनी को ट्रेन के लिये इलेक्ट्रिकल उपकरण की खरीद प्रक्रिया में कथित तरजीह देने के कई आरोप मिले.
बोली प्रक्रिया में पहली ट्रेन 18 के लिये 18 कंपनियां इलेक्ट्रिक उपकरण की आपूर्ति करने की दौड़ में थी. इसमें आठ भारतीय कंपनियां थी.
सूत्रों ने कहा कि पहली ट्रेन 18 के लिये निविदा जमा करने के अंतिम दिन छह फरवरी 2018 को केवल एक समूह आगे आया. उन्होंने इसका कारण बोलीदाताओं के लिए निविदा पूर्व शर्तों को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया.
इसको देखते हुए औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (अब उद्योग संवद्धर्न एवं आंतरिक व्यापार विभाग) ने प्रक्रिया पर आपत्ति जतायी और इंटीग्रल कोच फैक्टरी के सतर्कता जांच के साथ तीसरी ट्रेन का विनिर्माण लगभग रूक गया.
टेंडर में भेदभाव के आरोप बाद रेलवे ट्रेन 18 के लिये नई प्रक्रिया लायी गई
ट्रेन 18 सेट के विनिर्माण के लिये निविदा प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाया था. इंजन समेत ट्रेन 18 इस साल की शुरूआत में आयी थी. इस आरोप के बाद इंटीग्रल कोच फैक्टरी ने तीसरी ट्रेन के लिये सभी मौजूदा निविदाओं को रद्द कर दिया था.
नई दिल्ली: रेलवे ने मंगलवार को कहा कि वह सभी बोलीदाताओं को समान अवसर उपलब्ध कराने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने को लेकर ट्रेन 18 के विनिर्माण के लिये निविदा की नई प्रणाली पेश की है. पहले की निविदा प्रक्रिया में पक्षपात के आरोप के बाद तीसरी ट्रेन 18 का उत्पादन लगभग रूकने के बाद यह बयान दिया गया है.
अधिकारियों ने कहा कि नई निविदा प्रक्रिया आने के बाद अब ट्रेन 18 या वंदे भारत एक्सप्रेस के तीसरे सेट के विनिर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.
इससे पहले पहली ट्रेन 18 सेट के विनिर्माण के लिये निविदा प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाया था. इंजन समेत ट्रेन 18 इस साल की शुरूआत में आयी थी. इस आरोप के बाद इंटीग्रल कोच फैक्टरी ने तीसरी ट्रेन के लिये सभी मौजूदा निविदाओं को रद्द कर दिया था.
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दूसरी ट्रेन 18 तैयार है और इसे अगले महीने से दिल्ली-कटरा मार्ग पर चलाया जा सकता है.
अधिकारियों ने कहा कि नई निविदा प्रक्रिया के तहत वेंडरों को बोली के लिये आवेदन देने को लेकर तीन महीने का समय मिलेगा है जबकि अभी यह तीन सप्ताह है.
इसमें रेलवे के लिये तकनीकी सलाहकार और परामर्शदाता के रूप में काम करने वाले रिसर्च डिजाइन एंड स्टैरन्डर्ड आर्गनाइजेशन के मानदंडों को उत्पादन इकाइयों हेतु पालन करने को अनिवार्य बनाया गया है.
एक अधिकारी ने कहा, "इससे और पारदर्शिता आएगी और सभी कंपनियों को समान अवसर मिलेगा."
पहली ट्रेन 18 रिकार्ड समय केवल 18 महीने में बनी थी. उस पर करीब 97 करोड़ रुपये की लागत आयी थी.
हालांकि मंत्रालय को वेंडरों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से घरेलू निजी कंपनी को ट्रेन के लिये इलेक्ट्रिकल उपकरण की खरीद प्रक्रिया में कथित तरजीह देने के कई आरोप मिले.
बोली प्रक्रिया में पहली ट्रेन 18 के लिये 18 कंपनियां इलेक्ट्रिक उपकरण की आपूर्ति करने की दौड़ में थी. इसमें आठ भारतीय कंपनियां थी.
सूत्रों ने कहा कि पहली ट्रेन 18 के लिये निविदा जमा करने के अंतिम दिन छह फरवरी 2018 को केवल एक समूह आगे आया. उन्होंने इसका कारण बोलीदाताओं के लिए निविदा पूर्व शर्तों को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया.
इसको देखते हुए औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (अब उद्योग संवद्धर्न एवं आंतरिक व्यापार विभाग) ने प्रक्रिया पर आपत्ति जतायी और इंटीग्रल कोच फैक्टरी के सतर्कता जांच के साथ तीसरी ट्रेन का विनिर्माण लगभग रूक गया.
निविदा में भेदभाव के आरोप बाद रेलवे ट्रेन 18 के लिये नई निविदा प्रक्रिया लायी
नई दिल्ली: रेलवे ने मंगलवार को कहा कि वह सभी बोलीदाताओं को समान अवसर उपलब्ध कराने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने को लेकर ट्रेन 18 के विनिर्माण के लिये निविदा की नई प्रणाली पेश की है. पहले की निविदा प्रक्रिया में पक्षपात के आरोप के बाद तीसरी ट्रेन 18 का उत्पादन लगभग रूकने के बाद यह बयान दिया गया है.
अधिकारियों ने कहा कि नई निविदा प्रक्रिया आने के बाद अब ट्रेन 18 या वंदे भारत एक्सप्रेस के तीसरे सेट के विनिर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.
इससे पहले पहली ट्रेन 18 सेट के विनिर्माण के लिये निविदा प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाया था. इंजन समेत ट्रेन 18 इस साल की शुरूआत में आयी थी. इस आरोप के बाद इंटीग्रल कोच फैक्टरी ने तीसरी ट्रेन के लिये सभी मौजूदा निविदाओं को रद्द कर दिया था.
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दूसरी ट्रेन 18 तैयार है और इसे अगले महीने से दिल्ली-कटरा मार्ग पर चलाया जा सकता है.
अधिकारियों ने कहा कि नई निविदा प्रक्रिया के तहत वेंडरों को बोली के लिये आवेदन देने को लेकर तीन महीने का समय मिलेगा है जबकि अभी यह तीन सप्ताह है.
इसमें रेलवे के लिये तकनीकी सलाहकार और परामर्शदाता के रूप में काम करने वाले रिसर्च डिजाइन एंड स्टैरन्डर्ड आर्गनाइजेशन के मानदंडों को उत्पादन इकाइयों हेतु पालन करने को अनिवार्य बनाया गया है.
एक अधिकारी ने कहा, "इससे और पारदर्शिता आएगी और सभी कंपनियों को समान अवसर मिलेगा."
पहली ट्रेन 18 रिकार्ड समय केवल 18 महीने में बनी थी. उस पर करीब 97 करोड़ रुपये की लागत आयी थी.
हालांकि मंत्रालय को वेंडरों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से घरेलू निजी कंपनी को ट्रेन के लिये इलेक्ट्रिकल उपकरण की खरीद प्रक्रिया में कथित तरजीह देने के कई आरोप मिले.
बोली प्रक्रिया में पहली ट्रेन 18 के लिये 18 कंपनियां इलेक्ट्रिक उपकरण की आपूर्ति करने की दौड़ में थी. इसमें आठ भारतीय कंपनियां थी.
सूत्रों ने कहा कि पहली ट्रेन 18 के लिये निविदा जमा करने के अंतिम दिन छह फरवरी 2018 को केवल एक समूह आगे आया. उन्होंने इसका कारण बोलीदाताओं के लिए निविदा पूर्व शर्तों को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया.
इसको देखते हुए औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (अब उद्योग संवद्धर्न एवं आंतरिक व्यापार विभाग) ने प्रक्रिया पर आपत्ति जतायी. और इंटीग्रल कोच फैक्टरी के सतर्कता जांच के साथ तीसरी ट्रेन का विनिर्माण लगभग रूक गया.
Conclusion: