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चीन का भारत से हुवावेई पर स्वतंत्र निर्णय लेने का आग्रह

अमेरिका ने हुवावेई पर सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंध लगाया हुआ है, साथ ही चीनी कंपनी के काम पर अंकुश लगाने को लेकर दूसरे देशों पर भी दबाव बना रहा है. हुवावेई दुनिया की शीर्ष दूरसंचार उपकरण और स्मार्टफोन बनाने वाली दूसरी बड़ी कंपनी है.

चीन का भारत से हुवावेई पर स्वतंत्र निर्णय लेने का आग्रह
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Published : Jun 20, 2019, 7:41 PM IST

बीजिंग: चीन ने गुरुवार को भारत से आग्रह किया कि हुवावेई के परिचालन को लेकर वह 'स्वतंत्र तौर पर निर्णय' करे. वह इस संबंध में अमेरिका के प्रतिबंध से प्रभावित ना हो और चीन के कारोबारियों को एक 'पक्षपात और भेदभाव रहित' माहौल उपलब्ध कराए.

अमेरिका ने हुवावेई पर सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंध लगाया हुआ है, साथ ही चीनी कंपनी के काम पर अंकुश लगाने को लेकर दूसरे देशों पर भी दबाव बना रहा है. हुवावेई दुनिया की शीर्ष दूरसंचार उपकरण और स्मार्टफोन बनाने वाली दूसरी बड़ी कंपनी है.

ये भी पढ़ें: किया मोटर्स भारत में करेगी एसयूवी सेलटोस की वैश्विक शुरुआत

भारत का हुवावेई को लेकर निर्णय लेना अब भी बाकी है. उसे यह फैसला करना है कि क्या वह इस चीनी कंपनी पर रोक लगाएगा या फिर 100 दिन के भीतर शुरू होने वाले 5जी के परीक्षण में हिस्सा लेने देगा. इस महीने की शुरुआत में दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि आगामी 5जी परीक्षण में हुवावेई को अनुमति देने को लेकर भारत के अपने सुरक्षा संबंधी मुद्दे हैं.

उन्होंने कहा था, "हम इस पर कड़ा रुख अपनाएंगे. कुछ सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी हैं, यह सिर्फ प्रौद्योगिकी का मसला नहीं है. जहां तक 5जी परीक्षण में उनकी भागीदारी की बात है तो किसी एक कंपनी को अनुमति देना या नहीं देना, एक जटिल सवाल है वह भी तब जब सुरक्षा का सवाल भी मौजूद हो."

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने यहां एक सवाल के जवाब में मीडिया से कहा कि चीन ने हमेशा विदेश में काम करने वाली चीनी कंपनियों को स्थानीय कानून और नियमनों का पालन करने के लिए कहा है. उनसे अमेरिका द्वारा भारतीय कंपनियों को दूरसंचार उपकरण की आपूर्ति की खबरों को लेकर सवाल किया गया था.

कांग ने कहा कि चीन किसी अन्य देश के स्थानीय कानून के हिसाब से लगाए गए एकतरफा प्रतिबंध का कड़ा विरोध करता है. साथ ही निर्यात को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा मुद्दे के दुरुपयोग का भी विरोध करता है.

उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि ज्यादा से ज्यादा देशों ने हुवावेई के 5जी में भागीदारी को लेकर निरपेक्ष रुख दिखाया है. हम उम्मीद करते हैं कि हिंदुस्तान भी इस संबंध में एक स्वतंत्र निर्णय लेगा. वह चीनी कंपनियों को भेदभाव और पक्षपात रहित एक उपयुक्त कारोबारी माहौल उपलब्ध कराएगा जो दोनों के लिए फायदेमंद है.

बीजिंग: चीन ने गुरुवार को भारत से आग्रह किया कि हुवावेई के परिचालन को लेकर वह 'स्वतंत्र तौर पर निर्णय' करे. वह इस संबंध में अमेरिका के प्रतिबंध से प्रभावित ना हो और चीन के कारोबारियों को एक 'पक्षपात और भेदभाव रहित' माहौल उपलब्ध कराए.

अमेरिका ने हुवावेई पर सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंध लगाया हुआ है, साथ ही चीनी कंपनी के काम पर अंकुश लगाने को लेकर दूसरे देशों पर भी दबाव बना रहा है. हुवावेई दुनिया की शीर्ष दूरसंचार उपकरण और स्मार्टफोन बनाने वाली दूसरी बड़ी कंपनी है.

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भारत का हुवावेई को लेकर निर्णय लेना अब भी बाकी है. उसे यह फैसला करना है कि क्या वह इस चीनी कंपनी पर रोक लगाएगा या फिर 100 दिन के भीतर शुरू होने वाले 5जी के परीक्षण में हिस्सा लेने देगा. इस महीने की शुरुआत में दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि आगामी 5जी परीक्षण में हुवावेई को अनुमति देने को लेकर भारत के अपने सुरक्षा संबंधी मुद्दे हैं.

उन्होंने कहा था, "हम इस पर कड़ा रुख अपनाएंगे. कुछ सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी हैं, यह सिर्फ प्रौद्योगिकी का मसला नहीं है. जहां तक 5जी परीक्षण में उनकी भागीदारी की बात है तो किसी एक कंपनी को अनुमति देना या नहीं देना, एक जटिल सवाल है वह भी तब जब सुरक्षा का सवाल भी मौजूद हो."

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने यहां एक सवाल के जवाब में मीडिया से कहा कि चीन ने हमेशा विदेश में काम करने वाली चीनी कंपनियों को स्थानीय कानून और नियमनों का पालन करने के लिए कहा है. उनसे अमेरिका द्वारा भारतीय कंपनियों को दूरसंचार उपकरण की आपूर्ति की खबरों को लेकर सवाल किया गया था.

कांग ने कहा कि चीन किसी अन्य देश के स्थानीय कानून के हिसाब से लगाए गए एकतरफा प्रतिबंध का कड़ा विरोध करता है. साथ ही निर्यात को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा मुद्दे के दुरुपयोग का भी विरोध करता है.

उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि ज्यादा से ज्यादा देशों ने हुवावेई के 5जी में भागीदारी को लेकर निरपेक्ष रुख दिखाया है. हम उम्मीद करते हैं कि हिंदुस्तान भी इस संबंध में एक स्वतंत्र निर्णय लेगा. वह चीनी कंपनियों को भेदभाव और पक्षपात रहित एक उपयुक्त कारोबारी माहौल उपलब्ध कराएगा जो दोनों के लिए फायदेमंद है.

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बीजिंग: चीन ने गुरुवार को भारत से आग्रह किया कि हुवावेई के परिचालन को लेकर वह 'स्वतंत्र तौर पर निर्णय' करे. वह इस संबंध में अमेरिका के प्रतिबंध से प्रभावित ना हो और चीन के कारोबारियों को एक 'पक्षपात और भेदभाव रहित' माहौल उपलब्ध कराए.

अमेरिका ने हुवावेई पर सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंध लगाया हुआ है, साथ ही चीनी कंपनी के काम पर अंकुश लगाने को लेकर दूसरे देशों पर भी दबाव बना रहा है. हुवावेई दुनिया की शीर्ष दूरसंचार उपकरण और स्मार्टफोन बनाने वाली दूसरी बड़ी कंपनी है.

भारत का हुवावेई को लेकर निर्णय लेना अब भी बाकी है. उसे यह फैसला करना है कि क्या वह इस चीनी कंपनी पर रोक लगाएगा या फिर 100 दिन के भीतर शुरू होने वाले 5जी के परीक्षण में हिस्सा लेने देगा. इस महीने की शुरुआत में दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि आगामी 5जी परीक्षण में हुवावेई को अनुमति देने को लेकर भारत के अपने सुरक्षा संबंधी मुद्दे हैं.

उन्होंने कहा था, "हम इस पर कड़ा रुख अपनाएंगे. कुछ सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी हैं, यह सिर्फ प्रौद्योगिकी का मसला नहीं है. जहां तक 5जी परीक्षण में उनकी भागीदारी की बात है तो किसी एक कंपनी को अनुमति देना या नहीं देना, एक जटिल सवाल है वह भी तब जब सुरक्षा का सवाल भी मौजूद हो."

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने यहां एक सवाल के जवाब में मीडिया से कहा कि चीन ने हमेशा विदेश में काम करने वाली चीनी कंपनियों को स्थानीय कानून और नियमनों का पालन करने के लिए कहा है. उनसे अमेरिका द्वारा भारतीय कंपनियों को दूरसंचार उपकरण की आपूर्ति की खबरों को लेकर सवाल किया गया था.

कांग ने कहा कि चीन किसी अन्य देश के स्थानीय कानून के हिसाब से लगाए गए एकतरफा प्रतिबंध का कड़ा विरोध करता है. साथ ही निर्यात को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा मुद्दे के दुरुपयोग का भी विरोध करता है.

उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि ज्यादा से ज्यादा देशों ने हुवावेई के 5जी में भागीदारी को लेकर निरपेक्ष रुख दिखाया है. हम उम्मीद करते हैं कि हिंदुस्तान भी इस संबंध में एक स्वतंत्र निर्णय लेगा. वह चीनी कंपनियों को भेदभाव और पक्षपात रहित एक उपयुक्त कारोबारी माहौल उपलब्ध कराएगा जो दोनों के लिए फायदेमंद है.

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