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गैस आवंटन नीति में बदलाव का शहरी गैस वितरण इकाइयों के लाभ पर पड़ सकता है असर

इक्रा ने शहरी गैस वितरण क्षेत्र (सीजीडी) पर तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वाहनों में उपयोग होने वाले काम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) तथा घरों में पाइप के जरिये पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की खपत में वृद्धि की प्रवृत्ति है.

गैस आवंटन नीति में बदलाव का शहरी गैस वितरण इकाइयों के लाभ पर पड़ सकता है असर
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Published : Mar 23, 2019, 2:59 PM IST

नई दिल्ली: गैस कीमतों में नरमी से सीएनजी और पाइप के जरिये घरों में उपयोग होने वाली गैस का उपभोग बढ़ रहा है. इससे शहरों में गैस वितरण का काम करने वाली इकाइयों को अच्छा मार्जिन देखने को मिल सकता है लेकिन गैस आवंटन नीति में कोई भी प्रतिकूल बदलाव उद्योग के लाभ के लिये प्रमुख जोखिम है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह कहा.

इक्रा ने शहरी गैस वितरण क्षेत्र (सीजीडी) पर तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वाहनों में उपयोग होने वाले काम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) तथा घरों में पाइप के जरिये पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की खपत में वृद्धि की प्रवृत्ति है. इसका कारण पिछले 2-3 साल में गैस कीमतों में नरमी है.

ये भी पढ़ें-विदेशी मुद्रा भंडार 3.6 अरब डॉलर बढ़कर 405.63 अरब डॉलर

इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रविचन्द्रन ने कहा , "आने वाले समय में मांग में वृद्धि सीजीडी इकाइयों के पक्ष में है. अगले दशक में यही स्थिति बनी रहने की उम्मीद है और उनका मार्जिन मजबूत बने रहने की संभावना है." उन्होंने कहा कि सीएनजी के लिए अर्थशास्त्र अनुकूल है. औद्योगिक उपयोग के लिये पीएनजी मामूली रूप से लाभकारी हो सकती है.

रविचन्द्रन ने कहा, "उद्योग को केंद्र सरकार की प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने की मौजूदा नीति से लाभ होगा. लेकिन घरेलू गैस आवंटन नीति में किसी प्रकार का बदलाव क्षेत्र की लाभदयकता और व्यवहार्यता के लिए बड़ा जोखिम है."

फिलहाल सीजीडी इकाइयों को सस्ती घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस के आवंटन में प्राथमिकता है. इस गैस को वाहनों को बेचने के लिये सीएनजी तथा घरों में खाना पकाने में उपयोग के लिए रसोई गैस में तब्दील किया जाता है. साथ ही उद्योग की ईंधन मांग भी इसके जरिये पूरी की जाती है.

इक्रा के अंकित पटेल ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उच्चतम न्यायालय के पेट कोक तथा फर्नेस आयल पर नियंत्रण का मतलब है कि औद्योगिक इकाइयों को प्राकृतिक गैस जैसे वैकल्पिक ईंधन अपनाने की जरूरत होगी. इससे उद्योग में उपयोग को लेकर अल्पकाल से लेकर मध्यम अवधि में पीएनजी के लिये मांग बढ़ेगी.

बयान में यह भी कहा कि पिछले तीन साल में सीजीडी इकाइयों के मार्जिन में वृद्धि हुई है. डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट, कमजोर औद्योगिक मांग तथा वैकल्पिक ईंधन से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा के बावजूद मार्जिन सुधरा है.

(भाषा)

नई दिल्ली: गैस कीमतों में नरमी से सीएनजी और पाइप के जरिये घरों में उपयोग होने वाली गैस का उपभोग बढ़ रहा है. इससे शहरों में गैस वितरण का काम करने वाली इकाइयों को अच्छा मार्जिन देखने को मिल सकता है लेकिन गैस आवंटन नीति में कोई भी प्रतिकूल बदलाव उद्योग के लाभ के लिये प्रमुख जोखिम है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह कहा.

इक्रा ने शहरी गैस वितरण क्षेत्र (सीजीडी) पर तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वाहनों में उपयोग होने वाले काम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) तथा घरों में पाइप के जरिये पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की खपत में वृद्धि की प्रवृत्ति है. इसका कारण पिछले 2-3 साल में गैस कीमतों में नरमी है.

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इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रविचन्द्रन ने कहा , "आने वाले समय में मांग में वृद्धि सीजीडी इकाइयों के पक्ष में है. अगले दशक में यही स्थिति बनी रहने की उम्मीद है और उनका मार्जिन मजबूत बने रहने की संभावना है." उन्होंने कहा कि सीएनजी के लिए अर्थशास्त्र अनुकूल है. औद्योगिक उपयोग के लिये पीएनजी मामूली रूप से लाभकारी हो सकती है.

रविचन्द्रन ने कहा, "उद्योग को केंद्र सरकार की प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने की मौजूदा नीति से लाभ होगा. लेकिन घरेलू गैस आवंटन नीति में किसी प्रकार का बदलाव क्षेत्र की लाभदयकता और व्यवहार्यता के लिए बड़ा जोखिम है."

फिलहाल सीजीडी इकाइयों को सस्ती घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस के आवंटन में प्राथमिकता है. इस गैस को वाहनों को बेचने के लिये सीएनजी तथा घरों में खाना पकाने में उपयोग के लिए रसोई गैस में तब्दील किया जाता है. साथ ही उद्योग की ईंधन मांग भी इसके जरिये पूरी की जाती है.

इक्रा के अंकित पटेल ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उच्चतम न्यायालय के पेट कोक तथा फर्नेस आयल पर नियंत्रण का मतलब है कि औद्योगिक इकाइयों को प्राकृतिक गैस जैसे वैकल्पिक ईंधन अपनाने की जरूरत होगी. इससे उद्योग में उपयोग को लेकर अल्पकाल से लेकर मध्यम अवधि में पीएनजी के लिये मांग बढ़ेगी.

बयान में यह भी कहा कि पिछले तीन साल में सीजीडी इकाइयों के मार्जिन में वृद्धि हुई है. डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट, कमजोर औद्योगिक मांग तथा वैकल्पिक ईंधन से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा के बावजूद मार्जिन सुधरा है.

(भाषा)

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गैस आवंटन नीति में बदलाव का शहरी गैस वितरण इकाइयों के लाभ पर पड़ सकता है असर

नई दिल्ली: गैस कीमतों में नरमी से सीएनजी और पाइप के जरिये घरों में उपयोग होने वाली गैस का उपभोग बढ़ रहा है. इससे शहरों में गैस वितरण का काम करने वाली इकाइयों को अच्छा मार्जिन देखने को मिल सकता है लेकिन गैस आवंटन नीति में कोई भी प्रतिकूल बदलाव उद्योग के लाभ के लिये प्रमुख जोखिम है. रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह कहा. 

इक्रा ने शहरी गैस वितरण क्षेत्र (सीजीडी) पर तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वाहनों में उपयोग होने वाले काम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) तथा घरों में पाइप के जरिये पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस (पीएनजी) की खपत में वृद्धि की प्रवृत्ति है. इसका कारण पिछले 2-3 साल में गैस कीमतों में नरमी है. 

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इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रविचन्द्रन ने कहा , "आने वाले समय में मांग में वृद्धि सीजीडी इकाइयों के पक्ष में है. अगले दशक में यही स्थिति बनी रहने की उम्मीद है और उनका मार्जिन मजबूत बने रहने की संभावना है." उन्होंने कहा कि सीएनजी के लिए अर्थशास्त्र अनुकूल है. औद्योगिक उपयोग के लिये पीएनजी मामूली रूप से लाभकारी हो सकती है. 

रविचन्द्रन ने कहा, "उद्योग को केंद्र सरकार की प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने की मौजूदा नीति से लाभ होगा. लेकिन घरेलू गैस आवंटन नीति में किसी प्रकार का बदलाव क्षेत्र की लाभदयकता और व्यवहार्यता के लिए बड़ा जोखिम है." 

फिलहाल सीजीडी इकाइयों को सस्ती घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस के आवंटन में प्राथमिकता है. इस गैस को वाहनों को बेचने के लिये सीएनजी तथा घरों में खाना पकाने में उपयोग के लिए रसोई गैस में तब्दील किया जाता है. साथ ही उद्योग की ईंधन मांग भी इसके जरिये पूरी की जाती है. 

इक्रा के अंकित पटेल ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उच्चतम न्यायालय के पेट कोक तथा फर्नेस आयल पर नियंत्रण का मतलब है कि औद्योगिक इकाइयों को प्राकृतिक गैस जैसे वैकल्पिक ईंधन अपनाने की जरूरत होगी. इससे उद्योग में उपयोग को लेकर अल्पकाल से लेकर मध्यम अवधि में पीएनजी के लिये मांग बढ़ेगी. 

बयान में यह भी कहा कि पिछले तीन साल में सीजीडी इकाइयों के मार्जिन में वृद्धि हुई है. डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में गिरावट, कमजोर औद्योगिक मांग तथा वैकल्पिक ईंधन से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा के बावजूद मार्जिन सुधरा है.

(भाषा) 


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