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कैग ने सरकारी बैंकों में पूंजी डाले जाने के बारे में प्रदर्शन ऑडिट का ब्योरा मांगा

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Published : Jan 3, 2021, 4:00 PM IST

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने वित्त मंत्रालय से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में बड़े स्तर पर पूंजी डालने के अभियान के संदर्भ में जारी प्रदर्शन ऑडिट को लेकर ब्योरा मांगा है.

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नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में बड़े स्तर पर पूंजी डालने के अभियान के संदर्भ में जारी प्रदर्शन ऑडिट को लेकर ब्योरा मांगा है.

सूत्रों ने कहा कि कैग 2016-17 के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डाली गयी पूंजी के बारे में प्रदर्शन ऑडिट को देख रहा है और उसने वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग को पत्र लिखा है. पत्र में विभिन्न पीएसबी में पूंजी डालने के औचित्य समेत अन्य जानकारी मांगी गई है.

भारत सरकार ने 2017-18 में पीएसबी में 90,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली, जो अगले साल बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये हो गयी. पिछले वित्त वर्ष में बांड के जरिए 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई.

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की योजना बनाई है. इसमें से सरकार ने बासेल तीन दिशानिर्देशों के अंतर्गत नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए 2020 में 5,500 करोड़ रुपये पंजाब एंड सिंध बैंक में डाले.

ऑडिट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने के प्रभाव का विश्लेषण किया जा सकता है. साथ ही इसमें इस बात का भी आकलन किया जाएगा कि यह कदम किस प्रकार संपत्ति पर रिटर्न (आरओए), इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) और कर्ज वृद्धि की दर जैसे वित्तीय मानदंडों में सुधार लाने में सफल रहा है.

कैग ने जुलाई 2017 में अपनी अंतिम रिपोर्ट में विभिन्न बैंकों को पूंजी दिए जाने के मामले में कमियों को रेखांकित किया था.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 2019 में एक लाख करोड़ रुपये जुटाने को लेकर भी संदेह जताया था.

पढ़ें :- 5 से 18 दिसंबर के दौरान बैंकों का ऋण छह प्रतिशत बढ़ा, जमा में 11.3 प्रतिशत की वृद्धि

कैग ने कहा था, भारत सरकार का विभिन्न पीएसबी को पूंजी उपलब्ध कराए जाने को लेकर औचित्य किसी रिकार्ड में नहीं नजर आया. कुछ बैंक निर्धारित नियमों के तहत अतिरिक्त पूंजी पाने के लिए पात्र नहीं थे, लेकिन उन्हें राशि उपलब्ध कराई गई. एक बैंक को जरूरत से अधिक पूंजी दी गई. जबकि अन्य को पूंजी पर्याप्तता जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी पूंजी प्राप्त नहीं हुई.

केंद्र ने 2008-09 से 2016-17 के दौरान 1,18,724 करोड़ रुपये की पूंजी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डाला.

कैग के अनुसार इसमें से एसबीआई (भारतीय स्टैट बैंक) को अधिकतम 26,948 करोड़ रुपये की पूंजी मिली, जो डाली गई कुल पूंजी का 22.7 प्रतिशत था.

आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को भी कुल पूंजी में क्रमश: 8.77 प्रतिशत, 8.61 प्रतिशत, 7.88 प्रतिशत और 7.80 प्रतिशत पूंजी मिली. पंजाब एंड सिंध बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को सबसे कम क्रमश: 0.20 प्रतिशत और 0.24 प्रतिशत पूंजी मिली.

नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में बड़े स्तर पर पूंजी डालने के अभियान के संदर्भ में जारी प्रदर्शन ऑडिट को लेकर ब्योरा मांगा है.

सूत्रों ने कहा कि कैग 2016-17 के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डाली गयी पूंजी के बारे में प्रदर्शन ऑडिट को देख रहा है और उसने वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग को पत्र लिखा है. पत्र में विभिन्न पीएसबी में पूंजी डालने के औचित्य समेत अन्य जानकारी मांगी गई है.

भारत सरकार ने 2017-18 में पीएसबी में 90,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली, जो अगले साल बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये हो गयी. पिछले वित्त वर्ष में बांड के जरिए 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई.

चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की योजना बनाई है. इसमें से सरकार ने बासेल तीन दिशानिर्देशों के अंतर्गत नियामकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए 2020 में 5,500 करोड़ रुपये पंजाब एंड सिंध बैंक में डाले.

ऑडिट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने के प्रभाव का विश्लेषण किया जा सकता है. साथ ही इसमें इस बात का भी आकलन किया जाएगा कि यह कदम किस प्रकार संपत्ति पर रिटर्न (आरओए), इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) और कर्ज वृद्धि की दर जैसे वित्तीय मानदंडों में सुधार लाने में सफल रहा है.

कैग ने जुलाई 2017 में अपनी अंतिम रिपोर्ट में विभिन्न बैंकों को पूंजी दिए जाने के मामले में कमियों को रेखांकित किया था.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 2019 में एक लाख करोड़ रुपये जुटाने को लेकर भी संदेह जताया था.

पढ़ें :- 5 से 18 दिसंबर के दौरान बैंकों का ऋण छह प्रतिशत बढ़ा, जमा में 11.3 प्रतिशत की वृद्धि

कैग ने कहा था, भारत सरकार का विभिन्न पीएसबी को पूंजी उपलब्ध कराए जाने को लेकर औचित्य किसी रिकार्ड में नहीं नजर आया. कुछ बैंक निर्धारित नियमों के तहत अतिरिक्त पूंजी पाने के लिए पात्र नहीं थे, लेकिन उन्हें राशि उपलब्ध कराई गई. एक बैंक को जरूरत से अधिक पूंजी दी गई. जबकि अन्य को पूंजी पर्याप्तता जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी पूंजी प्राप्त नहीं हुई.

केंद्र ने 2008-09 से 2016-17 के दौरान 1,18,724 करोड़ रुपये की पूंजी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डाला.

कैग के अनुसार इसमें से एसबीआई (भारतीय स्टैट बैंक) को अधिकतम 26,948 करोड़ रुपये की पूंजी मिली, जो डाली गई कुल पूंजी का 22.7 प्रतिशत था.

आईडीबीआई बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को भी कुल पूंजी में क्रमश: 8.77 प्रतिशत, 8.61 प्रतिशत, 7.88 प्रतिशत और 7.80 प्रतिशत पूंजी मिली. पंजाब एंड सिंध बैंक और बैंक ऑफ इंडिया को सबसे कम क्रमश: 0.20 प्रतिशत और 0.24 प्रतिशत पूंजी मिली.

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