नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन को मंगलवार को मंजूरी दे दी जिसमें अब आठ की जगह अध्यक्ष सहित पांच सदस्य होंगे. इसके साथ ही रेलवे के विभिन्न संवर्गों का विलय एकल रेलवे प्रबंधन प्रणाली में करने को भी स्वीकृति दे दी गई.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि यह महत्वपूर्ण बदलाव रेलवे को और आधुनिक करने के लिए किए गए हैं. इसमें किसी की नौकरी नहीं जाएगी और ना ही इसे निजीकरण करने की दिशा में कोई कदम उठाया जा रहा है.
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रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ईटीवी से खास बातचीत में बताया कि अभी तक एक रेलवे बोर्ड हुआ करता था जो सालों से काम करता रहा था. जिसमें अलग-अलग टेक्निकल विभागों के लिए एक-एक सदस्य होते थे जो चेयरमैन के नेतृत्व में काम करते थे मगर अब यह सारी सर्विस को बदलकर इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस का नाम दिया जा रहा है और अब इसमें एक रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के अलावा चार और सदस्य होंगे.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन एक ऐतिहासिक फैसला है. उन्होंने कहा कि पुनगर्ठित रेलवे बोर्ड विभागों की जटिलताओं से राहत दिलाएगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें किसी की वरीयता से समझौता नहीं होगा.
ईटीवी के सवाल पर कि क्या यह रेलवे के निजीकरण की दिशा में एक कदम है. इसके जवाब में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है. रेलवे का निजीकरण नहीं किया जा रहा है बल्कि इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जा रहा है और इनकी सर्विसेस को समाहित किया जा रहा है. इसमें किसी की नौकरी नहीं जाएगी.
गोयल ने बताया कि यातायात, रोलिंग स्टॉक, ट्रैक्शन एंड इंजीनियरिंग के लिए सदस्यों की जगह नवगठित रेलवे बोर्ड में परिचालन, व्यवसाय विकास, मानव संसाधन, अवसंरचना और वित्त कार्यों के लिए सदस्य होंगे. इन्हें एक केंद्रीय सेवा भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा आईआरएमएस के दायरे में लाया जायेगा. भारतीय रेलवे में दो विभाग रेलवे सुरक्षा बल और चिकित्सा सेवा विभाग होंगे.
रेलवे बोर्ड का नेतृत्व रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सीआरबी करेंगे जो मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ होंगे. इसके चार सदस्य एवं कुछ स्वतंत्र सदस्य होंगे. गौरतलब है कि भारतीय रेलवे पर बनी विवेक देबराय समिति ने 2015 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की सिफारिश की थी.