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सरकार ने लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक में विलय को मंजूरी दी, निकासी की सीमा भी हटाई - आरबीआई

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने एलवीबी के डीबीएस बैंक इंडिया लि. में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से जहां बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं को राहत मिलेगी, वहीं 4,000 कर्मचारियों की सेवाएं भी सुरक्षित रहेंगी.

कैबिनेट ने दी डीबीएस बैंक के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के समामेलन को मंजूरी
कैबिनेट ने दी डीबीएस बैंक के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के समामेलन को मंजूरी
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Published : Nov 25, 2020, 3:35 PM IST

Updated : Nov 25, 2020, 4:30 PM IST

नई दिल्ली: सरकार ने संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में विलय को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा सरकार ने जमाकर्ताओं के लिए बैंक से निकासी की सीमा को भी हटा लिया है.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने एलवीबी के डीबीएस बैंक इंडिया लि. में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से जहां बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं को राहत मिलेगी, वहीं 4,000 कर्मचारियों की सेवाएं भी सुरक्षित रहेंगी.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने ट्वीट किया, "मंत्रिमंडल ने लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया में विलय की योजना को मंजूरी दे दी है. इसके साथ अब जमाकर्ताओं पर बैंक से निकासी को लेकर अब कोई अंकुश नहीं रहेगा."

मंत्री ने कहा कि एलवीबी की वित्तीय सेहत को खराब करने वाले लोगों को दंडित किया जाएगा. इससे पहले सरकार ने 17 नवंबर को रिजर्व बैंक को संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक पर 30 दिन की 'रोक' की सलाह दी थी. साथ ही प्रत्येक जमाकर्ता 25,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की गई थी.

इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कंपनी कानून, 2013 के तहत एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना का मसौदा भी सार्वजनिक किया था.

केंद्रीय बैंक ने एलवीबी के बोर्ड को भंग कर दिया था और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टी एन मनोहरन को 30 दिन के लिए बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था.

राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष में 6,000 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी डालने को मंजूरी

सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) में 6,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

एनआईआईएफ में 6,000 करोड़ रुपये के सरकारी निवेश का प्रस्ताव इस महीने की शुरूआत में घोषित आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज का हिस्सा है.

सरकार ने राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पाइपलाइन (श्रृंखला) के कामों के लिए 111 लाख करोड़ रुपये के वित्त पोषण समर्थन के लिये यह कदम उठाया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में कहा था कि राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन के 111 लाख करोड़ रुपये के वित्त पोषण के समर्थन में 22,000 करोड़ रुपये पहले ही उपलब्ध कराये जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें: अटल पेंशन योजना में 2020-21 में अभी तक 40 लाख से अधिक लोगों का पंजीकरण

नई दिल्ली: सरकार ने संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया लि. (डीबीआईएल) में विलय को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा सरकार ने जमाकर्ताओं के लिए बैंक से निकासी की सीमा को भी हटा लिया है.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मंत्रिमंडल ने एलवीबी के डीबीएस बैंक इंडिया लि. में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. उन्होंने कहा कि इस फैसले से जहां बैंक के 20 लाख जमाकर्ताओं को राहत मिलेगी, वहीं 4,000 कर्मचारियों की सेवाएं भी सुरक्षित रहेंगी.

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने ट्वीट किया, "मंत्रिमंडल ने लक्ष्मी विलास बैंक के डीबीएस बैंक इंडिया में विलय की योजना को मंजूरी दे दी है. इसके साथ अब जमाकर्ताओं पर बैंक से निकासी को लेकर अब कोई अंकुश नहीं रहेगा."

मंत्री ने कहा कि एलवीबी की वित्तीय सेहत को खराब करने वाले लोगों को दंडित किया जाएगा. इससे पहले सरकार ने 17 नवंबर को रिजर्व बैंक को संकट में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक पर 30 दिन की 'रोक' की सलाह दी थी. साथ ही प्रत्येक जमाकर्ता 25,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की गई थी.

इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कंपनी कानून, 2013 के तहत एलवीबी के डीबीआईएल में विलय की योजना का मसौदा भी सार्वजनिक किया था.

केंद्रीय बैंक ने एलवीबी के बोर्ड को भंग कर दिया था और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टी एन मनोहरन को 30 दिन के लिए बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था.

राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष में 6,000 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी डालने को मंजूरी

सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) में 6,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी डालने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

एनआईआईएफ में 6,000 करोड़ रुपये के सरकारी निवेश का प्रस्ताव इस महीने की शुरूआत में घोषित आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज का हिस्सा है.

सरकार ने राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पाइपलाइन (श्रृंखला) के कामों के लिए 111 लाख करोड़ रुपये के वित्त पोषण समर्थन के लिये यह कदम उठाया गया है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने बजट भाषण में कहा था कि राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन के 111 लाख करोड़ रुपये के वित्त पोषण के समर्थन में 22,000 करोड़ रुपये पहले ही उपलब्ध कराये जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें: अटल पेंशन योजना में 2020-21 में अभी तक 40 लाख से अधिक लोगों का पंजीकरण

Last Updated : Nov 25, 2020, 4:30 PM IST
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