नई दिल्ली: लोकल सर्कल्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में चीन विरोधी मनोदशा के मद्देनजर 97 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे प्रमुख चीनी ब्रांडों जैसे कि शाओमी, वीवो, ओप्पो, वीचैट, टिकटॉक का बहिष्कार करेंगे.
वहीं 87 फीसदी भारतीयों का कहना है कि वे हालिया भारत-चीन विवाद के बाद अगले एक साल तक चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने को तैयार हैं, जबकि 78 प्रतिशत नागरिक सरकार द्वारा चीनी आयात पर 200 प्रतिशत शुल्क लगाने का समर्थन करते हैं.
करीब 90 प्रतिशत भारतीयों का कहना है कि चीन में उत्पादित सभी उत्पादों को अनिवार्य रूप से बीआईएस, सीआरएस, सीडीएससीओ, एफएसएसएआई या प्रासंगिक इंडियन स्टैंडर्ड प्रमाणीकरण के साथ भारत में बेचा जाना चाहिए.
यह पूछे जाने पर कि क्या वे शाओमी, ओप्पो, वीवो, वनप्लस, क्लब फैक्ट्री, अलीएक्सप्रेस, शीन, टिकटॉक, वीचैट आदि जैसी चीनी कंपनियों के उत्पादों के खरीद/उपयोग का बहिष्कार करने के लिए तैयार हैं? इस पर 58 प्रतिशत ने तुरंत कहा, 'हां अब से नहीं खरीदेंगे', वहीं 39 फीसदी ने कहा कि, 'हां, अब से नहीं खरीदेंगे, लेकिन जो पहले से खरीदा है उसका इस्तेमाल करना होगा.'
इसका अर्थ यह है कि 97 फीसदी भारतीयों का कहना है कि वे प्रमुख चीनी ब्रांडों का बहिष्कार करेंगे और उसे नहीं खरीदेंगे, इसके बजाय वे भारतीय ब्रांडों का समर्थन करेंगे.
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पिछले एक दशक में इनमें से कई कंपनियों का चीन को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और भारत कई चीनी कंपनियों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बाजार बना हुआ है. चीन से आयात होने वाली प्रमुख वस्तुओं में स्मार्टफोन, टेलीकॉम उपकरण, टीवी, घरेलू उपकरण, ऑटो घटक, फार्मा सामग्री आदि शामिल हैं.
लोकल सर्कल्स का कहना है कि 15 जून को हुए चीन-भारत हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए, जिसे लेकर देश के नागरिकों में काफी आक्रोश है.
(आईएएनएस)