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सेमिनार आयोजित कर समझाया खेलकूद का महत्व

इंटरनेशनल वर्ल्ड प्ले डे पर 'ट्रस्ट' फाउंडेशन और 'द लेगो' फाउंडेशन की ओर से एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इस प्रोग्राम में खेलकूद के महत्व को समझाया गया.

सेमिनार में शामिल हुए बच्चें और माता-पिता
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Published : May 30, 2019, 5:19 PM IST

नई दिल्ली: इंटरनेशनल वर्ल्ड प्ले डे पर एक सेमिनार आयोजित किया गया है. जिसका मकसद लोगों में खेलकूद को लेकर जागरूक करना था. इसी के चलते 'ट्रस्ट' फाउंडेशन और 'द लेगो' फाउंडेशन की ओर से एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया.


जिसमें माता पिता को बच्चों के लिए खेलकूद के साथ अच्छे संबंध बनाने और खेलकूद के जरिए ही उनको सिखाने के महत्व के बारे में बताया गया. इस कार्यक्रम का मकसद दुनिया में लोगों को यह बताना है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खेल का क्या महत्व होता है.

इंटरनेशनल वर्ल्ड प्ले डे पर ईटीवी भारत ने की खास बातचीत

प्रोग्राम से फैली जागरूकता
सेसमी वर्कशॉप इंडिया की प्रबंधक निदेशक सोनाली खान ने बताया कि वो लोगों के बीच गए और उनको बताया कि 3 से 8 साल के बच्चे और उनके बेहतर विकास के लिए किस तरीके से खेलना कूदना जरूरी है.

चलाया प्रोग्राम
खेलकूद के महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए सेसमी वर्कशॉप इंडिया 'ट्रस्ट' और 'द लगो' फाउंडेशन ने वर्ल्ड प्ले के अवसर पर दिल्ली में प्ले कांफ्रेंस का आयोजन किया. जिसमें उन्होंने बताया कि पिछले 2 साल से एक प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिसका नाम था 'प्ले एवरीडे'. इस प्रोग्राम का मकसद इस गलतफहमी को हटाना था, जिसमें यह कहा जाता है कि खेलकूद समय की बर्बादी है.
यह प्रोग्राम भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको में भी कमजोर समुदाय की मदद के लिए चलाया जाता है.


खेलकूद से होता है बच्चों का विकास
जानकारी के अनुसार, हर एक 3 से 8 साल की उम्र के बच्चे के लिए खेलकूद की गतिविधियां काफी जरूरी होती हैं. क्योंकि इसी उम्र के दौरान बच्चे का रचनात्मक शिक्षा और मानसिक विकास होता है.

नई दिल्ली: इंटरनेशनल वर्ल्ड प्ले डे पर एक सेमिनार आयोजित किया गया है. जिसका मकसद लोगों में खेलकूद को लेकर जागरूक करना था. इसी के चलते 'ट्रस्ट' फाउंडेशन और 'द लेगो' फाउंडेशन की ओर से एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया.


जिसमें माता पिता को बच्चों के लिए खेलकूद के साथ अच्छे संबंध बनाने और खेलकूद के जरिए ही उनको सिखाने के महत्व के बारे में बताया गया. इस कार्यक्रम का मकसद दुनिया में लोगों को यह बताना है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खेल का क्या महत्व होता है.

इंटरनेशनल वर्ल्ड प्ले डे पर ईटीवी भारत ने की खास बातचीत

प्रोग्राम से फैली जागरूकता
सेसमी वर्कशॉप इंडिया की प्रबंधक निदेशक सोनाली खान ने बताया कि वो लोगों के बीच गए और उनको बताया कि 3 से 8 साल के बच्चे और उनके बेहतर विकास के लिए किस तरीके से खेलना कूदना जरूरी है.

चलाया प्रोग्राम
खेलकूद के महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए सेसमी वर्कशॉप इंडिया 'ट्रस्ट' और 'द लगो' फाउंडेशन ने वर्ल्ड प्ले के अवसर पर दिल्ली में प्ले कांफ्रेंस का आयोजन किया. जिसमें उन्होंने बताया कि पिछले 2 साल से एक प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिसका नाम था 'प्ले एवरीडे'. इस प्रोग्राम का मकसद इस गलतफहमी को हटाना था, जिसमें यह कहा जाता है कि खेलकूद समय की बर्बादी है.
यह प्रोग्राम भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको में भी कमजोर समुदाय की मदद के लिए चलाया जाता है.


खेलकूद से होता है बच्चों का विकास
जानकारी के अनुसार, हर एक 3 से 8 साल की उम्र के बच्चे के लिए खेलकूद की गतिविधियां काफी जरूरी होती हैं. क्योंकि इसी उम्र के दौरान बच्चे का रचनात्मक शिक्षा और मानसिक विकास होता है.

Intro:नोट- इंटरनैशनल वर्ल्ड प्ले डे 28 मई को मनाया जाता है लेकिन आज इन लोगो ने इसके लिए एक सेमिनार आयोजित किया था.जिसका मकसद लोगो को इसके लिए जागरूक करना था कार्यक्रम 29 मई को ही आयोजित किया गया,तो मेने भी वर्ल्ड प्ले डे के महत्व को बताते हुए स्टोरी लिखी है,ओर पूरा ब्रीफ किया है, जो सही नही लगे कृप्या उससे हटा लें. धन्यवाद 28 मई को इंटरनेशनल वर्ल्ड प्ले डे मनाया जाता है जिसका मकसद दुनिया में लोगों को यह बताना है की कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में खेल की की क्या महत्व होता है खासकर बच्चों के जीवन में क्योंकि बच्चों का बचपन खेल के बिना अधूरा है, अधूरा इसलिए क्योंकि खेल के बिना बच्चों का सही विकास नहीं होता और ना ही वह कुछ सीख पाते हैं इसी सोच को लोगो तक पहुंचाने के लिए सच में फाउंडेशन और लेगो फाउंडेशन की ओर से एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. जिसमें माता पिता को बच्चों के साथ खेलकूद के साथ अच्छे संबंध बनाने और खेलकूद के जरिए ही उनको सिखाने के महत्व के बारे में बताया गया


Body:आपको बता दें रिसर्च में यह पाया गया है कि हर एक 3 से 8 साल की उम्र के बच्चे के लिए खेलकूद की गतिविधियां काफी जरूरी होती हैं क्योंकि इसी उम्र के दौरान बच्चे का रचनात्मक शिक्षा और मानसिक विकास होता है बच्चा खेलकूद के दौरान ही कई चीजें सीखता है और भावनात्मक तरीके से ही मजबूत होता है इसी के साथ अपने आप को बेहतर तरीके से दूसरों के सामने रखने में सक्षम होता है हालांकि भारत में इस तरीके की कई गतिविधियों में कमी पाई जाती है और बच्चों के लिए खेल के महत्व को कम समझा जाता है इसी कारण बच्चों का ग्रोथ नहीं हो पाता, हालांकि अब कई शोध के बाद यह चीजें सामने आई हैं और कई संस्थानों स्कूल में और यहां तक कि घरों में भी बच्चों को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा है और इसके लिए कई तरीके की एक्टिविटीज और पाठशालाए खोली गई है इसी महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए सेसमी वर्कशॉप इंडिया ट्रस्ट और द लगो फाउंडेशन ने वर्ल्ड प्ले के अवसर पर दिल्ली में प्ले कांफ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने बताया की पिछले 2 साल से एक प्रोग्राम चलाया जिसका नाम था प्ले एवरीडे इस प्रोग्राम का मकसद इस गलतफहमी को हटाना था जिसमें यह कहा जाता है कि 'खेलकूद समय की बर्बादी है' इस वर्कशॉप में यह प्रोग्राम भारत में ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको में भी कमजोर समुदाय की मदद के लिए चलाया, इस प्रोग्राम के तहत दिल्ली के दिल्ली के स्लम एरिया और कमजोर समुदायों में जाकर लोगों को खेल के महत्व के बारे में बताया गया और और खेलकूद की कार्यशाला ओ नुक्कड़ नाटक समेत मेले के जरिए लोगों को यह बताया गया कि बच्चों के लिए खेलकूद कितना आवश्यक है दरअसल छोटे और कमजोर समुदायों में इस चीज को अधिक महत्व नहीं दिया जाता और बच्चों को बचपन से ही कई कामों में लगा दिया जाता है इस कारण ही इस प्रोग्राम का मकसद दिल्ली के कई कमजोर समुदायों को इसका महत्व समझाना था


Conclusion:इस पर हमने सेमी बॉक्स ऑफ इंडिया की प्रबंधक निदेशक सोनाली खान से बात की जिस पर उन्होंने बताया कि वो लोगों के बीच गए और उनको बताया कि 3 से 8 साल के बच्चे के लिए उसके बेहतर विकास के लिए किस तरीके से खेलना कूदना जरूरी है उन्होंने बताया इसके लिए उन्होंने 2 साल का प्रोग्राम शुरू किया था जिसमें परिणाम काफी अच्छे देखने को मिले और जो बच्चे गुमसुम रहते थे वह इस प्रोग्राम के बाद काफी एक्टिव और खेलकूद के साथ कौशल विकास करते हुए देखा गया सोनाली खान ने बताया की बच्चों के माता-पिता ने भी यह महसूस किया कि खेलकूद की मदद से बच्चे के शुरुआती विकास के अलावा उनके आजीवन शिक्षा का विकास भी हुआ है और माता-पिता भी बढ़-चढ़कर अपने बच्चों को लेकर इस प्रोग्राम में शामिल हुए और उनके साथ बच्चे बनते हुए भी नजर आए इस पर हमने इस प्रोग्राम के को सपोर्टर लेगो फाउंडेशन के डायरेक्टर से भी बात की उन्होंने बताया की वह 3 साल से इस पर काम कर रहे हैं और आगे भी हो इसके लिए बढ़-चढ़कर काम करते रहेंगे
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