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Watch: अल्जाइमर पीड़ितों के लिए युवक ने बनाई डिवाइस, केंद्रीय मंत्री ने किया सम्मानित

अल्जाइमर से दादी को संघर्ष करते देख युवा हिमेश ने कुछ ऐसा करने की ठानी कि ऐसे लोगों की मदद की जा सके. 14 साल की उम्र में उन्होंने एक खास रिस्टबैंड बनाया और सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. उन्होंने अपनी प्रतिभा के लिए प्रधानमंत्री बाल शक्ति पुरस्कार और टाइम्स अनस्टॉपेबल 21 जैसे पुरस्कार जीते हैं. wristwatch for Alzheimer patients, youth Himesh made wristwatch for Alzheimer patients .

Chadalwada Hemesh
चादलवाड़ा हिमेश
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 13, 2023, 6:40 PM IST

देखिए वीडियो

हैदराबाद : चादलवाड़ा हिमेश ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. उसने अल्जाइमर रोगियों के लिए एक विशेष कलाई घड़ी बनाई और सभी का ध्यान आकर्षित किया. इसे टाइम्स ऑफ ए बेटर इंडिया अनस्टॉपेबल 21 सेक्शन में मान्यता प्राप्त हुई. उन्हें प्रधानमंत्री बाल शक्ति पुरस्कार के लिए भी चुना गया.

हिमेश आज के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो हर चीज के बावजूद आगे बढ़ने में चुनौतियों और शंकाओं से जूझ रहे हैं. हिमेश का मूल स्थान गुंटूर जिला है. वह फिलहाल हैदराबाद में रह रहे हैं. हिमेश ने अल्जाइमर से जूझ रही अपनी दादी की कठिनाइयों को देखा. उन्होंने सोचा कि उनके जैसे बहुत से लोग हैं और उनके लिए कुछ करना अच्छा होगा.

10वीं कक्षा में उन्होंने पहली बार अल्जाइमर रोगियों के लिए एक विशेष उपकरण 'अल्फामॉनिटर' बनाया. सैमसंग ने उनकी डिवाइस को सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए 33 लाख रुपये का अनुदान देकर उन्हें प्रोत्साहित किया है. युवक ने अपने शोध को और बेहतर बनाया. युवक का कहना है कि वह अपनी मेहनत के लिए पहचाने जाने से बेहद खुश है और इससे उसे और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है. हिमेश कहते हैं कि अगर हासिल करने की चाहत मजबूत हो तो हालात हमारे पक्ष में हो जाएंगे.

यूट्यूब पर संबंधित वीडियो देखने के बाद हिमेश ने अल्फ़ा मॉनिटर बनाने की सोची. फिर इसे आकार में लाने में एक साल का समय लग गया. इसके बाद आगे किस तरह का विकास किया जाना चाहिए, इस पर विशेषज्ञों से चर्चा कर अंतिम रूप दिया गया.

पहले खुद पर किया प्रयोग : यह उपकरण काम करता है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए हिमेश ने पहले खुद पर प्रयोग किया. घड़ी गतिविधियों के आधार पर अलर्ट देती है. अलर्ट देने के लिए एक विशेष हार्ड डिस्क जैसा उपकरण बनाया जाता है. कलाई घड़ी को शरीर पर जहां भी रखा जाए वहां काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. बाद में इसे TSIC द्वारा उस डिवाइस के लिए विशेष मान्यता मिली. तब डिवाइस को आकार में छोटा बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था. हिमेश ने एक विशेष मोबाइल एप बनाया है ताकि अन्य राज्यों के लोगों को वर्तमान में बनी कलाई घड़ी पहनने पर अलर्ट मिल सके. हिमेश का कहना है कि यह अभी बाजार में नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने किया सम्मानित : टाइम्स ऑफ ए बेटर इंडिया श्रेणी में देश भर से 21 वर्ष से कम उम्र के 21 युवा उपलब्धि हासिल करने वालों को अनस्टॉपेबल 21 नाम से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया. नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें सम्मानित किया. हिमेश के साथ 20 अन्य युवा उपलब्धियों को भी मानविकी, विज्ञान, खेल, ललित कला, प्रदर्शन कला, सामाजिक सक्रियता और उद्यमिता के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया.

अनस्टॉपेबल21 टीम का चयन करने वाली जूरी में चेतन भगत, शाहीन मिस्त्री, विश्वनाथन आनंद, नंदन नीलेकणि, संगीता जिंदल, सुधा रघुनाथन, अंकुर तिवारी, गोविंद रंगराजन और रोहन वर्मा जैसी हस्तियां शामिल थीं. फिलहाल हिमेश 16 साल के हैं. उनके माता-पिता भी उनकी प्रतिभा को पहचानते हैं और उन्हें पूरा सहयोग देते हैं.

युवक का कहना है कि उसका लक्ष्य भविष्य में और भी नई डिवाइस बनाना है. रुचि का क्षेत्र होने के कारण वह घंटों अथक मेहनत कर रहे हैं. हिमेश कहते हैं कि अगर आपमें इसे हासिल करने की इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है....कड़ी मेहनत करें तो कुछ भी संभव है. उनका कहना है कि वह भविष्य में और भी डिवाइस बनाएंगे.

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हैदराबाद : चादलवाड़ा हिमेश ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. उसने अल्जाइमर रोगियों के लिए एक विशेष कलाई घड़ी बनाई और सभी का ध्यान आकर्षित किया. इसे टाइम्स ऑफ ए बेटर इंडिया अनस्टॉपेबल 21 सेक्शन में मान्यता प्राप्त हुई. उन्हें प्रधानमंत्री बाल शक्ति पुरस्कार के लिए भी चुना गया.

हिमेश आज के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो हर चीज के बावजूद आगे बढ़ने में चुनौतियों और शंकाओं से जूझ रहे हैं. हिमेश का मूल स्थान गुंटूर जिला है. वह फिलहाल हैदराबाद में रह रहे हैं. हिमेश ने अल्जाइमर से जूझ रही अपनी दादी की कठिनाइयों को देखा. उन्होंने सोचा कि उनके जैसे बहुत से लोग हैं और उनके लिए कुछ करना अच्छा होगा.

10वीं कक्षा में उन्होंने पहली बार अल्जाइमर रोगियों के लिए एक विशेष उपकरण 'अल्फामॉनिटर' बनाया. सैमसंग ने उनकी डिवाइस को सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए 33 लाख रुपये का अनुदान देकर उन्हें प्रोत्साहित किया है. युवक ने अपने शोध को और बेहतर बनाया. युवक का कहना है कि वह अपनी मेहनत के लिए पहचाने जाने से बेहद खुश है और इससे उसे और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है. हिमेश कहते हैं कि अगर हासिल करने की चाहत मजबूत हो तो हालात हमारे पक्ष में हो जाएंगे.

यूट्यूब पर संबंधित वीडियो देखने के बाद हिमेश ने अल्फ़ा मॉनिटर बनाने की सोची. फिर इसे आकार में लाने में एक साल का समय लग गया. इसके बाद आगे किस तरह का विकास किया जाना चाहिए, इस पर विशेषज्ञों से चर्चा कर अंतिम रूप दिया गया.

पहले खुद पर किया प्रयोग : यह उपकरण काम करता है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए हिमेश ने पहले खुद पर प्रयोग किया. घड़ी गतिविधियों के आधार पर अलर्ट देती है. अलर्ट देने के लिए एक विशेष हार्ड डिस्क जैसा उपकरण बनाया जाता है. कलाई घड़ी को शरीर पर जहां भी रखा जाए वहां काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. बाद में इसे TSIC द्वारा उस डिवाइस के लिए विशेष मान्यता मिली. तब डिवाइस को आकार में छोटा बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था. हिमेश ने एक विशेष मोबाइल एप बनाया है ताकि अन्य राज्यों के लोगों को वर्तमान में बनी कलाई घड़ी पहनने पर अलर्ट मिल सके. हिमेश का कहना है कि यह अभी बाजार में नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने किया सम्मानित : टाइम्स ऑफ ए बेटर इंडिया श्रेणी में देश भर से 21 वर्ष से कम उम्र के 21 युवा उपलब्धि हासिल करने वालों को अनस्टॉपेबल 21 नाम से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया. नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें सम्मानित किया. हिमेश के साथ 20 अन्य युवा उपलब्धियों को भी मानविकी, विज्ञान, खेल, ललित कला, प्रदर्शन कला, सामाजिक सक्रियता और उद्यमिता के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया.

अनस्टॉपेबल21 टीम का चयन करने वाली जूरी में चेतन भगत, शाहीन मिस्त्री, विश्वनाथन आनंद, नंदन नीलेकणि, संगीता जिंदल, सुधा रघुनाथन, अंकुर तिवारी, गोविंद रंगराजन और रोहन वर्मा जैसी हस्तियां शामिल थीं. फिलहाल हिमेश 16 साल के हैं. उनके माता-पिता भी उनकी प्रतिभा को पहचानते हैं और उन्हें पूरा सहयोग देते हैं.

युवक का कहना है कि उसका लक्ष्य भविष्य में और भी नई डिवाइस बनाना है. रुचि का क्षेत्र होने के कारण वह घंटों अथक मेहनत कर रहे हैं. हिमेश कहते हैं कि अगर आपमें इसे हासिल करने की इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं है....कड़ी मेहनत करें तो कुछ भी संभव है. उनका कहना है कि वह भविष्य में और भी डिवाइस बनाएंगे.

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