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Ambikapur latest news अंबिकापुर में बेजुबानों के मसीहा बनें युवा, एक कॉल में पहुंचती है मदद - गौ सेवा मंडल

Ambikapur latest news सरगुजा जिले में युवाओं ने गौ सेवा मंडल नामक संगठन बनाया है. ये संगठन गायों समेत तमाम बेजुबान जानवरों की सेवा और संरक्षण के लिए काम करता है. इस संस्था के पास एक एम्बुलेंस भी है. जिसमें दुर्घटना में घायल हुए या बीमार पशुओं को इलाज के लिये वेटनरी हॉस्पिटल लाया जाता है. 5 हजार से अधिक रेस्क्यू बीते 5 वर्षों से यह संगठन सरगुजा संभाग में काम कर रहा है. करीब 5 हजार से भी अधिक रेस्क्यू इस टीम के द्वारा किया गया है.

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अंबिकापुर में बेजुबानों के मसीहा बनें युवा
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Published : Oct 27, 2022, 7:51 PM IST

सरगुजा : अंबिकापुर में पहले जानवरों के इलाज के लिए जाने या उन्हें अस्पताल तक लाने में बड़ी दिक्कत होती थी. किराए का वाहन लेना पड़ता था, वाहन देर से मिलने से कई बार समय पर इलाज नही मिल पाता था. जिससे पशुओं की मौत हो जाती थी. लेकिन शहर की गौ सेवा मंडल (Gau Sewa Mandal of ambikapur) ने बेजुबान जानवरों की तकलीफ को समझा और उनकी सेवा की ठानी.बीते पांच साल से संगठन गौ सेवा कर रहा है. अब इनके पास खुद की एम्बुलेंस है. जैसे ही कॉल आती है तुरंत एम्बुलेंस निकल जाती (youth become helper of animals ) है.

अंबिकापुर में बेजुबानों के मसीहा बनें युवा

शहर के समाज सेवी ने की मदद गौ सेवा मंडल के सदस्यों के काम को देखते हुये पिछले साल शहर के समाज सेवी शहर में मास्क मैन के नाम से मशहूर अजय अग्रवाल ने इनकी मदद की. अजय अग्रवाल ने एक मालवाहक वाहन को एम्बुलेंस बनवाकर इस संस्था को दान कर दिया. एम्बुलेंस मिलने के बाद इन युवाओं का काम आसान हो गया. अब कहीं से भी सूचना आने पर तुरंत ही मदद पहुंचाई जा रही है. समूह घायल जानवरों की दवाइयां भी कराते हैं. ज्यादा गंभीर होने की स्थिति में अम्बिकापुर के पशु चिकित्सालय लाया जाता है. यहां डॉक्टर की निगरानी में पशुओं का इलाज किया जाता है. लेकिन वेटनरी हॉस्पिटल में भी जानवरों की देख रेख उनके खाने पीने की व्यवस्था गौ सेवा मंडल करता है. यहां तक की बाहर से दवाइयां भी युवक खरीद कर पशुओं का इलाज करते हैं.

कितने जानवरों का कर रहे देखभाल : 200 लोगों के साथ संस्था में करीब 25 एक्टिव मेम्बर हैं. जो 24 घंटे सातों दिन कभी भी इस काम के लिये अलर्ट रहते हैं. इसके अलावा करीब 200 लोग इस संस्था से जुड़े हैं. सभी अपनी सुविधानुसार हर महीने कुछ पैसे संस्था को देते हैं. इस तरह पैसे के कलेक्शन से जानवरों की देखभाल में किया जाने वाले खर्च की व्यवस्था हो पाती है. एम्बुलेंस का मेंटेनेंस, डीजल, ड्राइवर, दवाइयां और पशुओं के चारे का खर्चा इसी सहयोग राशि के जरिये उठाया जाता है. बेजुबानों के मसीहा पशु विभाग के डॉक्टर सहयोग करते हैं. अस्पताल भी पशु विभाग का ही है लेकिन यहां की अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए इस संस्था ने मेहनत की है. जिला प्रशासन ने भी सहयोग किया है तब कहीं जाकर वेटनरी हॉस्पिटल में पशुओं को रखने की जगह व्यवस्थित हो सकी है. फिलहाल संस्था के सदस्य सभी युवा हैं और युवा बेजुबानों के मसीहा बन चुके हैं. क्योंकी इंसान अपनी तकलीफ बयां कर सकता है लेकिन जानवर नहीं.Ambikapur latest news

सरगुजा : अंबिकापुर में पहले जानवरों के इलाज के लिए जाने या उन्हें अस्पताल तक लाने में बड़ी दिक्कत होती थी. किराए का वाहन लेना पड़ता था, वाहन देर से मिलने से कई बार समय पर इलाज नही मिल पाता था. जिससे पशुओं की मौत हो जाती थी. लेकिन शहर की गौ सेवा मंडल (Gau Sewa Mandal of ambikapur) ने बेजुबान जानवरों की तकलीफ को समझा और उनकी सेवा की ठानी.बीते पांच साल से संगठन गौ सेवा कर रहा है. अब इनके पास खुद की एम्बुलेंस है. जैसे ही कॉल आती है तुरंत एम्बुलेंस निकल जाती (youth become helper of animals ) है.

अंबिकापुर में बेजुबानों के मसीहा बनें युवा

शहर के समाज सेवी ने की मदद गौ सेवा मंडल के सदस्यों के काम को देखते हुये पिछले साल शहर के समाज सेवी शहर में मास्क मैन के नाम से मशहूर अजय अग्रवाल ने इनकी मदद की. अजय अग्रवाल ने एक मालवाहक वाहन को एम्बुलेंस बनवाकर इस संस्था को दान कर दिया. एम्बुलेंस मिलने के बाद इन युवाओं का काम आसान हो गया. अब कहीं से भी सूचना आने पर तुरंत ही मदद पहुंचाई जा रही है. समूह घायल जानवरों की दवाइयां भी कराते हैं. ज्यादा गंभीर होने की स्थिति में अम्बिकापुर के पशु चिकित्सालय लाया जाता है. यहां डॉक्टर की निगरानी में पशुओं का इलाज किया जाता है. लेकिन वेटनरी हॉस्पिटल में भी जानवरों की देख रेख उनके खाने पीने की व्यवस्था गौ सेवा मंडल करता है. यहां तक की बाहर से दवाइयां भी युवक खरीद कर पशुओं का इलाज करते हैं.

कितने जानवरों का कर रहे देखभाल : 200 लोगों के साथ संस्था में करीब 25 एक्टिव मेम्बर हैं. जो 24 घंटे सातों दिन कभी भी इस काम के लिये अलर्ट रहते हैं. इसके अलावा करीब 200 लोग इस संस्था से जुड़े हैं. सभी अपनी सुविधानुसार हर महीने कुछ पैसे संस्था को देते हैं. इस तरह पैसे के कलेक्शन से जानवरों की देखभाल में किया जाने वाले खर्च की व्यवस्था हो पाती है. एम्बुलेंस का मेंटेनेंस, डीजल, ड्राइवर, दवाइयां और पशुओं के चारे का खर्चा इसी सहयोग राशि के जरिये उठाया जाता है. बेजुबानों के मसीहा पशु विभाग के डॉक्टर सहयोग करते हैं. अस्पताल भी पशु विभाग का ही है लेकिन यहां की अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए इस संस्था ने मेहनत की है. जिला प्रशासन ने भी सहयोग किया है तब कहीं जाकर वेटनरी हॉस्पिटल में पशुओं को रखने की जगह व्यवस्थित हो सकी है. फिलहाल संस्था के सदस्य सभी युवा हैं और युवा बेजुबानों के मसीहा बन चुके हैं. क्योंकी इंसान अपनी तकलीफ बयां कर सकता है लेकिन जानवर नहीं.Ambikapur latest news

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