खरगोन। आस्था कहे या श्रद्धा या कहे विश्वास. मध्यप्रदेश कि जीवनदायिनी मां नर्मदा को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कलयुग कि गंगा कहा जाता हैं. प्रतिवर्ष नर्मदा परिक्रमा के लिए लाखों लोग आते है. इस वर्ष नर्मदा परिक्रमा मे महाराष्ट्र से एक चार साल कि बच्ची पैदल नर्मदा परिक्रमा कर रही हैं. (see enthusiasm of child)
मां नर्मदा के प्रति मासूम की जबरदस्त आस्थाः नर्मदा माता की परिक्रमा यात्रा के लिए 4 साल की मासूम 25 किलोमीटर रोज पैदल चलती है. परिक्रमा पथ के पथरीले और कंटीली पगडंडी तय कर रहे नन्हें पैर. बालिका के कठोर निर्णय को देख लोग आश्चर्यचकित. महाराष्ट्र के शनि सिंगणापुर के पास चेड़गांव से अपनी मां और छह सदस्य दल के साथ पहुंची है. 4 वर्षीय मासूम बालिका राजेश्वरगिरी. अपनी इस कठिन यात्रा के दौरान इस बच्ची को अपने परिवार वालों के संग साढ़े 3 हजार किमी. पैदल सफर तय करना है. (Masoom tremendous faith in mother narmada)
दो माह चल चुकी और 2 माह की यात्रा बाकी हैः नर्मदा नदी के प्रति लोगों की अटूट और अद्भुत आस्था है. इसके चलते नर्मदा परिक्रमा पर हर साल लाखों की संख्या में लोग अलग-अलग अंदाज में परिक्रमा करते हैं. पहली बार एक 4 वर्षीय बालिका राजेश्वरगिरी महाराष्ट्र से नर्मदा परिक्रमा पर निकली और खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर बड़वाह पहुंची. 6 सदस्यीय दल के साथ 12 अक्टूबर से महाराष्ट्र से निकली 4 वर्षीय बालिका अपनी मां अर्चनातयगिरी, भूषण श्रीमंत मशाल, स्वरमाला शिन्दे और गणेश शिंदे के साथ नर्मदा परिक्रमा कर रही है. परिक्रमा कर रहा दल बड़वाह के एमजी रोड स्थित आनंदेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन, भजन कीर्तन के लिए रुका है. परिक्रमा पर निकला दल चलते-चलते तो थक जाता है. 4 वर्षीय बालिका फिर भी नहीं रुकती. बालिका के नर्मदा नदी के पति अटूट आस्था के चलते साथ चलने वाले दल के सदस्यों को भी ऊर्जा मिल रही है. अब तक 2 माह की यात्रा पूरी कर चुकी है, और बालिका को 2 माह और सफर तय करना है. (2 months have passed 2 months of travel is left)