नई दिल्ली : भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स संघ (इन्साकॉग) के आंकड़ों के अनुसार भारत में कोरोना वायरस के एक्सबीबी.1.5 स्वरूप के पांच संक्रमित मरीज मिले हैं. कोरोना वायरस का यही स्वरूप अमेरिका में संक्रमण के मामले बढ़ने के लिए जिम्मेदार है (XBB is most prevalent sub lineage circulating all over India).
इन्साकॉग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इन पांच मामलों में से तीन मामले गुजरात में और एक-एक कर्नाटक तथा राजस्थान में सामने आये हैं. एक्सबीबी.1.5 स्वरूप ओमीक्रोन के एक्सबीबी स्वरूप से ही संबंधित है. अमेरिका में संक्रमण के 44 प्रतिशत मामले एक्सबीबी और एक्सबीबी.1.5 के हैं.
इन्साकॉग ने अपने बुलेटिन में कहा है कि कोरोना वायरस का ओमीक्रोन स्वरूप और इससे उत्पन्न अन्य स्वरूप भारत में प्रमुखता से बने हुए हैं, जिसमें 'एक्सबीबी' प्रमुख है. इन्साकॉग का बुलेटिन के मुताबिक बीए.2.75 और बीए.2.10 स्वरूप भी फैल रहे थे लेकिन कुछ हद तक. बुलेटिन के अनुसार, 'विशेष रूप से उत्तर-पूर्व भारत में बीए.2.75 वायरस का प्रचलित स्वरूप रहा है. हालांकि, इस अवधि में गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है.
इन्साकॉग ने कहा कि ओमीक्रॉन और इसके स्वरूप भारत में प्रमुखता से बने हुए हैं. एक्सबीबी पूरे भारत में सबसे प्रचलित स्वरूप (63.2 प्रतिशत) है.
इन्साकॉग ने कहा कि कुल संक्रमण दर प्रति दिन 500 से नीचे है. इन्साकॉग ने 28 नवंबर के अपने बुलेटिन में कहा था कि ओमीक्रॉन और इसके स्वरूप भारत में प्रमुखता से बने हुए हैं. कुछ देशों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर भारत ने निगरानी बढ़ा दी है.
कोविड-19 रोधी टीकों की दूसरी एहतियाती खुराक की जरूरत नहीं : उधर, कुछ देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण में वृद्धि से फिर उत्पन्न हुई चिंता के बीच मंगलवार को आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि कोविड टीके की दूसरी एहतियाती खुराक की जरूरत फिलहाल सरकार के एजेंडे में नहीं है. उन्होंने कहा कि फिलहाल चौथी कोविड खुराक अवांछित है क्योंकि देश में ज्यादातर लोगों द्वारा तीसरी खुराक लिया जाना अभी बाकी ही है.
उन्होंने कहा कि फिलहाल उपयोग में लाये जा रहे टीकों के लिए दूसरी एहतियाती खुराक की उपयोगिता को लेकर कोई आंकड़ा भी उपलब्ध नहीं है. भारत ने जनवरी, 2022 में एहतियाती खुराक लगानी शुरू की थी और अब तक पात्र लोगों में केवल 28 प्रतिशत ने ही यह खुराक लगवायी है.
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, 'कोविड टीकों की दूसरी एहतियाती खुराक की जरूरत फिलहाल सरकार के एजेंडा में नहीं है, न ही इस पर कोई चर्चा चल रही है। सबसे बड़ी बात है कि अधिकतर लोगों का तीसरी खुराक लेना अभी बाकी है और जिन्हें तीसरी खुराक लेनी है, उन्हें ले लेनी चाहिए.'
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश पूरी तरह टीकाकरण से गुजर चुके लोगों को तीसरी और चौथी एहतियाती खुराक लगा रहे हैं. वे उन लोगों को भी अतिरिक्त खुराक दे रहे हैं जिनमें प्रारंभिक खुराक के बाद मजबूत प्रतरोधक क्षमता नहीं बन पाई.
भारतीय चिकित्सक संघ (आईएमए) के प्रतिनिधियों और वरिष्ठ डॉक्टरों ने 26 दिसंबर को एक बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से स्वास्थ्यकर्मियों एवं अग्रिम मोर्चा कर्मियों के लिए चौथी खुराकी पर विचार करने की अपील की थी. यह बैठक दुनिया में खासकर चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के आलोक में आयोजित की गई थी.
पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. जे ए जयलाल ने कहा था, 'स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों का कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों से आमना-सामना होता है, फलस्वरूप वे इस वायरस के संपर्क में आते हैं जिससे स्वास्थ्य देखभाल समुदाय में और संक्रमण फैल सकता है. उसका मुकाबला करने के लिए उन्हें इस वायरस के विरूद्ध प्रतिरोधकता बढ़ाने की जरूरत है.'
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(एक्ट्रा इनपुट भाषा)