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शेखावत मानहानि मामले में CM गहलोत की याचिका पर लिखित दलीलें दाखिल, 7 दिसंबर को अगली सुनवाई - union minister gajendra singh shekhawat

Sekhawat defamation case: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के मानहानि मामले में दोनों पक्षों ने शुक्रवार को लिखित दलीलें पेश की. कोर्ट की ओर से अगली सुनवाई के लिए 7 दिसंबर की तारीख दी गई है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 24, 2023, 7:02 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में सुनवाई हुई. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जारी समन को चुनौती देने के मामले में दोनों पक्षों की ओर लिखित दलीलें पेश की गई. स्पेशल जज एमके नागपाल ने इस मामले पर 7 दिसंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.

जानें अब तक के केस अपड़ेट: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मानहानि मामले में दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट दाखिल की थी. इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. शेखावत ने कहा था कि जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं.

शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए. 6 जुलाई को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले पर अशोक गहलोत को समन जारी किया था. सेशंस कोर्ट ने 1 अगस्त को गहलोत के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए गहलोत को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश होने की अनुमति दी थी.

कोर्ट ने गहलोत को 7 अगस्त को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल के इसी आदेश को गहलोत ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी. 16 सितंबर को अशोक गहलोत की ओर से कहा गया था कि गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि मानहानि का मामला इसलिए बनता है क्योंकि शेखावत का नाम एफआईआर में नहीं है. शेखावत का नाम चार्जशीट में भी नहीं था.

उन्होंने कहा था कि गहलोत का बयान राज्य के गृह मंत्री के रूप में दिया गया था. इसके बाद 30 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से वकील आरोही मिक्किलिनेनी और गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने दलीलें रखी थी.

ये भी पढ़ें: Shekhawat defamation case: शेखावत के वकील के पेश न हो पाने के कारण मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई 20 नवंबर तक टली

ये है पूरा मामला: शेखावत की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप(एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है. मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली.

घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है न कि एसओजी को, एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की.

ये भी पढ़ें: अशोक गहलोत की पुनरीक्षण याचिका पर शेखावत की ओर से बहस पूरी, गहलोत की ओर से बहस 18 को

नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में सुनवाई हुई. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जारी समन को चुनौती देने के मामले में दोनों पक्षों की ओर लिखित दलीलें पेश की गई. स्पेशल जज एमके नागपाल ने इस मामले पर 7 दिसंबर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.

जानें अब तक के केस अपड़ेट: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मानहानि मामले में दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट दाखिल की थी. इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. शेखावत ने कहा था कि जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं.

शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए. 6 जुलाई को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले पर अशोक गहलोत को समन जारी किया था. सेशंस कोर्ट ने 1 अगस्त को गहलोत के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए गहलोत को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश होने की अनुमति दी थी.

कोर्ट ने गहलोत को 7 अगस्त को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल के इसी आदेश को गहलोत ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी. 16 सितंबर को अशोक गहलोत की ओर से कहा गया था कि गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि मानहानि का मामला इसलिए बनता है क्योंकि शेखावत का नाम एफआईआर में नहीं है. शेखावत का नाम चार्जशीट में भी नहीं था.

उन्होंने कहा था कि गहलोत का बयान राज्य के गृह मंत्री के रूप में दिया गया था. इसके बाद 30 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से वकील आरोही मिक्किलिनेनी और गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से पेश वकील विकास पाहवा ने दलीलें रखी थी.

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ये है पूरा मामला: शेखावत की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप(एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है. मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली.

घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है. याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है न कि एसओजी को, एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की.

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