हैदराबाद : मानव कल्याण के लिए जंगलों का दीर्घकालिक संरक्षण, जंगली जीवों और वनस्पतियों सहित वन में निवास करने वाली प्रजातियों का संरक्षण करते हुए इस पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखना है. साथ ही पारंपरिक प्रथाओं और ज्ञान के मूल्य को बढ़ावा देते हुए इन महत्वपूर्ण प्राकृतिक प्रणालियों के साथ अधिक स्थायी संबंध स्थापित करने में योगदान करते हैं.
इतिहास
20 दिसंबर 2013 को अपने 68वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 3 मार्च को यह दिवस मनाने की घोषणा की. जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन, वन्य जीवों और वनस्पतियों (CITES) के संरक्षण के 1973 के संकल्प को दोहराया. संयुक्त राष्ट्र ने विश्व भर में वन्यजीव की दुनिया, जंगली जानवरों और पौधों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मनाने के लिए इस दिन की घोषणा की. संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों के सहयोग से वन्य जीवों और वनस्पतियों (CITES) की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है.
साथ ही विश्व वन्यजीव दिवस के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करता है. 183 सदस्य देशों के साथ CITES, जंगली जीव और वनस्पतियों के व्यापार व विनियमन के माध्यम से जैव विविधता संरक्षण के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक बना हुआ है.
2021 के लिए थीम
विश्व वन्यजीव दिवस 2021, वन और आजीविका थीम के तहत मनाया जाएगा. जो कि विश्व स्तर पर करोड़ों लोगों की आजीविका को बनाए रखने के लिए वनों, वन प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं की केंद्रीय भूमिका को उजागर करने के लिए है. विशेष रूप से वनों और जंगल से सटे क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक संबंधों के साथ स्वदेशी और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग पर आधारित होगा. दुनिया भर के वनाच्छादित क्षेत्रों के भीतर या आस-पास के क्षेत्रों में करीब 200 से 350 मिलियन लोग रहते हैं, जो अपनी आजीविका के लिए वन और वन प्रजातियों द्वारा प्रदान की गई विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं पर निर्भर हैं.
वे भोजन, आश्रय, ऊर्जा और दवाओं सहित अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों पर निर्भर हैं. मानव और वन, वन में रहने वाले वन्यजीवों की प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के बीच सहजीवी संबंधों में स्वदेशी लोग और स्थानीय समुदाय सबसे आगे हैं. वर्तमान में दुनिया की 28% भूमि का प्रबंधन स्वदेशी लोगों द्वारा किया जाता है. जिसमें धरती पर सबसे अधिक पारिस्थितिक रूप से घने जंगल शामिल हैं. ये स्थान न केवल उनकी आर्थिक और व्यक्तिगत भलाई के लिए हैं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी जरूरी हैं.
वनों, जंगलों की प्रजातियों और उन पर निर्भर रहने वाली आजीविकाएं वर्तमान में जलवायु परिवर्तन से लेकर जैवविविधता के नुकसान और कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों से जूझ रहे हैं. जंगलों में रहने वाले जानवरों और पौधों का मानव कल्याण और स्थायी विकास के लिए आंतरिक मूल्य होता है. वे पारिस्थितिक, आनुवंशिक, सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, मनोरंजन और सौंदर्य संबंधी पहलुओं में योगदान करते हैं.
विश्व वन्यजीव दिवस वन्य जीवों और वनस्पतियों के कई सुंदर और विविध रूपों का जश्न मनाने के लिए है. साथ ही उनसे होने वाले लाभ के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर है, जो लोगों को संरक्षण प्रदान करते हैं. साथ ही वन्यजीवों पर अपराध और प्रजातियों की कमी के खिलाफ लड़ाई की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है. जिसका व्यापक आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव पड़ता है.
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इन तथ्यों को अनदेखा नहीं करना चाहिए
. पृथ्वी के जंगल करीब 80 प्रतिशत जंगली प्रजातियों के लिए घर हैं.
. वे जलवायु को विनियमित करने में मदद करते हैं और सैकड़ों लाखों लोगों की आजीविका का समर्थन करते हैं.
. दुनिया के 90 फीसदी गरीब लोग किसी न किसी तरह से वन संसाधनों पर निर्भर हैं.
. यह स्वदेशी समुदायों के लिए विशेष रूप से सच है जो जंगलों में या उसके आस-पास रहते हैं.
. दुनिया की कुछ 28 प्रतिशत जमीन स्वदेशी समुदायों द्वारा प्रबंधित की जाती है, जिसमें सबसे अधिक वनों का समावेश है.
. वे आजीविका और सांस्कृतिक पहचान प्रदान करते हैं.
. वनों का निरंतर दोहन इन समुदायों को परेशान करता है और जैव विविधता को हानि पहुंचाने के साथ ही जलवायु व्यवधान पैदा करता है.
. हर साल हम 4.7 मिलियन हेक्टेयर जंगलों को खो देते हैं. यह डेनमार्क से भी बड़ा क्षेत्र होता है.
. निरंतर कृषि एक प्रमुख कारण है.
. लकड़ी की वैश्विक तस्करी के कारण कुछ देशों में करीब 9- प्रतिशत उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई की जाती है.
. यह दुनिया के सबसे बड़े संगठित अपराध समूहों को भी आकर्षित करता है.
. जंगली जानवरों की प्रजातियों का अवैध व्यापार एक और खतरा है, जो कि इबोला और कोविड-19 जैसे जेनेटिक रोगों के जोखिम को बढ़ाता है.