लाहौल स्पीति: हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के काजा में स्थित सबसे ऊंचे पेट्रोल पंप में अब सैलानियों को ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा मिलने वाली है. बता दें कि यह पंप समुद्र तल से 12,270 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह पेट्रोल पंप भारत का ही नहीं, बल्कि दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित पेट्रोल पंप है. बता दें कि यहां आने वाले सैलानियों के लिए पेट्रोल पंप पर ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा नहीं थी. ऐसे में टूरिस्ट को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. बता दें कि पूरी स्पीति घाटी में इकलौता पेट्रोल पंप होने से यहां पर रोजाना हजारों लीटर डीजल और पेट्रोल की खपत हो रही है. वहीं, काजा से 200 किमी दूर पूह और 150 किमी दूर गोम्पाथांग में अगला पेट्रोल पंप स्थित है. इस पंप का संचालन स्टेट सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन के द्वारा किया जाता है.
गौरतलब है कि लाहौल स्पीति जिले में इस समय चार पेट्रोल पंप के माध्यम से वाहन चालकों को पेट्रोल और डीजल उपलब्ध करवाया जा रहा है. इनमें लाहौल घाटी में तीन पेट्रोल पंप स्थापित हैं. जिनमें एक केलांग, एक तांदी, एक सिस्सू में स्थापित किया गया है. तान्दी और सिस्सू पेट्रोल पंप का संचालन एलपीएस सोसायटी के माध्यम से किया जाता है, जबकि काजा में एकमात्र पेट्रोल पंप यहां पर पेट्रोल व डीजल उपलब्ध करवा रहा है.
ध्यान देने वाली बात है कि स्पीति घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए देश दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां की आबादी 40 हजार के करीब है. इसके अलावा यहां पर बने बौद्ध मठों को निहारने के लिए भी देश-विदेश से हर साल हजारों सैलानी यहां पर पहुंचते हैं. यहां पर प्रसिद्ध की गोंपा, ताबो गोंपा, ग्यु गोंपा सहित कहीं ऐसे प्राचीन बौद्ध मंदिर हैं. जिनके दर्शनों के लिए सैलानी विशेष रूप से यहां पहुंचते हैं. इसके अलावा दुनिया का सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ ताशी गंग स्पीति घाटी में स्थित है वही दुनिया का सबसे ऊंचा डाकघर हिक्किम भी स्पीति घाटी में ही स्थित है.
'काजा पेट्रोल पंप में जल्द शुरू होगा ऑनलाइन भुगतान सुविधा': स्टेट सिविल सप्लाइज के महाप्रबंधक राजेश्वर गोयल ने कहा कि दुनिया के सबसे ऊंचे पेट्रोल पंप काजा में जल्द ऑनलाइन भुगतान की सुविधा को शुरू किया जाएगा. राजेश्वर गोयल ने कहा कि इसके लिए सम्बंधित अधिकारियों को जल्द से जल्द औपचारिकताएं पूरी करने के आदेश जारी किए जा रहे हैं. इससे स्पीति घाटी पहुंचने वाले हजारों सैलानियों के साथ आम जनता को सुविधा मिलेगी.
सबसे ऊंचा डाकघर भी यहीं: हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले का हिक्किम गांव 14,567 फीट की ऊंचाई पर है. विश्व का सबसे ऊंचा डाकघर भी इसी गांव में बना हुआ है. लेटर बॉक्स के आकार में बना डाकघर का भवन ही इसकी सबसे बड़ी खूबी है. हिक्किम गांव के ठीक ऊपर बनाया यह डाकघर दूर से ही दिखाई देता है. यहां आने वाले कोई भी पर्यटक इसे देखना नहीं भूलता. जब भी कोई सैलानी इस डाकघर में पहुंच जाता है तो अपने घर के लिए पोस्टकार्ड जरूर भेजता है. यही कारण है कि गर्मियों के सीजन में हर रोज 300 से 400 चिट्ठियां इस डाकघर से भेजी जाती हैं. हालांकि हिक्किम का यह डाकघर 1983 से दूरदराज के दुर्गम गांवों तक चिट्ठियां पहुंचा रहा है. हाल ही में इसका जीर्णोद्धार किया गया है और यहां 150 घर भी बने हुए हैं.
सबसे ऊंचा मतदान केंद्र: स्पीति घाटी में टशीगंग मतदान केंद्र समुद्र तल से 15,256 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. साल 2022 के चुनावों में लगातार तीसरी बार सौ प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया था. मतदान केंद्र में वोटरों के स्वागत के लिए गेट लगाया गया था और पारंपरिक तरीके से वोटर का स्वागत किया गया. यहां 52 मतदाताओं ने वोट डाला. इससे पहले भी दो बार यहां 100 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2019 से पहले विश्व का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र लाहौल स्पीति जिले में स्थित हिक्किम था, लेकिन 2019 में टशीगंग को मतदान केंद्र बना दिया गया.
सबसे ऊंचाई पर स्थित जिम: हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी के मुख्यालय काजा में अब प्रदेश सरकार के द्वारा लोगों को स्वस्थ रखने के लिए जिम स्थापित किया गया है. ये जिम खास इसलिए बन जाता है, क्योंकि इस जिम को 12,000 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है.
हिमाचल का दूसरा महत्वपूर्ण मठ: स्पीति घाटी में ताबो गांव समुद्र तल से 3050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह गांव एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ ताबो गोंपा के चारो तरफ बसा हुआ है. यह मठ हिमालय क्षेत्र का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मठ माना जाता है. कहते हैं इस गोंपा की स्थापना लोचावा रिंगचेन जंगपो ने 996 ई. में की थी. लोचावा रिंगचेन जंगपो एक प्रसिद्ध विद्वान थे. ताबो मठ परिसर में कुल 9 देवालय हैं, जिनमें से चुकलाखंड, सेरलाखंड एवं गोंखंड प्रमुख है.
मठ के भीतर अनेक भित्ति चित्र एवं मूर्तियां निर्मित की गई हैं. चुकलाखंड (देवालय) की दीवारों पर बहुत ही सुंदर चित्र अंकित हैं. इसमें बुद्ध के संपूर्ण जीवन को चित्रों के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है. गोंपा में बहुत ही पुराने धर्म ग्रंथ (जो कि तिब्बती भाषा में लिखे हुए है) एवं बौद्ध धर्म से संबंधित बहुत पुरानी पांडुलिपि भी है. ताबो गोंपा के चित्र अजंता गुफा के चित्रों से मेल खाते हैं इसलिए इसे हिमालय का अजंता भी कहा जाता है.
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