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विश्व आर्थिक मंच ने कोरोना महामारी के बीच बढ़ती आर्थिक असमानता पर जताई चिंता

विश्व आर्थिक मंच ने हाल ही में अपनी 16वीं रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि कोविड19 महामारी की वजह से आर्थिक असमानता बढ़ी है. आने वाले समय में स्वास्थ्य जोखिम और सामाजिक बिखराव और बढ़ने की संभावना है.

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Published : Jan 23, 2021, 4:08 PM IST

हैदराबाद : विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने हाल ही में अपनी 16वीं रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में वैश्विक जोखिम का जिक्र किया गया है. विश्व आर्थिक मंच ने सामाजिक बिखराव पर चिंता जताई है. कोरोना महामारी के बीच मानव स्वास्थ्य के लिए बढ़ रहे जोखिमों, बढ़ती बेरोजगारी. युवाओं का मोहभंग और भू-विखंडन का जिक्र किया है. व्यवसाय के जोखिमाें का भी जिक्र किया है कि भविष्य में कंपनियों के बड़े समूह बाजार से बाहर हो सकते हैं, जिसका सीधा असर यहां काम करने वाले श्रमिकों पर पड़ेगा.

अगले दस वर्षों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा चिंता संक्रामक रोगों को लेकर है. मौसम से जुड़ी घटनाएं, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय नुकसान, डिजिटल असमानता और साइबर सुरक्षा भी चिंता का कारण है.

सामाजिक सामंजस्य की कमी चिंता का कारण

अगले दो वर्षों की बात की जाए तो रोजगार और आजीविका संकट गहरा सकता है. युवाओं का विस्थापन होगा. डिजिटल असमानता को बढ़ावा मिल सकता है. आर्थिक ठहराव होगा. मानव निर्मित पर्यावरणीय क्षति, सामाजिक सामंजस्य की कमी और आतंकवादी हमले चिंता का कारण बनेंगे.

अगले तीन से पांच साल में गहरा सकता है ऋण संकट

रिपोर्ट के मुताबिक अगले तीन से पांच साल में आर्थिक संकट से निपटना भी चुनौती साबित हो सकता है. ऋण संकट रहेगा. मूल्यों को लेकर अस्थिरता रहेगी. पर्यावरणीय जोखिम जैसे जैव विविधता हानि, प्राकृतिक संसाधन संकट और जलवायु सुधारों में अपेक्षाकृत कम सुधार होने की संभावना है. प्रौद्योगिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

कोविड19 महामारी ने मचाई आर्थिक तबाही

कोविड19 महामारी के कारण भारी तबाही हुई है. बीस लाख से ज्यादा मौंतें हुई हैं. न सिर्फ जनहानि हुई इस महामारी ने आर्थिक रूप से सभी देशों को लगभग तोड़ दिया है. महामारी की वजह से साल 2020 की दूसरी तिमाही में 495 मिलियन नौकरियां चली गईं. इससे असमानता पैदा हुई.

पढ़ें- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.8 अरब डॉलर की बड़ी गिरावट

2020 में केवल 28 अर्थव्यवस्थाओं के बढ़ने की उम्मीद है. जीवन और आजीविका के नुकसान से 'सामाजिक सामंजस्य क्षरण' का खतरा बढ़ेगा.

हैदराबाद : विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने हाल ही में अपनी 16वीं रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में वैश्विक जोखिम का जिक्र किया गया है. विश्व आर्थिक मंच ने सामाजिक बिखराव पर चिंता जताई है. कोरोना महामारी के बीच मानव स्वास्थ्य के लिए बढ़ रहे जोखिमों, बढ़ती बेरोजगारी. युवाओं का मोहभंग और भू-विखंडन का जिक्र किया है. व्यवसाय के जोखिमाें का भी जिक्र किया है कि भविष्य में कंपनियों के बड़े समूह बाजार से बाहर हो सकते हैं, जिसका सीधा असर यहां काम करने वाले श्रमिकों पर पड़ेगा.

अगले दस वर्षों की बात की जाए तो सबसे ज्यादा चिंता संक्रामक रोगों को लेकर है. मौसम से जुड़ी घटनाएं, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय नुकसान, डिजिटल असमानता और साइबर सुरक्षा भी चिंता का कारण है.

सामाजिक सामंजस्य की कमी चिंता का कारण

अगले दो वर्षों की बात की जाए तो रोजगार और आजीविका संकट गहरा सकता है. युवाओं का विस्थापन होगा. डिजिटल असमानता को बढ़ावा मिल सकता है. आर्थिक ठहराव होगा. मानव निर्मित पर्यावरणीय क्षति, सामाजिक सामंजस्य की कमी और आतंकवादी हमले चिंता का कारण बनेंगे.

अगले तीन से पांच साल में गहरा सकता है ऋण संकट

रिपोर्ट के मुताबिक अगले तीन से पांच साल में आर्थिक संकट से निपटना भी चुनौती साबित हो सकता है. ऋण संकट रहेगा. मूल्यों को लेकर अस्थिरता रहेगी. पर्यावरणीय जोखिम जैसे जैव विविधता हानि, प्राकृतिक संसाधन संकट और जलवायु सुधारों में अपेक्षाकृत कम सुधार होने की संभावना है. प्रौद्योगिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

कोविड19 महामारी ने मचाई आर्थिक तबाही

कोविड19 महामारी के कारण भारी तबाही हुई है. बीस लाख से ज्यादा मौंतें हुई हैं. न सिर्फ जनहानि हुई इस महामारी ने आर्थिक रूप से सभी देशों को लगभग तोड़ दिया है. महामारी की वजह से साल 2020 की दूसरी तिमाही में 495 मिलियन नौकरियां चली गईं. इससे असमानता पैदा हुई.

पढ़ें- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.8 अरब डॉलर की बड़ी गिरावट

2020 में केवल 28 अर्थव्यवस्थाओं के बढ़ने की उम्मीद है. जीवन और आजीविका के नुकसान से 'सामाजिक सामंजस्य क्षरण' का खतरा बढ़ेगा.

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