हैदराबाद : विश्व बैंक की महिला, व्यवसाय और कानून 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के पास पुरुषों की अपेक्षा दुनिया भर में औसतन केवल तीन-चौथाई कानूनी अधिकार हैं.
यह इसलिए मायने रखता है, क्योंकि महिला, व्यापार और कानून सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन कुछ मायनों से मापा जाता है. जैसे- विकास के परिणामों में संकीर्ण लिंग अंतर, महिला नीति का अधिक निर्माण, उच्च महिला श्रम बल की भागीदारी और असुरक्षित रोजगार में कमी. एक कानूनी वातावरण जो महिलाओं के आर्थिक समावेशन को प्रोत्साहित करता है, उन्हें संकट की स्थिति में कमजोर भी बना सकता है.
महिलाओं को अधिकार देने के मामले में भारत 74.4% अंकों के साथ 123वें स्थान पर है. वहीं इस सूचकांक में भारत, अरब और तुर्की से भी पीछे है .
महिलाओं, व्यापार और कानून के पैमाने
महिला, व्यवसाय और कानून सूचकांक यह मापता है की कानून और नियम 190 अर्थव्यवस्थित देशों में महिलाओं के आर्थिक अवसर को कैसे प्रभावित करता है.
2021 संस्करण सितंबर 2019 और अक्टूबर 2020 के बीच किए गए सुधारों को शामिल करता है. विश्व बैंक द्वारा किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि कोई कानून किस तरह कामकाजी महिलाओं के जीवन के विभिन्न चरणों पर प्रभाव डालता है.
दरअसल, ये सूचकांक कामकाजी महिलाओं की रोजमर्रा की जिंदगी के आर्थिक अधिकारों को आठ संकेतकों के माध्यम से विश्लेषण करता है, जैसे गतिशीलता, कार्य स्थल, वेतन, विवाह, पितृत्व, उद्यमिता, संपत्ति और पेंशन.
इन संकेतकों को कार्यस्थल में अधिकारों से स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने में सक्षम होने, शादी के दौरान और बच्चे होने के बाद, कैसे कानून उन्हें रोकता है या उन्हें अपने स्वयं के व्यवसाय चलाने और सेवानिवृत्ति के लिए हर तरह से संपत्ति का प्रबंधन करने की अनुमति देने तक मापा जाता है. 2020 में वैश्विक औसत स्कोर 76.1% है जो की 2019 में 75.5% से ज्यादा है.
इस रिपोर्ट में एक संयुक्त राष्ट्र के एक उपकरण से लिंग-संवेदनशील महामारी प्रतिक्रियाओं पर नजर रखने वाले अलग-अलग आंकड़ों का उल्लेख किया गया है, जिसमें पाया गया कि 70% ऐसे पैमाने हैं, जिसमें हिंसा को संबोधित किया गया है, जिसमें सिर्फ 10% महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा देने के लिए लक्षित किया गया है.
महिला, व्यवसाय और कानून 2021 की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में केवल दस ऐसे देश हैं, जो महिलाओं के लिए पूर्ण कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं, जिसमें बेल्जियम, फ्रांस, डेनमार्क, लातविया, लक्समबर्ग, स्वीडन, कनाडा, आइसलैंड, पुर्तगाल और आयरलैंड के नाम शामिल हैं, जो कानूनी दृष्टिकोण से पुरुषों और महिलाओं के लिए पूर्ण अधिकार प्रदान करते हैं.
दुनिया के 194 में से 90 से अधिक देशों ने 2020 में 87% से 80% या उससे अधिक अंकों पर कब्जा किया है. सऊदी अरब, जो 2019 में इस सूचकांक में सबसे आखिरी था, उसने देश में लागू नए कानूनों के बाद अपने स्कोर में सुधार किया है और अब 80% के साथ 91वें स्थान पर है.
2020 की रैंकिंग में आखिरी स्थान कुवैत (28.8%) और सूडान (29.4%) से नीचे यमन (26.9%) का था. वहीं इस सूचकांक में संयुक्त राज्य अमेरिका भी पेरू और अल्बानिया जैसे देशों से नीचे ही रहा. दरअसल, समान वेतन और समान पेंशन की गारंटी देने वाले कानूनों की कमी के कारण यह अंक गिर गया, साथ ही पेरेंटल लीव के अव्यवस्थित कानून भी इसके कारण हैं.
वैश्विक उगाही के लिए महिलाओं के अधिकारों का केंद्रीय होना आवश्यक है
कोविड-19 महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट ने दुनिया भर के अधिकांश लोगों के मानसिक स्वास्थ को प्रभावित किया है.
हालांकि, स्थिति का असर महिलाओं और पुरुषों पर अलग-अलग तरीके से पड़ा है. जीवन यापन करने के लिए महिलाएं स्वास्थ्य देखभाल और अवैतनिक देखभाल जैसे काम कर पैसे कमा रही हैं.
जिसने उन्हें कोविड-19 महामारी के परिणामों के लिए अधिक संवेदनशील बना दिया है. महिलाएं अभी भी समान रूप से मूल्यवान नौकरियों के लिए पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं, बच्चे की देखभाल के बोझ को अधिक सहन करती हैं. साथ ही घरेलू हिंसा की शिकार भी होती हैं.
महामारी ने श्रम बल की भागीदारी में लिंग अंतर को बढ़ावा दिया है, यहां तक की श्रमिकों और उद्यमियों के रूप में महिलाओं के लिए दशकों की प्रगति को जोखिम में डाला है.
हालांकि, इस स्थिति में सुधार करने के लिए अधिकांश देश प्रयासरत हैं, लेकिन ये सुधार के प्रयास अभी अपर्याप्त हैं.
आज दुनिया भर की आधी से कम अर्थव्यवस्थाओं (90) ने समान मूल्य के काम के लिए समान वेतन देना शुरू कर दिया है और 88 अर्थव्यवस्थित देशों ने उन नौकरियों और कार्य-समय को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाए हैं, जिनमें महिलाएं काम कर सकती हैं.
हालांकि, ये प्रयास व्यावसायिक अलगाव को भी बढ़ावा देता है. जिसके परिणामस्वरूप ऐसी नौकरियों में महिलाओं को ज्यादा प्रभावित किया जाता है, जो कोविड-19 के व्यवधानों से अधिक प्रभावित होती हैं, जैसे शिक्षा, पर्यटन, आतिथ्य और घरेलू सेवाएं आदि.