हैदराबाद : ओबेसिटी या मोटापा दुनिया भर के समक्ष एक बड़ी वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है. मोटापा एक ऐसी समस्या है जो कई अन्य गंभीर समस्याओं के होने या उनके गंभीर होने का कारण भी बन सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोटापा, वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी मृत्यु के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है. दुनिया भर में लोगों में मोटापे के कारण होने वाली समस्याओं तथा इससे बचाव के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अलग-अलग देशों में कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभियान व कार्यक्रम आयोजित व संचालित किए जाते हैं. भारत सहित दुनिया के कुछ अन्य देशों में मनाया जाने वाला विश्व मोटापा विरोधी दिवस या वर्ल्ड एंटी ओबेसिटी डे भी इसी मुहिम का एक हिस्सा है.जो कि हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है.
वर्ल्ड एंटी ओबेसिटी डे का उद्देश्य
- वर्ष 2001 में भारतीय वेलनेस ब्रांड वी.एल.सी.सी. द्वारा शुरू किए गए इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य मोटापे से निपटने के लिए स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने तथा आहार से जुड़ी अच्छी व स्वस्थ आदतों के अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना हैं.
- इनके अलावा हर उम्र के लोगों विशेषकर बच्चों में मोटापे के खतरों के बारे में लोगों को शिक्षित करना, वयस्कता में अधिक वजन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों जैसे मधुमेह, हृदय रोग और कुछ प्रकार कर कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक करना तथा इससे बचाव व उपचार के लिए जरूरी बातों व आदतों को अपनी दिनचर्या व जीवनशैली में शामिल करने के लिए लोगों को प्रेरित करना भी इस आयोजन के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं.
- इस अवसर पर विभिन्न स्वास्थ्य व सामाजिक संस्थाओं के साथ ही कई मीडिया संगठनों के तत्वावधान में गोष्ठी, सेमिनार तथा जागरूकता व जांच शिविर जैसे अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
- वर्ल्ड एंटी ओबेसिटी डे मोटापे और वजन प्रबंधन के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनुसंधानों और नवाचार को बढ़ावा देने तथा इस दिशा में हर संभव सहयोग के लिए मंच, मौका तथा अवसर प्रदान भी करता है.
क्यों है मोटापा बड़ी समस्या
- कुछ समय पहले ‘वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन’ द्वारा एक अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी जिसमें आशंका जताई गई थी कि यदि मोटापे से बचाव तथा उसके उपचार और सहायता उपायों में सुधार नहीं किया गया तो 12 साल के अंदर पूरे विश्व की आधी से अधिक आबादी ज्यादा वजन और मोटापे से ग्रस्त हो सकती है. रिपोर्ट में यह भी आशंका जताई गई थी कि भारत में 2035 तक मोटापे के शिकार लोगों की दर 11% तक हो जाएगी.
- ‘वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस 2023’ नामक इस रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2020 में भारत में लड़कों में मोटापे का जोखिम लगभग 3% और लड़कियों में लगभग 2% था. लेकिन 2035 तक यह जोखिम बढ़कर लड़कों में 12% तक लड़कियों में 7 % तक हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ हर उम्र के वयस्कों में ही नहीं बल्कि बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर तेजी से बढ़ना बेहद चिंता का विषय बनता जा रहा है.
- एनआईएच की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार के अनुसार मोटापे व ज्यादा वजन के कारण लोगों में है बीपी, मधुमेह, ह्रदय रोग, स्ट्रोक, लीवर से जुड़े रोग, मेटाबोलिज़्म से जुड़ी समस्याएं, कुछ प्रकार के कैंसर , गुर्दे से जुड़े रोग, सांस संबंधी समस्याएं, गर्भावस्था में समस्याएं, प्रजनन में समस्याएं तथा सेक्स जीवन में समस्याएं होने के साथ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं.