मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में 15 जून तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी.
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि पुलिस सिंह को 15 जून तक गिरफ्तार नहीं करेगी.
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार ने पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे की शिकायत पर सिंह के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज करने का अनुरोध करने वाली मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त की याचिका पर सुनवाई 14 जून तक के लिए स्थगित कर दी.
सिंह ने राज्य सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई दो अन्य जांच को चुनौती देते हुए एक अन्य याचिका दायर की है. अदालत 14 जून को इस याचिका पर भी सुनवाई करेगी.
जांच संबंधी पहला आदेश एक अप्रैल को राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर पारित किया गया था. दूसरा आदेश 20 अप्रैल को वर्तमान गृह मंत्री (दिलीप वालसे पाटिल) ने सिंह के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर पारित किया गया था.
सिंह के खिलाफ अत्याचार अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी पुलिस निरीक्षक घाडगे द्वारा दायर एक शिकायत पर आधारित है. घाडगे वर्तमान में महाराष्ट्र के अकोला में तैनात है.
घाडगे ने सिंह और अन्य अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए हैं.
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घाडगे ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि जब सिंह ठाणे में तैनात थे, उस समय उन्होंने एक मामले से कुछ लोगों के नाम हटाने को लेकर उन पर दबाव डाला और जब उन्होंने इनकार कर दिया, तो आईपीएस अधिकारी ने उन्हें झूठे मामलों में फंसा दिया.
प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई है.