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महिला दिवस विशेष: कर्नाटक के जूट बैग की न्यूयॉर्क के शॉपिंग मॉल में भारी मांग

पर्यावरण के अनुकूल (Eco Friendly Bags) होने के कारण मेकलामराडी गांव ((Mekalamaradi village Of Belagavi District) की महिलाओं के द्वारा बनाए गए इन बैगों की विकसित देशों में काफी मांग है. इस बैग के लिए हर तीन महीने में अमेरिका (America), इंग्लैंड (England), स्पेन (Spen) और जर्मनी (Germany) से ऑर्डर आते हैं.

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Published : Mar 7, 2022, 6:04 AM IST

Updated : Mar 8, 2022, 12:54 PM IST

बेलगावी/बेलगाम: कर्नाटक राज्य के मेकलामाराडी बेलगावी जिले (Mekalamaradi village Of Belagavi District ) का एक छोटा सा गांव है. इस गांव की 44 महिलाएं पर्यावरण के अनुकूल (Eco Friendly Bags) ऐसे बैग और अन्य सामान बना रही हैं जिसकी विश्व स्तर पर (Huge Demand Globally) भारी मांग है. इन महिलाओं की सफलता ने गांव की दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित किया है.

इन महिलाओं की सफलता ने गांव की दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित किया

मेकलामाराडी गांव में पिछले कई सालों से महिलाएं पर्यावरण के अनुकूल बैग बनाने और निर्यात करने का काम कर रही हैं. ये महिलाएं आत्मनिर्भर जीवन जी रही हैं. इनके बनाए बैग अमेरिका (America), जापान (Japan), जर्मनी (Germany), इंग्लैंड (England), स्पेन (Spen) जैसे कई देशों में निर्यात किए जाते हैं. ये बैग न्यूयॉर्क के शॉपिंग मॉल में भी बिक रहे हैं.

जूट और जूट के धागों का प्रयोग
मेकलामराडी गांव की महिलाओं ने 'उन्नति हस्तशिल्प' (Unnathi Handicraft) के नाम से संस्था की स्थापना की है. वे जूट और जूट के धागों का उपयोग करके बैग का उत्पादन करते हैं. ये बैग इतने मजबूत हैं कि 15 साल तक टिकाऊ रहेंगे. पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण विकसित देशों में इन बैगों की काफी मांग है. इस बैग के लिए हर तीन महीने में अमेरिका (America), इंग्लैंड (England), स्पेन (Spen) और जर्मनी (Germany) से ऑर्डर आते हैं.

365 डिज़ाइनों में उत्पाद
इस गांव में तैयार किया गया सामान मुंबई से शिपिंग के जरिए विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. महिलाएं 365 डिज़ाइनों में उत्पाद बनाती हैं. उत्पादों में लॉन्ड्री बास्केट (Laundry Basket ), कुशन कवर (Cushion Cover), हार्ड स्क्वायर लॉन्ड्री बैग (Hard Square Laundry Bags), हार्ड कुशन कवर (Hard Cushion Cover), हार्ड बैग (Hard Bag), नील कॉइल बास्केट (Neil Coil Basket), नील बैग (Neil Bag), कॉपी लॉन्ड्री बैग (Copy Laundry Bags), स्वैच (Swatches), नील स्वैच (Neil Swatches), योगा मैट (Yoga Mat), वैनिटी बैग (Vanity Bag) आदि शामिल हैं. बकरी की खाल का उपयोग घरेलू सजावट के सामान और बेल्ट बनाने में किया जाता है. कच्चे माल की आपूर्ति बेलगावी और हुबली से की जाती है.

पढ़ेंः Women hallpack drivers: कभी सड़क पर ऑटो चलाती थी, अब माइंस में संभाल रहीं हैं हॉलपैक मशीन

दिल्ली के पास नोएडा में हर साल हस्तनिर्मित और पर्यावरण के अनुकूल सामग्री की एक प्रदर्शनी आयोजित की जाती है. कई देशों के कारिगर यहां अपने हाथ से बने सामानों को प्रदर्शित करते हैं. प्रदर्शनी हर साल अक्टूबर से फरवरी तक आयोजित की जाती है. इस प्रदर्शनी के माध्यम से उत्थान हस्तशिल्प कंपनी की वस्तुओं को देश-विदेश में पेश किया जा रहा है. विदेश के व्यापारी ईमेल के माध्यम से उन वस्तुओं का ऑर्डर (Order Through Email) देते हैं जो वे खरीदना चाहते हैं. फिर 90 दिनों के भीतर महिलाएं बैग और अन्य सामान तैयार कर लेती हैं. ऑर्डर की डिलिवरी जहाज के माध्यम से होती है. अगर कोई बहुत अर्जेन्ट ऑर्डर हो तो हवाई मार्ग से भी डिलिवरी की जाती है.

ये महिलाएं इस काम को कर आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत कर रही हैं. साथ ही परिवार (घर के कामों) का प्रबंधन भी करती हैं. इन महिलाओं को हर साल नए डिजाइन का प्रशिक्षण मिलता है. इस गांव के ही एक दिव्यांग व्यक्ति दस्तगीरसाब जमादार निर्यात का काम देखते हैं. वह ही विदेशों में कंपनी के मालिकों के साथ संवाद भी करते हैं.

बैग बनाने वाली महिलाओं में से एक बसव्वा कुरबार ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि "मैं यहां ('उन्नति हस्तशिल्प') में पिछले 20 सालों से काम कर रही हूं. हम यहां 44 महिलाएं काम कर रही हैं और हम आत्मनिर्भर जीवन जी रहे हैं. यहां काम शुरू करने के बाद किसी हमें कभी भी वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. हर महीने के 5 वें दिन हम ऋण, बचत और सभी चीजों के बारे में बैठक करते हैं. हम कंप्यूटर के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. हमें गर्व महसूस होता है कि इस गांव से हमारे बैग विदेशों में जाते हैं. मेरी इच्छा है कि हर महिला हमारी तरह आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत करे.

बेलगावी/बेलगाम: कर्नाटक राज्य के मेकलामाराडी बेलगावी जिले (Mekalamaradi village Of Belagavi District ) का एक छोटा सा गांव है. इस गांव की 44 महिलाएं पर्यावरण के अनुकूल (Eco Friendly Bags) ऐसे बैग और अन्य सामान बना रही हैं जिसकी विश्व स्तर पर (Huge Demand Globally) भारी मांग है. इन महिलाओं की सफलता ने गांव की दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित किया है.

इन महिलाओं की सफलता ने गांव की दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित किया

मेकलामाराडी गांव में पिछले कई सालों से महिलाएं पर्यावरण के अनुकूल बैग बनाने और निर्यात करने का काम कर रही हैं. ये महिलाएं आत्मनिर्भर जीवन जी रही हैं. इनके बनाए बैग अमेरिका (America), जापान (Japan), जर्मनी (Germany), इंग्लैंड (England), स्पेन (Spen) जैसे कई देशों में निर्यात किए जाते हैं. ये बैग न्यूयॉर्क के शॉपिंग मॉल में भी बिक रहे हैं.

जूट और जूट के धागों का प्रयोग
मेकलामराडी गांव की महिलाओं ने 'उन्नति हस्तशिल्प' (Unnathi Handicraft) के नाम से संस्था की स्थापना की है. वे जूट और जूट के धागों का उपयोग करके बैग का उत्पादन करते हैं. ये बैग इतने मजबूत हैं कि 15 साल तक टिकाऊ रहेंगे. पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण विकसित देशों में इन बैगों की काफी मांग है. इस बैग के लिए हर तीन महीने में अमेरिका (America), इंग्लैंड (England), स्पेन (Spen) और जर्मनी (Germany) से ऑर्डर आते हैं.

365 डिज़ाइनों में उत्पाद
इस गांव में तैयार किया गया सामान मुंबई से शिपिंग के जरिए विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. महिलाएं 365 डिज़ाइनों में उत्पाद बनाती हैं. उत्पादों में लॉन्ड्री बास्केट (Laundry Basket ), कुशन कवर (Cushion Cover), हार्ड स्क्वायर लॉन्ड्री बैग (Hard Square Laundry Bags), हार्ड कुशन कवर (Hard Cushion Cover), हार्ड बैग (Hard Bag), नील कॉइल बास्केट (Neil Coil Basket), नील बैग (Neil Bag), कॉपी लॉन्ड्री बैग (Copy Laundry Bags), स्वैच (Swatches), नील स्वैच (Neil Swatches), योगा मैट (Yoga Mat), वैनिटी बैग (Vanity Bag) आदि शामिल हैं. बकरी की खाल का उपयोग घरेलू सजावट के सामान और बेल्ट बनाने में किया जाता है. कच्चे माल की आपूर्ति बेलगावी और हुबली से की जाती है.

पढ़ेंः Women hallpack drivers: कभी सड़क पर ऑटो चलाती थी, अब माइंस में संभाल रहीं हैं हॉलपैक मशीन

दिल्ली के पास नोएडा में हर साल हस्तनिर्मित और पर्यावरण के अनुकूल सामग्री की एक प्रदर्शनी आयोजित की जाती है. कई देशों के कारिगर यहां अपने हाथ से बने सामानों को प्रदर्शित करते हैं. प्रदर्शनी हर साल अक्टूबर से फरवरी तक आयोजित की जाती है. इस प्रदर्शनी के माध्यम से उत्थान हस्तशिल्प कंपनी की वस्तुओं को देश-विदेश में पेश किया जा रहा है. विदेश के व्यापारी ईमेल के माध्यम से उन वस्तुओं का ऑर्डर (Order Through Email) देते हैं जो वे खरीदना चाहते हैं. फिर 90 दिनों के भीतर महिलाएं बैग और अन्य सामान तैयार कर लेती हैं. ऑर्डर की डिलिवरी जहाज के माध्यम से होती है. अगर कोई बहुत अर्जेन्ट ऑर्डर हो तो हवाई मार्ग से भी डिलिवरी की जाती है.

ये महिलाएं इस काम को कर आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत कर रही हैं. साथ ही परिवार (घर के कामों) का प्रबंधन भी करती हैं. इन महिलाओं को हर साल नए डिजाइन का प्रशिक्षण मिलता है. इस गांव के ही एक दिव्यांग व्यक्ति दस्तगीरसाब जमादार निर्यात का काम देखते हैं. वह ही विदेशों में कंपनी के मालिकों के साथ संवाद भी करते हैं.

बैग बनाने वाली महिलाओं में से एक बसव्वा कुरबार ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि "मैं यहां ('उन्नति हस्तशिल्प') में पिछले 20 सालों से काम कर रही हूं. हम यहां 44 महिलाएं काम कर रही हैं और हम आत्मनिर्भर जीवन जी रहे हैं. यहां काम शुरू करने के बाद किसी हमें कभी भी वित्तीय समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. हर महीने के 5 वें दिन हम ऋण, बचत और सभी चीजों के बारे में बैठक करते हैं. हम कंप्यूटर के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं. हमें गर्व महसूस होता है कि इस गांव से हमारे बैग विदेशों में जाते हैं. मेरी इच्छा है कि हर महिला हमारी तरह आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत करे.

Last Updated : Mar 8, 2022, 12:54 PM IST
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