हैदराबाद : भारतीय महिला हॉकी टीम ने जोरदार प्रदर्शन किया है. भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार अंतिम चार में पहुंच चुकी है. मैच का एकमात्र गोल गुरजीत कौर ने दागा लेकिन पूरी टीम ने जोरदार प्रदर्शन किया. इसके अलावा वंदना कटारिया, सुशीला चानू और मोनिका मलिक ने भी अपना बेहतर प्रदर्शन किया.
मोनिका मलिक के घर में इस समय जश्न का माहौल है लेकिन वे अभी अंतिम मैच का इंतजार कर रहे हैं जब गोल्ड मेडल भारत की महिला हॉकी टीम के पास होगा.
इस दौरान मोनिका मलिक का टोक्यो से वीडियो कॉल परिवार को आया जिस पर उन्होंने ईटीवी से बात करते हुए कहा कि हर कोई बेहद खुश है लेकिन अभी अगले मैच की तैयारी करनी है उन्होंने कहा कि यह एक टीम वर्क है उम्मीद नहीं थी कि ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को हरा पाएंगे लेकिन सबने अपना बेस्ट दिया.
उन्होंने कहा कि अब उम्मीद है सेमी फाइनल में अर्जेंटीना से मैच हो और भारत एक नई उपलब्धि अपने नाम करें. उन्होंने कहा कि बहुत बधाइयां उन्हें आ रही हैं और उन्हाेंने लाेगाें से अपील की कि लोग ज्यादा से ज्यादा हॉकी को प्रमोट करें और उनका प्रोत्साहन बढ़ाएं.
चंडीगढ़ की रहने वाली मोनिका मलिक बचपन से ही हॉकी में देश का नाम रोशन करना चाहती थीं और ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का उनका सपना था. वह अपने सपने के बहुत करीब हैं. भारतीय महिला हॉकी टीम जैसे ही सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई की वैसे ही मोनिका मलिक के घर पर बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया.
फोन कॉल, मैसेजेस आने शुरू हो गए. मोनिका के बड़े भाई आशीष मलिक ने बताया कि पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है. हर कोई बहन की इस उपलब्धि से काफी ज्यादा खुश है और यह उम्मीद जताई है कि भारतीय महिला हॉकी टीम गोल्ड मेडल लेकर वापस आएगी. मोनिका मलिक पिछले 5 महीनों से घर नहीं आई हैं.
बेंगलुरु में कैंप में प्रैक्टिस कर रही थी. घरवालों से जब बात होती थी तो उनके अंदर आत्मविश्वास नजर आता था. उन्होंने बताया कि मोनिका अपनी मां के बेहद करीब हैं और हमेशा उनके बारे में फोन करके पूछती रहती हैं. इससे पहले मोनिका ने रियो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई किया था जिसके बाद उनकी सिलेक्शन टोक्यो ओलंपिक के लिए हुई थी. मोनिका स्कूल व कॉलेज के समय से ही हॉकी के फिल्ड में राज्य व राष्ट्रीय स्तर की कई उपलब्धियां अपने नाम कर चुकी हैं.
सोनीपत जिले के गोहाना खंड के गांव गामडी की मूल निवासी मोनिका का जन्म 5 नवंबर 1993 को हुआ था. बचपन से ही पिता तकदीर सिंह से खेलों के लिए मिले प्रोत्साहन से मोनिका ने आठवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान ही इस ओर कदम रखा.
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पता चला कि उनके पिता उन्हें कुश्ती में आगे बढ़ाना चाहते थे लेकिन बेटी की इच्छा को देखते हुए उन्होंने मोनिका को हॉकी में ही आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.