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सिस्टम को नहीं आती शर्म! कोरोना जांच के लिए लाइन में लगी महिला ने दिया बच्चे को जन्म - प्रसूता ने लाइन में दिया बच्चे को जन्म

छत्तीसगढ़ के कोरबा के अस्पताल से कोरोना के बीच एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है. जिसमें प्रसव पीड़ा से कराह रही प्रसूता को एडमिट करने की बजाए उसे पहले कोरोना टेस्ट कराने को कहा गया. नतीजा ये हुआ कि कोविड टेस्ट कराने के लिए लाइन में लगे-लगे ही गर्भवती ने बच्चे को जन्म दे दिया.

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Published : May 10, 2021, 10:58 PM IST

कोरबा : कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से अमानवीय तस्वीर सामने आई है. प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को एडमिट करने से पहले अस्पताल ने कोविड-19 का टेस्ट कराने और रिपोर्ट लेकर आने के लिए कहा. दर्द से तड़पती गर्भवती ने कोरोना टेस्ट के लिए अपनी बारी का इंतजार करते-करते ही बच्चे को जन्म दे दिया.

मजबूरन परिजन प्रसूता को व्हील चेयर पर बिठाकर अस्पताल परिसर में ही स्थित कोरोना जांच केंद्र तक ले गए थे. इस दौरान प्रसूता ने लाइन में लगे-लगे बच्चे को जन्म दे दिया. राहत की बात ये रही कि जच्चा और बच्चा दोनों ही फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

लाइन में लगी गर्भवती ने बच्चे को दिया जन्म.

बंद था कोरोना जांच केंद्र

नकटीखार की रहने वाली 27 साल की गनेशिया बाई मंझवार अपने पति देवनंद के साथ महतारी एक्सप्रेस से सुबह 9 बजे जिला अस्पताल पहुंची थीं. अस्पताल पहुंचते ही उन्हें कोरोना जांच कराने को कहा गया. लेकिन सुबह कोरोना जांच शुरू नहीं हुई थी. प्रसूता के साथ आए मितानिन और परिजन उसे स्ट्रेचर पर लेकर जिला अस्पताल कोरोना जांच केंद्र पहुंचे. इसके बाद वे लोग केंद्र के बाहर लाइन में लग गए.

घंटों दर्द से कराहती रही प्रसूता

प्रसूता के पति देवनंद ने बताया कि प्रसव के लिए उसे पहले जिला अस्पताल लाया गया. उसके बाद कोरोना जांच कराने को कहा गया. कोरोना जांच केंद्र सुबह बंद रहने के कारण उसे निजी अस्पताल भी लेकर गए. लेकिन कहीं कोरोना जांच नहीं हो पाई. दर्द से कराह रही पत्नी को लेकर घंटों भटकना पड़ा. आखिरकार लाइन में ही पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. देवनंद ने कहा कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं कम से कम इस बात की खुशी है. देवनंद ने ये भी बताया कि शादी के 4 साल बाद ये पहला बच्चा है.

अस्पताल में ही हुई जांच

देवनंद ने बताया कि वे जब पहले अस्पताल पहुंचे तब कोरोना जांच केंद्र भेज दिया गया. घंटों भटकने के बाद भी जांच नहीं हुई. जब प्रसूता ने बच्चे को जन्म दे दिया तब आखिरकार उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. अस्पताल के भीतर ही बच्चे और मां दोनों का ही कोरोना जांच की गई. जिसमें दोनों ही निगेटिव पाए गए. परिजनों का आरोप है कि सुबह जब वे लोग अस्पताल पहुंचे थे, तभी अस्पताल में भर्ती कर कोरोना जांच हो सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

अस्पताल अधीक्षक ने कहा : जानकारी नहीं

इस मामले में जब अस्पताल अधीक्षक और सिविल सर्जन डॉ. अरुण तिवारी से जानकारी ली गई तब उन्होंने पूरे मामले से अनभिज्ञता जाहिर की. उन्होंने कहा कि वे सुबह से अस्पताल में ही थे. लेकिन उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नहीं है. इस मामले की जांच कराएंगे और कोशिश करेंगे कि अगली बार ऐसा हो तो पहले प्रसूता को भर्ती किया जाए, उसके बाद औपचारिकता पूरी की जाए.

पढ़ेंः ठीक होने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ रहा कोरोना, अब ब्लैक फंगस का खतरा, जानें कितनी घातक है यह बीमारी

कोरबा : कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से अमानवीय तस्वीर सामने आई है. प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को एडमिट करने से पहले अस्पताल ने कोविड-19 का टेस्ट कराने और रिपोर्ट लेकर आने के लिए कहा. दर्द से तड़पती गर्भवती ने कोरोना टेस्ट के लिए अपनी बारी का इंतजार करते-करते ही बच्चे को जन्म दे दिया.

मजबूरन परिजन प्रसूता को व्हील चेयर पर बिठाकर अस्पताल परिसर में ही स्थित कोरोना जांच केंद्र तक ले गए थे. इस दौरान प्रसूता ने लाइन में लगे-लगे बच्चे को जन्म दे दिया. राहत की बात ये रही कि जच्चा और बच्चा दोनों ही फिलहाल पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

लाइन में लगी गर्भवती ने बच्चे को दिया जन्म.

बंद था कोरोना जांच केंद्र

नकटीखार की रहने वाली 27 साल की गनेशिया बाई मंझवार अपने पति देवनंद के साथ महतारी एक्सप्रेस से सुबह 9 बजे जिला अस्पताल पहुंची थीं. अस्पताल पहुंचते ही उन्हें कोरोना जांच कराने को कहा गया. लेकिन सुबह कोरोना जांच शुरू नहीं हुई थी. प्रसूता के साथ आए मितानिन और परिजन उसे स्ट्रेचर पर लेकर जिला अस्पताल कोरोना जांच केंद्र पहुंचे. इसके बाद वे लोग केंद्र के बाहर लाइन में लग गए.

घंटों दर्द से कराहती रही प्रसूता

प्रसूता के पति देवनंद ने बताया कि प्रसव के लिए उसे पहले जिला अस्पताल लाया गया. उसके बाद कोरोना जांच कराने को कहा गया. कोरोना जांच केंद्र सुबह बंद रहने के कारण उसे निजी अस्पताल भी लेकर गए. लेकिन कहीं कोरोना जांच नहीं हो पाई. दर्द से कराह रही पत्नी को लेकर घंटों भटकना पड़ा. आखिरकार लाइन में ही पत्नी ने बच्चे को जन्म दिया. देवनंद ने कहा कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं कम से कम इस बात की खुशी है. देवनंद ने ये भी बताया कि शादी के 4 साल बाद ये पहला बच्चा है.

अस्पताल में ही हुई जांच

देवनंद ने बताया कि वे जब पहले अस्पताल पहुंचे तब कोरोना जांच केंद्र भेज दिया गया. घंटों भटकने के बाद भी जांच नहीं हुई. जब प्रसूता ने बच्चे को जन्म दे दिया तब आखिरकार उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. अस्पताल के भीतर ही बच्चे और मां दोनों का ही कोरोना जांच की गई. जिसमें दोनों ही निगेटिव पाए गए. परिजनों का आरोप है कि सुबह जब वे लोग अस्पताल पहुंचे थे, तभी अस्पताल में भर्ती कर कोरोना जांच हो सकती थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

अस्पताल अधीक्षक ने कहा : जानकारी नहीं

इस मामले में जब अस्पताल अधीक्षक और सिविल सर्जन डॉ. अरुण तिवारी से जानकारी ली गई तब उन्होंने पूरे मामले से अनभिज्ञता जाहिर की. उन्होंने कहा कि वे सुबह से अस्पताल में ही थे. लेकिन उन्हें इस तरह की कोई जानकारी नहीं है. इस मामले की जांच कराएंगे और कोशिश करेंगे कि अगली बार ऐसा हो तो पहले प्रसूता को भर्ती किया जाए, उसके बाद औपचारिकता पूरी की जाए.

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