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देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर पहली बार महिलाएं बनी जंगल की 'पहरेदार' - उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी

देश की दूसरी सबसे ऊंची और उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी नेदादेवी के बायोस्फियर क्षेत्र में वन और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए पहली बार महिला जांबाजों को चुना गया है. पहली बार दो महिला वन दरोगा और एक महिला वन आरक्षी गश्त में शामिल हुई हैं.

महिलाएं बनी जंगल की 'पहरेदार'
महिलाएं बनी जंगल की 'पहरेदार'
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Published : Jun 15, 2021, 2:47 PM IST

चमोली (उत्तराखंड): महिलाएं आज पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. बात सीमा पर देश के लिए मर मिटने की हो या फिर फाइटर प्लेन चलाने की या फिर मिशन मंगल की, महिलाओं ने जब भी तबीयत से पत्थर उछाला है तो आसमान में सुराख हुआ है. ऐसी ही एक मिसाल उत्तराखंड की सबसे ऊंची और देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर देखने को मिली है.

नंदादेवी के जंगलों में पहली बार महिला पहरेदार

देश की दूसरी सर्वाधिक ऊंची चोटी नंदादेवी में वन और दुर्लभ वन्य जीवों की निगहबानी के लिए पहली बार दो महिला वन दरोगा और एक महिला वन आरक्षी (forest guard) शामिल हुई हैं. अभी तक जोशीमठ क्षेत्र स्थित उच्च हिमालयी क्षेत्र में नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व में पुरुष वन दरोगा व वन आरक्षी की ही तैनाती थी.

देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर महिलाएं जंगल की पहरेदार

विकट भौगोलिक परिस्थिति होने के कारण अभी तक नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में वन और वन्य जीवों की सुरक्षा में पुरुष वन दरोगा और वन आरक्षी मुस्तैद रहते थे, लेकिन नंदादेवी वायोस्फियर के प्रभारी निदेशक अमित कंवर की पहल पर इस वर्ष से यह जिम्मा महिला वन दरोगा व वन आरक्षियों को भी सौंपा गया है. नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व के निदेशक/वन संरक्षक अमित कंवर ने बताया कि जून माह के पहले सप्ताह में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की 3 टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में दुर्लभ वन्य जीव, जड़ी-बूटियों की तस्करी, शिकार, अवैध पेड़ों के कटान व अतिक्रमण का निरीक्षण करने के लिए लंबी दूरी की गश्त पर गई थीं.

प्रभारी निदेशक अमित कंवर के निर्देशों के बाद रेंज अधिकारी नंदादेवी वायोस्फेयर चेतना कांडपाल के निर्देशन में महिला वन दरोगा व वन आरक्षी को लंबी दूरी की गश्त के लिए तैयार किया गया. वन विभाग की टीम के साथ महिला वन अधिकारियों ने लगभग 60 किलोमीटर की पैदल दूरी तय की. दरसअल, बीते एक जून को वन विभाग का एक दल लाता खर्क, भेंटा, धरसी और सैनी खर्क गया था. टीम में मौजूद 12 सदस्यों में पहली बार तीन महिलाएं भी शामिल हुईं, जिनमें वन दरोगा ममता कनवासी, दुर्गा सती और वन आरक्षी रोशनी शामिल थीं.

पढ़ें- रुड़की की बेटी ने 'मायानगरी' में बनाई पहचान, फिल्मों में बिखेर रही जलवा

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और महिलाएं

उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य होने के नाते पर्यटकों की पहली पसंद रहा है लेकिन यहां की भौगोलिक परिस्थितियांं जीवन को मुश्किल बनाती है. कई दुर्गम क्षेत्रों तक सड़क, पानी और बिजली जैसी सुविधाओं की पहुंच नहीं है लेकिन ऐसे क्षेत्रों में भी महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती हैं. गांवों में खेती से लेकर तमाम दूसरे कामों के लिए शारीरिक परिश्रम की जरूरत होती है और महिलाएं हर काम में बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाती हैं. और शायद महिलाओं का इसी परिश्रम ने आज ममता कनवासी, दुर्गा सती और रोशनी को उस मुकाम पर पहुंचा दिया है जहां हर कोई उनकी देख सलाम कर रहा है.

नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में पहली बार महिला जांबाजों की तैनाती.
नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में पहली बार महिला जांबाजों की तैनाती.

देश की दूसरी और उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी पर पहरेदारी

बता दें, नंदा देवी पर्वत श्रृंखला का भारत की दूसरी और विश्व की 23वीं सबसे ऊंची चोटी है. चमोली जिले में गौरीगंगा और ऋषि गंगा घाटी के बीच स्थित नंदा देवी पर्वत क्षेत्र 7,817 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. वन क्षेत्र होने के कारण दुर्लभ जीव जंतुओं की निगहबानी व शिकारियों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीमों के द्वारा समय-समय पर यहां गश्त की जाती है.

ये भी पढ़ें: टीका लगवाने के लिए कहा ताे दे दी जान

चमोली (उत्तराखंड): महिलाएं आज पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. बात सीमा पर देश के लिए मर मिटने की हो या फिर फाइटर प्लेन चलाने की या फिर मिशन मंगल की, महिलाओं ने जब भी तबीयत से पत्थर उछाला है तो आसमान में सुराख हुआ है. ऐसी ही एक मिसाल उत्तराखंड की सबसे ऊंची और देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर देखने को मिली है.

नंदादेवी के जंगलों में पहली बार महिला पहरेदार

देश की दूसरी सर्वाधिक ऊंची चोटी नंदादेवी में वन और दुर्लभ वन्य जीवों की निगहबानी के लिए पहली बार दो महिला वन दरोगा और एक महिला वन आरक्षी (forest guard) शामिल हुई हैं. अभी तक जोशीमठ क्षेत्र स्थित उच्च हिमालयी क्षेत्र में नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व में पुरुष वन दरोगा व वन आरक्षी की ही तैनाती थी.

देश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर महिलाएं जंगल की पहरेदार

विकट भौगोलिक परिस्थिति होने के कारण अभी तक नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में वन और वन्य जीवों की सुरक्षा में पुरुष वन दरोगा और वन आरक्षी मुस्तैद रहते थे, लेकिन नंदादेवी वायोस्फियर के प्रभारी निदेशक अमित कंवर की पहल पर इस वर्ष से यह जिम्मा महिला वन दरोगा व वन आरक्षियों को भी सौंपा गया है. नंदादेवी बायोस्फियर रिजर्व के निदेशक/वन संरक्षक अमित कंवर ने बताया कि जून माह के पहले सप्ताह में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की 3 टीमें अलग-अलग क्षेत्रों में दुर्लभ वन्य जीव, जड़ी-बूटियों की तस्करी, शिकार, अवैध पेड़ों के कटान व अतिक्रमण का निरीक्षण करने के लिए लंबी दूरी की गश्त पर गई थीं.

प्रभारी निदेशक अमित कंवर के निर्देशों के बाद रेंज अधिकारी नंदादेवी वायोस्फेयर चेतना कांडपाल के निर्देशन में महिला वन दरोगा व वन आरक्षी को लंबी दूरी की गश्त के लिए तैयार किया गया. वन विभाग की टीम के साथ महिला वन अधिकारियों ने लगभग 60 किलोमीटर की पैदल दूरी तय की. दरसअल, बीते एक जून को वन विभाग का एक दल लाता खर्क, भेंटा, धरसी और सैनी खर्क गया था. टीम में मौजूद 12 सदस्यों में पहली बार तीन महिलाएं भी शामिल हुईं, जिनमें वन दरोगा ममता कनवासी, दुर्गा सती और वन आरक्षी रोशनी शामिल थीं.

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उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और महिलाएं

उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य होने के नाते पर्यटकों की पहली पसंद रहा है लेकिन यहां की भौगोलिक परिस्थितियांं जीवन को मुश्किल बनाती है. कई दुर्गम क्षेत्रों तक सड़क, पानी और बिजली जैसी सुविधाओं की पहुंच नहीं है लेकिन ऐसे क्षेत्रों में भी महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती हैं. गांवों में खेती से लेकर तमाम दूसरे कामों के लिए शारीरिक परिश्रम की जरूरत होती है और महिलाएं हर काम में बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाती हैं. और शायद महिलाओं का इसी परिश्रम ने आज ममता कनवासी, दुर्गा सती और रोशनी को उस मुकाम पर पहुंचा दिया है जहां हर कोई उनकी देख सलाम कर रहा है.

नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में पहली बार महिला जांबाजों की तैनाती.
नंदादेवी बायोस्फियर क्षेत्र में पहली बार महिला जांबाजों की तैनाती.

देश की दूसरी और उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी पर पहरेदारी

बता दें, नंदा देवी पर्वत श्रृंखला का भारत की दूसरी और विश्व की 23वीं सबसे ऊंची चोटी है. चमोली जिले में गौरीगंगा और ऋषि गंगा घाटी के बीच स्थित नंदा देवी पर्वत क्षेत्र 7,817 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. वन क्षेत्र होने के कारण दुर्लभ जीव जंतुओं की निगहबानी व शिकारियों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीमों के द्वारा समय-समय पर यहां गश्त की जाती है.

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