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खिलौने बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं देवघर की महिलाएं, दूसरे राज्यों में भी डिमांड

झारखंड के देवघर के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं खिलौने बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. महिलाओं ने प्रशिक्षण लेकर घर में ही टेडी बियर, गुड़िया और कई बेहतरीन खिलौने बनाने शुरू किए हैं. इससे उन्हें हर दिन 500-600 रुपये की आमदनी हो रही है. महिलाओं का कहना है कि पहले हमारे पास कोई काम नहीं होता था, लेकिन खिलौनों का यह कारोबार धीरे-धीरे हमें आत्मनिर्भर बना रहा है. खिलौने बेचकर अच्छी कमाई हो रही है.

खिलौने बनाकर आत्मनिर्भर
खिलौने बनाकर आत्मनिर्भर
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Published : Feb 27, 2021, 10:33 PM IST

देवघर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ही महीने पहले खिलौना निर्माण के काम को विकसित करने का आह्वान किया था. झारखंड के देवघर के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने पीएम के संदेश को आत्मसात किया और घरों में खिलौने बनाकर अपने पैरों पर खड़ी हो रहीं हैं. महिलाओं ने प्रशिक्षण लेकर घर में ही टेडी बियर, गुड़िया और कई बेहतरीन खिलौने बनाने शुरू किए हैं. इससे उन्हें रोजाना 500-600 रुपये की आमदनी हो रही है.

दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे खिलौने
गांव में निर्मित खिलौनों को बाजार उपलब्ध कराना बड़ी समस्या है. लेकिन, इसमें झारखंड आजीविका मिशन की तरफ से इन्हें पूरी मदद की जा रही है. इनके सहयोग से खिलौने दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं. मोहनपुर क्लस्टर की 12 दीदी हर दिन 20 से 25 खिलौने बनाकर 500 से 600 रुपये घर बैठे कमा रहीं हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट..

यह भी पढ़ें- निजी अस्पतालों में कोरोना वैक्सीन की एक डोज की कीमत ₹ 250

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ातीं महिलाएं
महिलाओं का कहना है कि पहले हमारे पास कोई काम नहीं होता था, लेकिन खिलौनों का यह कारोबार हमें धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बना रहा है. खिलौने बेचने से अच्छी कमाई हो रही है. पहले घर के काम के बाद बैठे रहते थे. आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम बढ़ातीं इन महिलाओं को लोकल फॉर वोकल की तर्ज पर स्थानीय स्तर पर प्रोत्साहित करने की जरूरत है. अगर ऐसा हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब खिलौना बनाने का यह धंधा बड़े उद्योग की शक्ल अख्तियार कर लेगा.

देवघर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ही महीने पहले खिलौना निर्माण के काम को विकसित करने का आह्वान किया था. झारखंड के देवघर के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने पीएम के संदेश को आत्मसात किया और घरों में खिलौने बनाकर अपने पैरों पर खड़ी हो रहीं हैं. महिलाओं ने प्रशिक्षण लेकर घर में ही टेडी बियर, गुड़िया और कई बेहतरीन खिलौने बनाने शुरू किए हैं. इससे उन्हें रोजाना 500-600 रुपये की आमदनी हो रही है.

दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे खिलौने
गांव में निर्मित खिलौनों को बाजार उपलब्ध कराना बड़ी समस्या है. लेकिन, इसमें झारखंड आजीविका मिशन की तरफ से इन्हें पूरी मदद की जा रही है. इनके सहयोग से खिलौने दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं. मोहनपुर क्लस्टर की 12 दीदी हर दिन 20 से 25 खिलौने बनाकर 500 से 600 रुपये घर बैठे कमा रहीं हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट..

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आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ातीं महिलाएं
महिलाओं का कहना है कि पहले हमारे पास कोई काम नहीं होता था, लेकिन खिलौनों का यह कारोबार हमें धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बना रहा है. खिलौने बेचने से अच्छी कमाई हो रही है. पहले घर के काम के बाद बैठे रहते थे. आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम बढ़ातीं इन महिलाओं को लोकल फॉर वोकल की तर्ज पर स्थानीय स्तर पर प्रोत्साहित करने की जरूरत है. अगर ऐसा हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब खिलौना बनाने का यह धंधा बड़े उद्योग की शक्ल अख्तियार कर लेगा.

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