नई दिल्ली : लोकसभा की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इससे पहले नशे की समस्या को लेकर चर्चा चली जो बुधवार को भी जारी रहेगी. इसके बाद ही गृह मंत्री अमित शाह अपना जवाब रखेंगे. मंगलवार को सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही विपक्ष के हंगामे एवं नारेबाजी के कारण कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी. कांग्रेस एवं कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य चीन के मुद्दे को लेकर चर्चा कराने की मांग करने लगे लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा कर दी. इस बीच विपक्षी सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर नारेबाजी करते रहे. अध्यक्ष ने उनसे शांति से प्रश्नकाल चलने देने की अपील की लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ. इस पर श्री बिरला ने सदन की कार्यवाही 11.30 बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी. 11:30 बजे लोकसभा में प्रश्नकाल की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई.
नशे की समस्या को लेकर चर्चा जारी, कल गृह मंत्री देंगे जवाब
लोकसभा में नियम 193 के तहत, मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या और इस तरफ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की गई. यह चर्चा बुधवार को भी जारी रहेगी. इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह चर्चा का जवाब देंगे.
लोकसभा में नशे की समस्या को लेकर चर्चा
लोकसभा में सांसद हरसिमरत कौर बादल मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या और इस तरफ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर ध्यानाकर्षण ला रही हैं. लोकसभा में नियम 193 के तहत, मादक द्रव्यों के सेवन की समस्या और इस तरफ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर चर्चा की जा रही है. गुरजीत सिंह औजला ने पंजाब में ड्रग्स की तस्करी और युवाओं द्वारा इनके उपयोग के बारे में चर्चा की. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कैसे ये खतरनाक ड्रग्स पाकिस्तान और अरब देशों से ड्रग्स को तस्करी किया जा रहा है.
इससे पहले, राज्यसभा में भी कार्यवाही शुरू हो गई है. राज्यसभा में नेता सत्ता पक्ष पीयूष गोयल ने अलवर में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकाअर्जून खड़गे के अलवर में दिये गये भाषण के लिए उनकी निंदा की और उनसे माफी माफी मांगने की अपील की. खड़गे जब जबाव दे रहे थे जो भाजपा सांसद हंगामा करने लगे. इस पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने कहा कि हमें सुनना होगा. सदन में हंगामा देश के लिए अच्छा उदाहरण नहीं है. देश की 135 करोड़ जनता हमपर हंस रही है. इससे पहले कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने चीन के साथ सीमा की स्थिति पर चर्चा के लिए राज्यसभा में नियम 267 के तहत कार्रवाई निलंबित करने का नोटिस दिया. कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत भारत और चीन के बीच संघर्ष की यथास्थिति पर सार्थक चर्चा और पीएम और भारत सरकार से बयान देने की मांग की है. लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी चीन के साथ सीमा की स्थिति पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया.
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस पर संसद में बाधा डालने वाला रुख अपनाने का आरोप लगाया और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने का आह्वान किया. भाजपा ने यह बात तब कही जब कथित चीनी घुसपैठ पर चर्चा कराने की मांग राज्यसभा के सभापति द्वारा स्वीकार नहीं करने पर कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से बहिगर्मन किया.
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राज्यसभा में सदन के नेता एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता पीयूष गोयल ने कहा कि 2004 और 2014 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सत्ता में रहने के दौरान संसद में संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा या स्पष्टीकरण की मांग के कई उदाहरण हैं. उन्होंने बहिर्गमन के बाद संवाददाताओं से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष की 'निराशा' इस स्तर तक पहुंच गई है कि उन्होंने संसदीय नियमों और विनियमों का सम्मान करना या सभापति के फैसलों पर ध्यान देना बंद कर दिया है.
गोयल के साथ संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी थे. गोयल ने कहा कि विशेष रूप से कांग्रेस बहुत निचले स्तर की राजनीति कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी ऐसे समय में सशस्त्र बलों का मनोबल गिरा रहे हैं जब देश को एक स्वर में बोलना चाहिए और जवानों को उनकी वीरता के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी सराहना करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह भारत, उसके लोकतंत्र और सभी के हित में है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और संसद की कार्यवाही चलने दी जानी चाहिए.
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सीमाओं पर कथित चीनी घुसपैठ को लेकर चर्चा की मांग सोमवार को सभापति द्वारा खारिज किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया. सभापति जगदीप धनखड़ ने नियम 267 के तहत दिये गए सभी नौ नोटिस यह कहते हुए खारिज कर दिये कि वे नियमों के तहत नहीं हैं. हालांकि, कांग्रेस और अन्य पार्टियां कामकाज स्थगित करने की अपनी मांग पर अड़ी रहीं, ताकि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके. हालांकि सभापति ने उनकी मांग नहीं मानी, जिसके बाद कांग्रेस, वाम, द्रमुक और अन्य दलों के सांसदों ने बहिर्गमन किया.
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