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महाराष्ट्र : क्या टीकाकरण अभियान में शामिल होंगे घुमंतू समुदाय ?

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Published : May 5, 2021, 3:13 PM IST

कोरोना महामारी से बचने के लिए टीकाकरण तेजी से किया जा रहा है. वहीं जो लोग CoWin एप से रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रहे हैं. वे टीकाकरण केंद्र पर पंजीकरण करा सकते हैं. इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य है. लेकिन उन लोगों का क्या जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है?

टीकाकरण अभियान
टीकाकरण अभियान

मुंबई : महाराष्ट्र में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, तो वहीं, टीकाकरण अभियान में भी तेजी लाई गई है. हालांकि, वर्तमान समय में टीकों की कमी देखी जा रही है. सरकार ने टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया है, जिसके लिए CoWin एप के जरिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है.

CoWin एप से जो व्यक्ति पंजीकृत नहीं हो पा रहे हैं, वे टीकाकरण केंद्र में अपना पंजीकरण कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य है. पर बड़ा सवाल यह है कि उन लोगों का क्या जिनके पास कोई दस्तावेज ही नहीं हैं.

अगर आधार कार्ड किसी व्यक्ति के पास नहीं है, तो वह कैसे टीका लगवाएगा. खासतौर पर घुमंतू समुदाय के लोग टीकाकरण अभियान में कैसे शामिल होंगे, जो कि अपना पेट पालने के लिए यहां से वहां घुमते रहते हैं.

पढ़ेंः राज्यों में लॉकडाउन या बढ़ी हैं पाबंदियां, जानें अपने प्रदेश का हाल

राज्य सहित पूरे देश में बड़ी संख्या में घुमंतू समुदाय हैं. इनका न कोई ठिकाना होता है और सिर पर छत, यहां तक कि अपने परिवार का पेट पालने के लिए छोटा-मोटा कोई भी रोजगार कर लेंगे, जो वही काफी है. ऐसी स्थिति में भी कोरोना जैसा संकट आन पड़े तो इंसान टूट ही जाता है. हालांकि, टीकाकरण से इस संकट को दूर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आधार कार्ड की जरूरत है. चूंकि घुमंतू समुदाय के पास आधार कार्ड नहीं होता. ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस समुदाय के लिए अन्य विकल्प क्या है.

राष्ट्रीय समाज पार्टी (आरएसपी) के महादेव जानकर के मुताबिक, देश में 52 प्रतिशत ओबीसी श्रेणी में आते हैं. हालांकि, इस बड़ी संख्या के वर्ग को नजरअंदाज कर दिया जाता है. पारधी, कैकड़ी, बंजारा, चरवाहों सहित लगभग 7 से 11 फीसदी लोगों को टीकाकरण अभियान में शामिल करने की जरूरत है.

कोरोना से बचने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया. ऐसे में सड़कों पर जो नजर आता है, उसे पुलिस का डंडा पड़ता है. लेकिन उन लोगों का क्या जो फुटपाथों पर रहते हैं. वे लोग कहां जाएं.

यह भी पढ़ेंः लॉकडाउन ही थाम सकता है मौत का सिलसिला

कोरोना महामारी जल्द खत्म हो जाएगी, और शहर फिर से सामान्य स्थिति में आ जाएंगे. लेकिन घुमंतू समुदायों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, उन्हें भी टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाना चाहिए.

जैन संतों का बगैर आधार कार्ड के टीकाकरण

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने सरकार से आग्रह किया है कि सभी धार्मिक ऋषि और संतों को टीका लगवाया जाए, भले ही उनके पास आवश्यक दस्तावेज न हों. सावंत ने बताया कि उनके इस आग्रह को मान लिया गया है. नगरपालिका आयुक्त आईएस चहल ने उनके इस निवेदन पर हामी भर दी है. जिसके लिए जैन संतों ने शिनसेना का आभार माना है.

अब भाजपा ने भी यही मांग की है. भाजपा नेता भलचंद्र शिरसत ने कहा कि इसी सिद्धांतों पर मुंबई में भी टीकाकरण होना चाहिए. संतों की तरह, घुमंतू समुदाय के लोगों को भी बगैर किसी प्रमाणपत्र के टीकाकरण की अनुमति दी जानी चाहिए.

मुंबई : महाराष्ट्र में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, तो वहीं, टीकाकरण अभियान में भी तेजी लाई गई है. हालांकि, वर्तमान समय में टीकों की कमी देखी जा रही है. सरकार ने टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया है, जिसके लिए CoWin एप के जरिए रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है.

CoWin एप से जो व्यक्ति पंजीकृत नहीं हो पा रहे हैं, वे टीकाकरण केंद्र में अपना पंजीकरण कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य है. पर बड़ा सवाल यह है कि उन लोगों का क्या जिनके पास कोई दस्तावेज ही नहीं हैं.

अगर आधार कार्ड किसी व्यक्ति के पास नहीं है, तो वह कैसे टीका लगवाएगा. खासतौर पर घुमंतू समुदाय के लोग टीकाकरण अभियान में कैसे शामिल होंगे, जो कि अपना पेट पालने के लिए यहां से वहां घुमते रहते हैं.

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राज्य सहित पूरे देश में बड़ी संख्या में घुमंतू समुदाय हैं. इनका न कोई ठिकाना होता है और सिर पर छत, यहां तक कि अपने परिवार का पेट पालने के लिए छोटा-मोटा कोई भी रोजगार कर लेंगे, जो वही काफी है. ऐसी स्थिति में भी कोरोना जैसा संकट आन पड़े तो इंसान टूट ही जाता है. हालांकि, टीकाकरण से इस संकट को दूर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए आधार कार्ड की जरूरत है. चूंकि घुमंतू समुदाय के पास आधार कार्ड नहीं होता. ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस समुदाय के लिए अन्य विकल्प क्या है.

राष्ट्रीय समाज पार्टी (आरएसपी) के महादेव जानकर के मुताबिक, देश में 52 प्रतिशत ओबीसी श्रेणी में आते हैं. हालांकि, इस बड़ी संख्या के वर्ग को नजरअंदाज कर दिया जाता है. पारधी, कैकड़ी, बंजारा, चरवाहों सहित लगभग 7 से 11 फीसदी लोगों को टीकाकरण अभियान में शामिल करने की जरूरत है.

कोरोना से बचने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया. ऐसे में सड़कों पर जो नजर आता है, उसे पुलिस का डंडा पड़ता है. लेकिन उन लोगों का क्या जो फुटपाथों पर रहते हैं. वे लोग कहां जाएं.

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कोरोना महामारी जल्द खत्म हो जाएगी, और शहर फिर से सामान्य स्थिति में आ जाएंगे. लेकिन घुमंतू समुदायों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, उन्हें भी टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाना चाहिए.

जैन संतों का बगैर आधार कार्ड के टीकाकरण

शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने सरकार से आग्रह किया है कि सभी धार्मिक ऋषि और संतों को टीका लगवाया जाए, भले ही उनके पास आवश्यक दस्तावेज न हों. सावंत ने बताया कि उनके इस आग्रह को मान लिया गया है. नगरपालिका आयुक्त आईएस चहल ने उनके इस निवेदन पर हामी भर दी है. जिसके लिए जैन संतों ने शिनसेना का आभार माना है.

अब भाजपा ने भी यही मांग की है. भाजपा नेता भलचंद्र शिरसत ने कहा कि इसी सिद्धांतों पर मुंबई में भी टीकाकरण होना चाहिए. संतों की तरह, घुमंतू समुदाय के लोगों को भी बगैर किसी प्रमाणपत्र के टीकाकरण की अनुमति दी जानी चाहिए.

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