ETV Bharat / bharat

लोजपा संकट : क्या बगावत की आंधी में बुझ जाएगा 'चिराग'

लोजपा के पांच सांसदों ने पार्टी चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर दी है. पशुपति पारस के नेतृत्व में इन सांसदों ने पार्टी पर कब्जा करने का दावा किया है. साथ ही पारस को सर्वसम्मति से लोकसभा में लोजपा संसदीय दल का नेता चुना गया. माना जा रहा है कि चिराग पासवान के कुछ फैसलों के कारण ही लोजपा में फूट पड़ी है, जो अब चिराग पर भारी पड़ रही है. पढ़ें पूरी खबर...

चिराग पासवान
चिराग पासवान
author img

By

Published : Jun 14, 2021, 2:17 PM IST

हैदराबाद : बिहार के क्षेत्रीय दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में घमासान मच गया है. लोजपा के छह सांसदों से पांच ने पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है और उन्हें लोकसभा में पार्टी के नेता के पद से हटाने का फैसला लिया.

इस हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा से चिराग की लोजपा पर पकड़ खत्म हो सकती है और उनके चाचा पशुपति पारस पार्टी को अपने कब्जे में ले सकते हैं.

तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर, 2020 को निधन हो गया था. जिसके बाद से चिराग ही पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं.

हालांकि, चिराग पासवान को 5 नवंबर, 2019 में ही लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. चिराग पासवान के नेतृत्व में लोजपा ने पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी मात्र एक सीट जीती. पिता रामविलास की गैर-मौजूदगी और पार्टी अध्यक्ष के रूप में चिराग का यह पहला इम्तिहान था, जिसमें वह असफल साबित हुए.

नीतीश से दुश्मनी पड़ी महंगी
लोजपा संकट के पीछे का कारण चिराग पासवान का विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए से अलग होना माना जा रहा है. साथ ही चिराग की जेडीयू अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी भी उन पर भारी पड़ती दिख रही है.

चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव से पहले ही नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला था. चिराग एक तरफ जहां नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत हमले कर रहे थे तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी का गुणगान करते नहीं थके. जबकि जेडीयू भी एनडीए का ही हिस्सा थी.

चिराग के इस दोहरे आचरण के कारण उन पर विधानसभा चुनाव में भाजपा से साठगांठ के भी आरोप लगे थे, क्योंकि लोजपा ने सिर्फ जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ ही अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. माना जाता है कि चिराग की नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार बयानबाजी के कारण ही बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में जेडीयू की सीटें घटीं और भाजपा की सीटें बढ़ गईं.

चुनाव में खराब प्रदर्शन से लोजपा नेता नाराज
इन सबसे चिराग पासवान को क्या हासिल हुआ, शायद कुछ भी नहीं. चिराग ने न सिर्फ नीतीश कुमार से दुश्मनी मोल ली, बल्कि अपनी ही पार्टी के भीतर अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं. अब लोजपा के नेताओं ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से बेदखल करने की तैयारी कर ली.

यह भी पढ़ें- लोजपा में फूट, 'चिराग' तले अंधेरा

यह सब चिराग पासवान के चाचा और सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में हो रहा है. पशुपति पारस ने लोजपा को अपने कब्जे में लेने का जाल बिछा दिया है. उन्होंने पार्टी के पांच सांसदों को अपने पक्ष में भी कर लिया है. विधानसभा चुनाव में लोजपा के खराब प्रदर्शन के बाद से ही पार्टी नेताओं में विरोध की आग जल रही थी, जो अब आंधी बनकर 'चिराग' के सामने है.

हैदराबाद : बिहार के क्षेत्रीय दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में घमासान मच गया है. लोजपा के छह सांसदों से पांच ने पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है और उन्हें लोकसभा में पार्टी के नेता के पद से हटाने का फैसला लिया.

इस हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा से चिराग की लोजपा पर पकड़ खत्म हो सकती है और उनके चाचा पशुपति पारस पार्टी को अपने कब्जे में ले सकते हैं.

तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर, 2020 को निधन हो गया था. जिसके बाद से चिराग ही पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं.

हालांकि, चिराग पासवान को 5 नवंबर, 2019 में ही लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. चिराग पासवान के नेतृत्व में लोजपा ने पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी मात्र एक सीट जीती. पिता रामविलास की गैर-मौजूदगी और पार्टी अध्यक्ष के रूप में चिराग का यह पहला इम्तिहान था, जिसमें वह असफल साबित हुए.

नीतीश से दुश्मनी पड़ी महंगी
लोजपा संकट के पीछे का कारण चिराग पासवान का विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए से अलग होना माना जा रहा है. साथ ही चिराग की जेडीयू अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी भी उन पर भारी पड़ती दिख रही है.

चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव से पहले ही नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला था. चिराग एक तरफ जहां नीतीश कुमार पर व्यक्तिगत हमले कर रहे थे तो वहीं पीएम नरेंद्र मोदी का गुणगान करते नहीं थके. जबकि जेडीयू भी एनडीए का ही हिस्सा थी.

चिराग के इस दोहरे आचरण के कारण उन पर विधानसभा चुनाव में भाजपा से साठगांठ के भी आरोप लगे थे, क्योंकि लोजपा ने सिर्फ जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ ही अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. माना जाता है कि चिराग की नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार बयानबाजी के कारण ही बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में जेडीयू की सीटें घटीं और भाजपा की सीटें बढ़ गईं.

चुनाव में खराब प्रदर्शन से लोजपा नेता नाराज
इन सबसे चिराग पासवान को क्या हासिल हुआ, शायद कुछ भी नहीं. चिराग ने न सिर्फ नीतीश कुमार से दुश्मनी मोल ली, बल्कि अपनी ही पार्टी के भीतर अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं. अब लोजपा के नेताओं ने उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से बेदखल करने की तैयारी कर ली.

यह भी पढ़ें- लोजपा में फूट, 'चिराग' तले अंधेरा

यह सब चिराग पासवान के चाचा और सांसद पशुपति पारस के नेतृत्व में हो रहा है. पशुपति पारस ने लोजपा को अपने कब्जे में लेने का जाल बिछा दिया है. उन्होंने पार्टी के पांच सांसदों को अपने पक्ष में भी कर लिया है. विधानसभा चुनाव में लोजपा के खराब प्रदर्शन के बाद से ही पार्टी नेताओं में विरोध की आग जल रही थी, जो अब आंधी बनकर 'चिराग' के सामने है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.