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इजराइल ने लश्कर को आतंकी संगठन घोषित किया, क्या भारत हमास पर कोई कदम उठाएगा ?

इजराइल ने लश्कर को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. इसके जवाब में क्या भारत को भी हमास को आतंकी संगठन घोषित कर देना चाहिए. विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा करना भारत के हित में नहीं होगा. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार अरुणिम भुइंया की एक रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2023, 6:16 PM IST

Updated : Nov 22, 2023, 7:37 PM IST

नई दिल्ली : 26/11 मुंबई हमले की बरसी से ठीक पहले इजराइल ने लश्कर ए तैयबा को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. ऐसे में लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या भारत को भी इसके जवाब में हमास को आतंकी संगठन घोषित करना चाहिए या नहीं. इजराइली दूतावास ने कहा कि उसने स्वतंत्र तरीके से यह निर्णय लिया है, भारत ने इसके लिए कोई रिक्वेस्ट नहीं किया था.

इजराइली दूतावास ने कहा कि इजराइल किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए एक प्रक्रिया अपनाता है, और सारे पैमाने पूरे होने पर यह कार्रवाई करता है. इजराइल ने लश्कर को घातक और निंदनीय आतंकी संगठन घोषित करते हुए इसे भारतीय नागरिकों का हत्यारा बताया है. मुंबई आतंकी हमला 26 नवंबर 2008 को किया गया था. 29 नवंबर 2009 तक सुरक्षाबलों ने स्थिति पर नियंत्रण पा लिया था. कुल 166 लोग मारे गए थे. 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. मरने वालों में छह यहूदी भी शामिल थे. इन पर चबाड हाउस (यहूदी केंद्र) में हमला किया गया था.

इस परिप्रेक्ष्य में पूछा जा रहा है कि क्या भारत भी इजराइल को इसी तरह का कोई प्रत्युत्तर दे सकता है, यानी हमास को आतंकी संगठन घोषित कर सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को ऐसा करने की जरूरत नहीं है.

इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध में अब तक 15000 से ज्यादा की मौत हो चुकी है. इजराइल ने गाजा पर हमला किया है. गाजा पर हमास का नियंत्रण है. फिलिस्तीनियों का एक हिस्सा वेस्ट बैंक में रहता है, वहां पर पीएलओ का शासन है. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूरोपियन यूनियन और प्राग्वे ने हमास को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. हमास एक इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट है. यह मुख्य रूप से फिलिस्तानी सुन्नी इस्लामिक राजनीतिक और सैन्य संगठन है.

मंगलवार को ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और द. अफ्रीका) की हुई बैठक में इजराइल-हमास युद्ध पर चर्चा की गई थी. भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर इसमें हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने कहा कि इस संघर्ष का तात्कालिक कारण सात अक्टूबर को इजराइल पर हुआ हमला था, लेकिन उसके बाद जिस तरीके से स्थितियां बनीं, और बड़ी संख्या में जिस तरीके से आम नागरिक हताहत हुए और एक मानवीय आपदा सामने आई, उसने चिंता को बढ़ा दिया है.

उन्होंने कहा - हम फिलिस्तीन के लोगों के प्रति चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि उनकी समस्याओं का गंभीरता के साथ समाधान हो. हम दो देशों के सिद्धान्त का समर्थन करते हैं, जहां दोनों शांति के साथ सह-अस्तित्व में बने रहें. हम इस दिशा में उठाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करते हैं.

पूर्व राजदूत आर दयाकर ने ईटीवी भारत को बताया कि भारत को इजराइल के इस कदम की सराहना करनी चाहिए. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम भी उसी तरह से इसका जवाब दें. इजराइल के खिलाफ हमास के अलावा हिजबुल्ला, हौती और अन्य फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद संगठन एक्टिव हैं. इस्लामिक स्टेट को छोड़ दें, तो अन्य संगठनों ने भारत के खिलाफ कभी भी कोई एक्टिविटी नहीं की है.

उन्होंने कहा कि हमास का फोकस इजराइल पर है. वह फिलिस्तीन के उन एरिया को प्राप्त करना चाहता है, जिस पर इजराइल ने कब्जा जमा रखा है. हमास के लिए संभव नहीं है कि वह इन मुद्दों से हटकर किसी अन्य मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करे.

ऐसे में अगर भारत इसे आतंकी संगठन घोषित कर देता है, तो भारत भी उनकी रडार पर आ जाएगा. वैसे भी आंतरिक सुरक्षा के लिए कौन सा संगठन भारत के लिए खतरा हो सकता है, इसका निर्धारण करना गृह मंत्रालय का काम है. वह समय-समय पर संगठनों के नामों की घोषणा करती रहती है.

दयाकर ने कहा कि कूटनीति, भू-राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध के मामलों में इस तरह से निर्णय नहीं लिए जाते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि हम हमास के उन कृत्यों की अनदेखी कर रहे हैं कि जिस तरह से उन्होंने निहत्थे लोगों, महिलाओं और बच्चों की हत्या की है.

उन्होंने कहा कि इस जघन्य हमले के तुरंत बाद ही भारत ने इस घटना की निंदा की थी. यहां तक कि भारत उस वोटिंग का भी हिस्सा नहीं बना, जिसमें हमास के कृत्य के खिलाफ कोई भी टिप्पणी नहीं की गई थी. भारत अगर इजराइल की सराहना करना चाहता है, तो कई मौके आएंगे.

दयाकर ने कहा, 'कुल मिलाकर, सिद्धांत, विवेक और व्यावहारिक संतुलन बताता है कि ऐसे समय में जबकि इजराइल और हमास के बीच समझौते की बातचीत हो रही है, भारत हमास को आतंकी संगठन घोषित कर दे, यह उचित नहीं होगा.'

ये भी पढ़ें : गाजा पर ब्रिक्स देशों की बैठक, भारत ने किया शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर आधारित दो राज्य समाधान का आह्वान

नई दिल्ली : 26/11 मुंबई हमले की बरसी से ठीक पहले इजराइल ने लश्कर ए तैयबा को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. ऐसे में लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या भारत को भी इसके जवाब में हमास को आतंकी संगठन घोषित करना चाहिए या नहीं. इजराइली दूतावास ने कहा कि उसने स्वतंत्र तरीके से यह निर्णय लिया है, भारत ने इसके लिए कोई रिक्वेस्ट नहीं किया था.

इजराइली दूतावास ने कहा कि इजराइल किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित करने के लिए एक प्रक्रिया अपनाता है, और सारे पैमाने पूरे होने पर यह कार्रवाई करता है. इजराइल ने लश्कर को घातक और निंदनीय आतंकी संगठन घोषित करते हुए इसे भारतीय नागरिकों का हत्यारा बताया है. मुंबई आतंकी हमला 26 नवंबर 2008 को किया गया था. 29 नवंबर 2009 तक सुरक्षाबलों ने स्थिति पर नियंत्रण पा लिया था. कुल 166 लोग मारे गए थे. 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. मरने वालों में छह यहूदी भी शामिल थे. इन पर चबाड हाउस (यहूदी केंद्र) में हमला किया गया था.

इस परिप्रेक्ष्य में पूछा जा रहा है कि क्या भारत भी इजराइल को इसी तरह का कोई प्रत्युत्तर दे सकता है, यानी हमास को आतंकी संगठन घोषित कर सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को ऐसा करने की जरूरत नहीं है.

इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध में अब तक 15000 से ज्यादा की मौत हो चुकी है. इजराइल ने गाजा पर हमला किया है. गाजा पर हमास का नियंत्रण है. फिलिस्तीनियों का एक हिस्सा वेस्ट बैंक में रहता है, वहां पर पीएलओ का शासन है. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूरोपियन यूनियन और प्राग्वे ने हमास को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. हमास एक इस्लामिक रेजिस्टेंस मूवमेंट है. यह मुख्य रूप से फिलिस्तानी सुन्नी इस्लामिक राजनीतिक और सैन्य संगठन है.

मंगलवार को ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और द. अफ्रीका) की हुई बैठक में इजराइल-हमास युद्ध पर चर्चा की गई थी. भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर इसमें हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने कहा कि इस संघर्ष का तात्कालिक कारण सात अक्टूबर को इजराइल पर हुआ हमला था, लेकिन उसके बाद जिस तरीके से स्थितियां बनीं, और बड़ी संख्या में जिस तरीके से आम नागरिक हताहत हुए और एक मानवीय आपदा सामने आई, उसने चिंता को बढ़ा दिया है.

उन्होंने कहा - हम फिलिस्तीन के लोगों के प्रति चिंतित हैं, हम चाहते हैं कि उनकी समस्याओं का गंभीरता के साथ समाधान हो. हम दो देशों के सिद्धान्त का समर्थन करते हैं, जहां दोनों शांति के साथ सह-अस्तित्व में बने रहें. हम इस दिशा में उठाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करते हैं.

पूर्व राजदूत आर दयाकर ने ईटीवी भारत को बताया कि भारत को इजराइल के इस कदम की सराहना करनी चाहिए. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम भी उसी तरह से इसका जवाब दें. इजराइल के खिलाफ हमास के अलावा हिजबुल्ला, हौती और अन्य फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद संगठन एक्टिव हैं. इस्लामिक स्टेट को छोड़ दें, तो अन्य संगठनों ने भारत के खिलाफ कभी भी कोई एक्टिविटी नहीं की है.

उन्होंने कहा कि हमास का फोकस इजराइल पर है. वह फिलिस्तीन के उन एरिया को प्राप्त करना चाहता है, जिस पर इजराइल ने कब्जा जमा रखा है. हमास के लिए संभव नहीं है कि वह इन मुद्दों से हटकर किसी अन्य मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करे.

ऐसे में अगर भारत इसे आतंकी संगठन घोषित कर देता है, तो भारत भी उनकी रडार पर आ जाएगा. वैसे भी आंतरिक सुरक्षा के लिए कौन सा संगठन भारत के लिए खतरा हो सकता है, इसका निर्धारण करना गृह मंत्रालय का काम है. वह समय-समय पर संगठनों के नामों की घोषणा करती रहती है.

दयाकर ने कहा कि कूटनीति, भू-राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध के मामलों में इस तरह से निर्णय नहीं लिए जाते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि हम हमास के उन कृत्यों की अनदेखी कर रहे हैं कि जिस तरह से उन्होंने निहत्थे लोगों, महिलाओं और बच्चों की हत्या की है.

उन्होंने कहा कि इस जघन्य हमले के तुरंत बाद ही भारत ने इस घटना की निंदा की थी. यहां तक कि भारत उस वोटिंग का भी हिस्सा नहीं बना, जिसमें हमास के कृत्य के खिलाफ कोई भी टिप्पणी नहीं की गई थी. भारत अगर इजराइल की सराहना करना चाहता है, तो कई मौके आएंगे.

दयाकर ने कहा, 'कुल मिलाकर, सिद्धांत, विवेक और व्यावहारिक संतुलन बताता है कि ऐसे समय में जबकि इजराइल और हमास के बीच समझौते की बातचीत हो रही है, भारत हमास को आतंकी संगठन घोषित कर दे, यह उचित नहीं होगा.'

ये भी पढ़ें : गाजा पर ब्रिक्स देशों की बैठक, भारत ने किया शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर आधारित दो राज्य समाधान का आह्वान

Last Updated : Nov 22, 2023, 7:37 PM IST
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