नई दिल्ली : कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिये केंद्र सरकार फोर्टिफाइड चावल (पोषण युक्त चावल) मुहैया करा रही है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर इसको 15 राज्यों में लागू करना है, जिसमें से महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात ने पोषक तत्वों के साथ मिश्रित चावल का वितरण शुरु कर दिया है.
पोषणयुक्त चावल तैयार करके इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मिड डे मील, आईसीडीएस के जरिये बांटा जाता है. फोर्टिफाइड चावल में फोलिक एसिड, विटामिन A, विटामिन B12, आयरन, विटामिन B1, जिंक जैसे तत्व होते हैं. यह सब पोषक तत्व हैं. इन पोषक तत्वों के कारण फोर्टिफाइड चावल की न्यूट्रीशन वैल्यू अधिक होती है इसलिए जो खाएगा वह कुपोषण का शिकार नहीं होगा.
जानकारी के अनुसार देश की आबादी में से 70% लोगों को जरुरी पोषक तत्वों का 50% भी नहीं मिल रहा है. मौजूदा समय में देश में हर दूसरी महिला एनीमिया एवं हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार है. कुपोषण की वजह से देश में पांच साल से छोटे बच्चों में से 68% की मौत हो जाती है.
राष्ट्रीय पोषण संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार देश के 40 फीसदी घरों में बच्चों को मिलने वाला भोजन असंतुलित है. पांच साल से कम उम्र के 55 फीसदी बच्चों को वजन सामान्य से कम है. पांच साल तक के उम्र के बच्चों में विटामिन ए की मात्रा सामान्य से कम है. 52 फीसदी बच्चों की लंबाई सामान्य से कम है. 35 फीसदी पुरुष और महिलाएं ऊर्जा की कमी का सामना कर रही हैं. लोगों के भोजन में प्रोटीन, आयरन, कैल्सियम की मात्रा घटती जा रही है. महिलाएं एवं लड़कियों में से 53.1 एनीमिया की शिकार थी.
पीएम मोदी ने एलान किया है कि कुपोषण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण गरीब बच्चों का विकास प्रभावित हो रहा है. इसलिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत गरीबों को दिए जाने वाले चावल को पोषणयुक्त बनाया जाएगा. सरकार अपनी अलग अलग योजनाओं के जरिये जो चावल गरीबों को देती है उसे फोर्टिफाइ करेगी व गरीबों को पोषण युक्त चावल देगी. साल 2024 तक हर योजना के माध्यम से मिलने वाला चावल फोर्टिफाइ कर दिया जाएगा. 70-80 करोड़ आबादी को फोर्टिफाइड चावल दिया जायेगा.
वहीं विशेषज्ञ क्या कहते हैं इसपर गौर करें तो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फूड कमिश्नर एनसी सक्सेना ने कहा कि ज्यादातर कुपोषण की समस्या 0-2 साल के बच्चों में होती है. अगर इन लोगों में कुपोषण की समस्या दूर नहीं की गयी तो इनका मानसिक विकास नहीं हो पाता है, लंबाई नहीं बढ़ती, स्किल डेवलप नहीं होता है. दो साल तक के बच्चों को पोषणयुक्त चावल का कोई असर नहीं होगा. उनके लिए अलग डाइट होना चाहिए. पोषणयुक्त चावल देना अच्छा कदम है लेकिन लोगों को इसका स्वाद कैसा लग रहा है.
इसका अब तक कोई पता नहीं चल पाया है. लोगों को स्वाद अच्छा नहीं लगेगा तो वो खाएंगे ही नहीं. इसलिए स्वाद के बारे में फीडबैक लेना चाहिये. चावल को फोर्टिफाइड करने के लिए भारी भरकम कॉन्ट्रैक्ट निकालना होगा. करीब 5 करोड़ टन चावल को फोर्टिफाइड करना होगा. कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट देने में करप्शन की गुंजाइश है. इसका ध्यान रखना होगा.
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पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जहां जहां फोर्टिफाइड चावल दिया जा रहा है वहां ईमानदारी से आंकलन होना चाहिए. सरकारी विभाग वही रिपोर्ट भेज देती है जो सरकार चाहती है. अगर लोगों को चावल पसन्द नहीं आ रहा या लोग नहीं खा रहे हैं तब भी रिपोर्ट भेज दिया जाएगा की लोगों को यह पसंद है इसलिसे जहां यह योजना चल रही है वहां ईमानदारी से आंकलन होना चाहिये.